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सभापति के लिए भाजपा को सुरक्षित रखना होंगे अपने सभी पार्षद, क्रॉस वोटिंग के प्रयास में कांग्रेस

सभापति के लिए भाजपा को सुरक्षित रखना होंगे अपने सभी पार्षद, क्रॉस वोटिंग के प्रयास में कांग्रेस
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ग्वालियर। नई परिषद में भले ही भाजपा के 34 पार्षद जीतकर बहुमत दर्शा रहे है लेकिन यह सभी पार्षद भाजपा को सुरक्षित रखना होंगे तभी वह परिषद में अपना सभापति जिताकर ला पाएगी। यदि कांग्रेस क्रॉस मतदान में सफल रही और एक पार्षद भी गड़बड़ करता है तो यह भाजपा के लिए खतरे की घंटी होगा।

चुनाव में कांग्रेस के 25 पार्षद जीते हैं। बहुमत के हिसाब से भाजपा का पलड़ा भारी है, और परिषद में सभापति ही भाजपा का ही बनने के पूरे आसार हैं ।लेकिन अगर राजनीतिक समीकरण बिगड़े और निर्दलीय पार्षदों ने कांग्रेस का साथ दिया और कहीं भाजपा का कोई पार्षद टूटकर कांग्रेस खेमे में चला गया तो पांसा उल्टा पड़ सकता है और भाजपा के हाथ से बाजी फिसल सकती है। ऐसे में जब तक सभापति का चुनाव नहीं हो जाता है, तब तक भारतीय जनता पार्टी को अपने पार्षद संभाल कर रखने होंगे। जिस तरह से दूसरे राज्यों में प्रदेश सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की गई थी उसी तरह अगर कहीं भाजपा के पार्षद बिक गए तो कांग्रेस बाजी मार सकती है। फिर परिषद में कांग्रेस का ही बोलबाला होगा क्योंकि महापौर को कांग्रेस का है ही और एमआईसी सदस्य भी कांग्रेस के ही होंगे।ऐसे में अगर कांग्रेस ने कोई दांव खेला तो समीकरण बिगड़ सकते हैं और परिषद में एक नया इतिहास रचा जाएगा।

जिलाधीश कराएंगे चुनाव

जानकारों का कहना है कि सभापति के चुनाव जिलाधीश की देखरेख में कराए जाएंगे। इसके लिए एक अधिसूचना जारी की जाएगी। इसके लिए लगभग 15 दिन का समय निर्धारित किया जाता है। यहां बता दे कि भाजपा के 34, कांग्रेस के 25 एक बसपा व 6 निर्दलीय पार्षद है। ऐसे में अगर कांग्रेस के साथ बसपा और 6 निर्दलीय पार्षद आते है तो महापौर को मिलाकर यह संख्या 33 तक पहुंच जाएगी। और मतदान के समय भाजपा के किसी भी एक पार्षद ने क्रॉस मतदान करता है तो सभापति कांग्रेस का बन सकता है।

पक्ष तो महापौर और एमआईसी की कहलाएंगे

नगर निगम परिषद के पूर्व सचिव रमाकांत चतुर्वेदी बताते है कि पक्ष और विपक्ष की बात करें तो पक्ष महापौर और एमआईसी सदस्य ही कहलाएंगे। वे बताते है कि महापौर पूरी परिषद का नेता होता है, उसके लिए पक्ष और विपक्ष कुछ नहीं होता है। रही बात एमआईसी की तो एमआईसी कांग्रेस की ही रहेगी। यह महापौर पर निर्भर करता है कि वह किसको रखे। जैसे अगर विपक्ष में कोई योग्य व्यक्ति है तो उसको एमआईसी में रखा जा सकता है। अगर तोडफ़ोड़ नहीं होती है तो सभापति भारतीय जनता पार्टी का होगा।

Updated : 13 April 2024 12:57 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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