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स्वर्ण रेखा नदी को लेकर आमजन में भी है आक्रोश

स्वदेश की खबर पर सोशल मीडिया में आए विचार

स्वर्ण रेखा नदी को लेकर आमजन में भी है आक्रोश
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ग्वालियर, न.सं। शहर के बीचों बीच बह रही स्वर्ण रेखा नदी की बर्बादी पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बह गए। इससे शहर की जनता भी अवगत है कि किस तरह इस नदी के कायाकल्प को लेकर सब्जबाग दिखाए गए थे। यह सब्जबाग नेताओं और अधिकारियों की जेब में मोटे कमीशन के रूप में बहते चले गए।

स्वर्ण रेखा नदी को लेकर स्वदेश ने एक मुहिम शुरू की है। जिसमें शनिवार को प्रकाशित अखबार की कटिंग को सोशल मीडिया पर सिंधिया समर्थक वरिष्ठ नेता बाल खांडे ने अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया है। साथ ही अन्य कुछ लोगों ने इस नदी को लेकर अटलजी के सपने के साकार नहीं होने के अलावा कई सुझाव भी दिए हैं, ताकि इसका उद्धार हो सके। उनकी पोस्ट पर शहर के कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं भी दी है। देखने वाली बात अब यह है कि जन प्रतिनिधि और शहर को स्मार्ट बनाने का जिम्मा लेने वाले जिम्मेदारी अधिकारी इसके प्रति कितने गंभीर है।

यह लिखा है बाल खांडे ने

देशभर में नमामी गंगे के माध्यम से नदी की स्वच्छता और सुंदरता के लिए इस योजना के माध्यम से नदियों का जीर्णोद्वार हो रहा है तो स्वर्ण रेखा नदी का क्यों नहीं हो सका।

आज ग्वालियर की स्वर्ण रेखा नदी पूरे ग्वालियर का परिदृश्य बदल सकती है, केवल इसमें बह रही सीवर लाइन को नदी से हटाकर सड़क के दोनों ओर नई सीवर लाइन डाल दी जाए तो सम्पूर्ण स्वर्ण रेखा नदी स्वच्छ पानी से भर जाएगी।

नदी के 13 किमी लंबे मार्ग में बड़ी नावों से यातायात संचालित किया जा सकता है। इसी नदी के ऊपर 6 लेन फ्लाईओवर बनाया जा सकता है। साथ ही इस फ्लाईओवर के ऊपर मेट्रो ट्रेन बड़ी आसानी से चलाई जा सकती है।

इस प्रकार की सुविधा पूरे प्रदेश में कहीं नहीं हो सकती है। शीघ्र ही स्वर्ण रेखा नदी को जीर्णोद्वार के लिए सर्वदलीय संघर्ष समिति गठित कर सभी वरिष्ठ अधिकारियों, राजनेताओं के सामने अपनी बात कर संघर्ष किया जाएगा।

फेसबुक पर ऐसे मिले कमेंट

भारत सिंह भदौरिया- शासकीय धन को लूटने का माध्यम है स्वर्ण रेखा नदी।

प्रशांत वाजपेयी-यह स्वर्ण रेखा नदी ही नहीं अधिकारियों के लिए डकैती का नाला है। कितने अधिकारी करोड़पति हो गए इस नाले से। यह तो उनके यहां छापे डालने के बाद ही पता चलेगा।

दीपक सेठ- स्वर्ण रेखा नदी के अंदर नाव चलाने का प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था। इसमें स्वच्छ पानी भी आया और नाव भी चली। लेकिन बड़े-बड़े नेताओं और कर्मचारियों ने अपनी-अपनी जेबें भर लीं।

पंडित रामबाबू कटारे- मैंने पत्रों के माध्यम से भोपाल तक आवाज उठाई थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब तो पिछले 20 वर्ष में स्वर्ण रेखा के नाम पर कितना भ्रष्टाचार हुआ है, इसकी जांच की मांग की जानी चाहिए।

अधिवक्ता राकेश पाराशर- हर समस्या का निदान सड़क पर ही होगा। कब आओगे सड़क पर हम इंतजार कर रहे हैं।

इसीलिए होता है सीवर फ्लो

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी(पीएचई),जल संसाधन इरीगेशन, और नगर निगम के अधिकारियों द्वारा 20 साल पहले डाली गई सीवर लाइन में तकनीकी खामी है। उसकी न तो लेबलिंग ठीक है न मोटाई। इसी कारण शुरू से ही वह बार-बार चोक हो रही है और सीवर ओवरफ्लो होकर नदी में बह रहा है।

जल स्तर बढ़ाने के नाम पर लाखों रुपए खर्च

भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए शहर की लाइफ-लाइन माने जाने वाली स्वर्ण रेखा नदी को पक्की(सीमेंटेट) कर जो भूल की गई उसके दुष्परिणाम सामने आए हैं। इस पर अप्रैल 2018 में इस नदी में 8-8 फीट गहरे वाटर रीचार्जिंग पिट बनाने का काम शुरू किया गया। प्रत्येक पिट में 3 फीट गिट्टी, 3 फीट ईंट के टुकड़े तथा 2 फीट बजरी डाली जाने की बात कही गई। इस कार्य में भी करीब 10 लाख रुपए खर्च किए गए।

Updated : 2 July 2020 1:18 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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