कोरोना संक्रमितों के साथ लापरवाही, अलग-अलग रिपोर्ट पर सवाल

कोरोना संक्रमितों के साथ लापरवाही, अलग-अलग रिपोर्ट पर सवाल
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संक्रमित को बताया निगेटिव तो निगेटिव को बताया संक्रमित

ग्वालियर, न.सं.। जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि होने के साथ ही अब जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो गए हैं। गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट में डीआरपी लाइन के एक आरक्षक को संक्रमित बताया गया। जबकि उसी आरक्षक द्वारा जिला अस्पताल में भी नमूना दिया गया था, जिसमें उसे निगेटिव बताते हुए मुख्यमंत्री के काफिले में ड्यूटी लगा दी गई। वह मुख्यमंत्री के कारकेट में पीछे चल रही एम्बुलेंस में पूरे समय साथ रहे। इसी तरह एक अन्य आरक्षक की रिपोर्ट मुरार में संक्रमित निकली, जिसे ड्यूटी पर नहीं पहुंचाया गया। जबकि जीआरएमसी की रिपोर्ट संक्रमित आरक्षक निगेटिव निकला है।

दरअसल मुख्यमंत्री के दौरे को देखते हुए डीआरपी लाइन से आरक्षकों की ड्यूटी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में लगाई जानी थी। इसलिए डीआरपी लाइन के 19 आरक्षकों के नमूने गत दिवस रविवार की दोपहर करीब एक बजे पुलिस अस्पताल से गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय की लैब में भेज गए। जबकि गत दिवस रविवार की शाम को 13 आरक्षकों को मुरार जिला अस्पताल में जांच के लिए भेजा गया। क्योंकि जीआरएमसी की रिपोर्ट एक दिन बाद आती है और जिला अस्पताल की रिपोर्ट कुछ घंटों में ही आ जाती है। जीआरएमसी की रिपोर्ट में डीआरपी लाइन के 22 वर्षीय आरक्षक भोलेन्द्र सिंह को संक्रमित बताया गया। जबकि 24 वर्षीय आरक्षक शिव शंकर राठौर की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इधर जिला अस्पताल की जांच रिपोर्ट में शिवशंकर संक्रमित और शंकर की रिपोर्ट निगेटिव आई। इतना ही नहीं भोलेन्द्र की रिपोर्ट मुरार से निगेटिव आने पर उसकी ड्यूटी कारकेट के साथ चल रही एम्बुलेंस में लगा दी और सोमवार को मुख्यमंत्री की वापिसी तक वह काफिले में साथ रहा। जबकि शिव शंकर को संक्रमित होने पर ड्यूटी पर नहीं भेजा गया। दोनों ही लैबों में एक ही दिन दिए गए नमूनों की रिपोर्ट अलग-अलग आने पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। क्योंकि अभी तक तो मरीजों के साथ लापरवाही बरती जा रही थी, लेकिन अब तो मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में ही इतनी बड़ी लापरवाही बरती गई है। उधर अलग-अलग आई रिपोर्ट के मामले में अब संबंधित अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं।

उम्र भी है अलग-अलग

इधर दोनों रिपोर्ट में आरक्षकों की उम्र भी अलग-अलग लिखी गई है। जीआरएमसी की जांच रिपोर्ट में दोनों आरक्षकों भोलेन्द्र व शिव शंकर की उम्र 22 वर्ष बताई गई है। जबकि मुरार की रिपोर्ट में शिव शंकर 24 व भोलेन्द्र की उम्र 25 बताई गई है।

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