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15 दिन में होना था अमृत की समस्याओं का निराकरण, तीन महीने गुजरे आज भी अमृत की कई जगह लाइनें चालू नहीं है

अमृत योजना के ठेकेदार पार्षदों के नहीं उठाते फोन

15 दिन में होना था अमृत की समस्याओं का निराकरण, तीन महीने गुजरे आज भी अमृत की कई जगह लाइनें चालू नहीं है
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ग्वालियर,न.सं.। अमृत योजना अब पार्षदों के लिए विष बन गई है। कागजों में डीएमए तैयार कर लिए गए और मनमर्जी से कनेक्शन दिए गए हैं। नवम्बर माह में अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव व ठेकेदार पीयूष शर्मा की मौजूदगी में सभी 66 वार्डो के पार्षदों की 10-10 के समूह बनाकर समस्याएं सुनी गई थी। जिसमें ठेकेदार ने पार्षदों को आश्वासन दिया था कि 15 दिन में समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। लेकिन आज तीन महीने गुजर चुके है और वार्डो में समस्या जस की तस है। पार्षदों का कहना है कि अमृत योजना के तहत घटिया निर्माण कराया गया है। आएदिन लाइनें फूट रही हैं। दावा किया गया था कि 12 मीटर तक बिना मोटर के पानी पहुंचेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। पानी और सीवर की लाइनें डालने के लिए सडक़ों को खोदा गया, लेकिन उन्हें दोबारा बनाया नहीं गया है। कई इलाकों में टंकियां बनने और लाइनें डालने के बाद भी टैंकरों से पानी आ रहा है।

अमृत योजना के तहत शहर में 733 करोड़ रुपए खर्च करके पानी एवं सीवर समस्या का निदान किया जाना था। लेकिन दोनों में से कोई भी समस्या अब तक पूरी तरह हल नहीं हो सकी है। सीवर लाइन भी चौक है। अमृत योजना के पेयजल प्रोजेक्ट में लगभग 800 किलो मीटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइनें डाली गई है। इन लाइनों को डालने के लिए गली मौहल्लों की गलियां खोदी गई। ठेकेदार को एक मीटर की गहराई में लाइन डालनी थी, लेकिन अधिकतर जगह 1 फीट की गहराई पर पाइप डाल दिए गए। इन लाइनों से नीले रंग की पाइप लाइन जोडक़र लोगों के घरों तक कनेक्शन पहुंचा दिए। लेकिन घर के अंदर बिछी लाइन से इनका कनेक्शन नहीं किया गया। चूंकि नल कनेक्शन करने के लिए प्लम्बर को बुलाना पड़ता है और प्लम्बर कम से कम 1000 रुपए लेता इसलिए लोगों ने नया कनेक्शन कराने की वजह पुरानी लाइन से पानी लेना ही उचित समझा। वर्तमान स्थित में अगर सर्वे कराया जाए तो मात्र 50 प्रतिशत कनेक्शन ही चालू हालात में मिलेंगे। अमृत योजना में जो लाइनें डाली गई हैं उन्हे डीएमए के हिसाब से डलना बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत इससे पूरी तरह अलग है। लाइनें अपनी सुविधा के अनुसार डाली गई थी और अब यह ठेकेदार एवं अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं। इन लाइनों से जो कनेक्शन किए गए हैं उनका पानी घरों तक नहीं पहुंच रहा जिससे लाइनों पर दबाव पड़ रहा है और फट रही

अमृत का विष हम पी रहे

कागजों में लाइनें डाल दी गई हैं। अमृत मंथन में निकली लक्ष्मी को विष्णुजी ले गए और विष हम पी रहे हैं। लाइनों का मिलान नहीं हुआ है। मुझे आश्वासन दिया था कि 15 दिन के अंदर सभी समस्याओं का निराकरण कर दिया जाएगा। आज भी लक्ष्मी डेयरी, सारथी परिसर, चौहान प्याऊ, डूड़ी बगिया सुरेश नगर में लाइनों का मिलान ही नहीं हुआ है।

नागेन्द्र राणा

पार्षद

रामाजी का पुरा, एबीरोड पर पानी की लाइने फूट रही है। ठेकेदार को फोन लगाओं तो वह कभी फोन ही नहीं उठाते है। लक्ष्मीपुरम से पानी की लाइन डाली है, और बॉल भी लगाए है, लेकिन बॉक्स नहीं होने से कई जगह पानी ही नहीं पहुंच रहा है। 15 दिन का हमसे समय मांगा था, लेकिन तीन महीने हो गए है कोई सुनवाई ही नहीं है।

सईदा आसिफ अली

पार्षद

अमृत के ठेकेदार को फोन लगाओ तो वह कभी उठाते नहीं है। जहां से जोड़ जोड़े गए है वहां पर पेंचवर्क तक नहीं हुआ है। मैंने तो अपर आयुक्त को भी फोन लगाया कि आपके सामने जो आश्वासन दिए गए थे वह अभी तक पूरे नहीं हुए तो वह भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। मैं तो एक दो दिन में धरना दूंगा।

मनोज राजपूत

पार्षद


Updated : 18 March 2023 12:30 AM GMT
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स्वदेश वेब डेस्क

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