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कैंसर पहाड़ी को लगा अतिक्रमण का कैंसर
लंबे समय से है अवैध अतिक्रमण, कार्रवाई के नाम पर होती है खानापूर्ति
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ग्वालियर,न.सं.। शहर मेंं नगर निगम और जिला प्रशासन की लापरवाही से भू माफिया शासकीय तथा वन विभाग की जमीनों पर कब्जा कर वहांं अवैध निर्माण कर रहे हंै। प्रशासन जब तब कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाने की औपचारिकता भी निभा लेता है। चार दशक पहले मांढरे की माता के पास स्थित जो कंैसर पहाड़ी हरी-भरी और खुली नजर आती थी, आज कैंसर पहाड़ी स्वयं अतिक्रमण रूपी कंैसर की चपेट में आ चुकी है। वहां भूमाफिया और कुछ लोगों ने सैकड़ों की संख्या में मकान तथा झोपडियांंं बना ली हैं। इतना ही नहीं कुछ भूमाफिया यहांं कब्जा कर बेघर लोगों को सस्ते दामों पर वन विभाग की भूमि बेच रहे हंै। जिला प्रशासन जब कभी यहांं अतिकमण हटाने जाता है तो मतों की वजह से राजनेता सामने आ जाते हैं और प्रशासन बिना कार्रवाई के बेवस होकर वापस लौट आता है।
कैंसर अस्पताल की पहाड़ी पर चार साल पहले अफवाह फैलाई गई थी कि पहाड़ी पर लोगों को पट्टा दिया जाएगा। जो व्यक्ति जितनी पहाड़ी घेर सकता है, उतनी घेर ले। इसके बाद रातों रात पूरी कैंसर पहाड़ी पर लोगों ने कब्जा कर लिया। यह कब्जा आज तक बरकरार है, जिसे जिला प्रशासन हटा नहीं पा रहा है। कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान को यहां चिकित्सकीय कार्य और औषधीय पौधों का विकास करने के लिए लीज दी गई थी। पहाड़ी पर अस्पताल सिर्फ एक क्षेत्र में है। जबकि बाकी की 40 फीसदी जगह अतिक्रमण में है।
400 से अधिक मकान बने
कैंसर अस्पताल की ढलान से लेकर मांढरे की माता से पहले तक की सरकारी जमीन पर 400 से अधिक मकान बन गए हैं। खास बात यह है कि दो वर्ष पूर्व एक छोटी बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म एवं हत्या के बाद असामाजिक तत्वों का अड्डा बने इस क्षेत्र के अतिक्रमण को हटाने की योजना बनाई गई थी। लेकिन यहां सिर्फ दुष्कर्मी का ही मकान ढहाया गया। शेष मकान राजनीतिक दखलअंदाजी के कारण नहीं हटाएं जा सके।
पाटौर बनाकर एक घर में रहते हैं पांच लोग
कब्जेधारियों ने पहाड़ी पर अवैध कब्जा कर पहले झुग्गी बनाई। उसके बाद लोगों ने पाटौर बनाकर अपना घर बना लिया है। हालत यह है कि एक ही पाटौर में चार से पांच लोग रहे हैं। जबकि बारिश के दौरान सबसे ज्यादा घटनाएं भी होती हैं।
कब्जेधारियों को मिल रही सारी सुविधाएं
कैंसर पहाड़ी पर रहने वाले सभी लोगों को सभी सुविधाएं निगम और प्रशासन द्वारा मुहैया कराई जा रही है। यहां पर पहले लोगों को पानी के लिए परेशानी होती थी तो लोग पहाड़ी के नीचे निगम के हाइडेंट से पानी भरकर लाते थे। लेकिन अब कब्जेधारियों के लिए निगम ने पहाड़ी पर ही बोरिंग करवा दी है। जिस पर बकायदा पूर्व विधायक का नाम लिखा है।
पहाड़ी के नीचे ही है क्षेत्रीय कार्यालय
यहां सबसे ज्यादा मजेदार बात यह है कि क्षेत्रीय कार्यालय क्रमांक 12 पहले राजपायगा रोड पर हुआ करता था। जिसका नया भवन मांढरे की माता की पहाड़ी के ठीक नीचे आमखों पर बन गया है। यहां क्षेत्राधिकारी के अलावा यंत्री और मदाखलत के लोग भी बैठते हैं। लेकिन अपने सिर पर हुए अतिक्रमण को हटाने में दिलचस्पी नहीं लेते।
इनका कहना है
हमारे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। लॉकडाउन के दौरान लोगों ने कब्जा किया होगा। कार्रवाई बड़े स्तर पर जिला प्रशासन के सहयोग से ही होगी।
-सतेन्द्र सिंह सोलंकी,क्षेत्राधिकारी, नगर निगम
कैंसर पहाड़ी के नीचे पहले भी कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाए गए थे। वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।
-अनिल बनवारिया, एसडीएम, झांसी रोड