जांच रिपोर्ट के लिए पांच दिन करना पड़ रहा इंतजार: बिरलानगर प्रसूति गृह को मिला सिविल अस्पताल का दर्जा, फिर भी व्यवस्थाओं में नहीं सुधार…

ग्वालियर। बिरलानगर प्रसूति गृह को भले ही सिविल अस्पताल का दर्जा मिल गया है। लेकिन यहां की व्यवस्थाएं शून्य हैं और महिलाओं व बच्चों को जांच रिपोर्ट के आभाव में उपचार नसीब नहीं हो पा रहा है।
दरअसल बिरलानगर प्रसूति गृह के भवन के सामने ही नवीन 100 पलंग का अस्पताल बनाया गया है, जिसे बिरलानगर सिविल अस्पताल का दर्जा दिया जा चुका है। इसके अलावा यहां प्रतिदिन 150 से 200 प्रसूताओं व गर्भवती महिलाओं के अलावा बच्चे उपचार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन प्रसूति गृह में रक्त की जांच सुविधा पूरी तरह चौपट है।
अगर किसी मरीज की जांच चिकित्सक द्वारा कराई जाती है तो उसकी रिपोर्ट चार से पांच दिन बाद मिलती है। क्योंकि प्रसूति गृह की पैथोलॉजी कलेक्शन सेन्टर बन कर रह गई है। यहां से आउट सोर्स कम्पनी ने अपने स्टाफ को बैठा रखा है, जो मरीज के रक्त का नमूना जांच के लिए लक्ष्मीगंज प्रसूति गृह लेकर जाते हैं। जहां से रिपोर्ट आने में चार से पांच दिन तक का समय लग जाता है।
इतना ही नहीं सीबीसी की छोटी सी जांच रिपोर्ट भी तीन दिन बाद ही मिलती है। ऐसे में मरीज उपचार कराने के लिए मजबूरन या तो निजी पैथोलॉजी पर जांच कराते हैं या फिर जिला अस्पताल जाना पड़ता है। इतना ही नहीं पैथोलॉजी की व्यवस्था से चिकित्सक भी परेशान है। चिकित्सकों का कहना है कि कई बार जांच रिपोर्ट के आधार पर ही मरीज का ट्रीटमेंट लिखा जाता है। लेकिन रिपोर्ट देरी से मिलने से मरीज को सही उपचार नहीं लिख पाते हैं। यह स्थिति जब है जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा 5 जुलाई को नवीन अस्पताल का उद्घाटन किया जा रहा है।
ऑपरेशन में होती है सबसे ज्यादा परेशानी
प्रसूति गृह में प्रतिदिन दो से तीन प्रसव होते हैं। साथ ही ऑपरेशन भी किए जाते हैं। लेकिन कई बार ऐसे मरीज भी भर्ती होते हैं, जिनकी ऑपरेशन से पहले इमरजेंसी में कुछ जांचे करानी पड़ती हैं। लेकिन बिगड़ी जांच व्यवस्था के कारण चिकित्सक भी मजबूरन मरीज को मुरार जच्चा खाने या कमलाराजा अस्पताल रैफर कर देते हैं।
पैथोलॉजी का स्टाफ भी परेशान
प्रसूति गृह की पैथोलॉजी में आउट सोर्स कम्पनी के स्टाफ के अलावा स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ भी पदस्थ है। स्टाफ का कहना है कि एएनसी की जो 12 प्रकार की जांचें होती हैं, उनकी रिपोर्ट तो कुछ घंटों में ही मरीजों को दे दी जाती है। लेकिन आउट सोर्स कम्पनी की जांच रिपोर्ट पांच दिन बाद तक आती है। आउट सोर्स कम्पनी से पैथोलॉजी में सिर्फ दो स्टाफ को बैठा रखा है, जो सिर्फ सेम्पल लेने का काम करते हैं।
सीएमएचओ को भी करा चुके हैं अवगत
पैथोलॉजी की बिगड़ी व्यवस्था को लेकर अस्पताल के चिकित्सक कई बार सीएमएचओ डॉ. आर.के. राजौरिया को पत्र भी लिख चुके हैं। इतना ही नहीं चिकित्सकों का कहना है कि जब से पैथोलॉजी का काम आउटसोर्स कम्पनी को दिया गया है तभी से व्यवस्थाएं बिगड़ती जा रही हैं। साथ ही आउटसोर्स कम्पनी के कर्मचारी चिकित्सकों की सुनते भी नहीं हैं। उसके बाद भी जिम्मेदारों को मरीजों की परेशानी नहीं दिखाई दे रही।
बिना उपचार के लौटी घर
झांसी निवासी 23 वर्षीय ममता दो गत दिवस अस्पताल दिखाने पहुंची थीं, ममता को चिकित्सक द्वारा थायराइड, सीबीसी सहित कुछ अन्य जांचें लिखीं। ममता का कहना था कि वे झांसी से आई हैं और रिपोर्ट चार दिन बाद देने की बात कह रहे हैं। ऐसे में उन्हें फिर से किराया खर्च कर दोबारा दिखाने आना पड़ेगा।
