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बेरजा गांव के किसान बनेंगे आत्मनिर्भर, स्वयं उत्पादन कर बेचेंगे बिजली

बेरजा गांव के किसान बनेंगे आत्मनिर्भर, स्वयं उत्पादन कर बेचेंगे बिजली
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ग्वालियर। जिले का बेरजा गाँव बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। यहाँ के किसान सौर ऊर्जा से बिजली पैदा कर न केवल अपने खेतों की सिंचाई करेंगे अपितु बिजली बेचेंगे भी । आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की अवधारणा के तहत पब्लिक – प्राइवेट पार्टनरशिप एवं किसानों की भागीदारी से बेरजा गाँव का सौर ऊर्जाकरण होने जा रहा है। राज्य शासन के नवीन व नवकरणीय ऊर्जा विभाग एवं ऊर्जा विकास निगम ने सरकार की "कुसुम-सी" योजना के तहत बेरजा गाँव में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की तैयारी शुरू कर दी हैं। कुसुम योजना के तहत प्रदेश के 300 गाँव सौर ऊर्जाकरण के लिये चयनित किए गए हैं, जिसमें ग्वालियर जिले का बेरजा गाँव भी शामिल है।

संयंत्र के लिये सरकार देगी अनुदान और निवेशक कंपनी भी लगाएगी पैसा

सरकार की "कुसुम-सी" योजना के तहत बेरजा गाँव के किसानों के खेतों पर लगने जा रहे सौर संयंत्र के लिये सरकार द्वारा इकाई लागत का 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। इसमें 35 प्रतिशत अंशदान निवेशक कंपनी और 25 प्रतिशत अंशदान संबंधित किसान का होगा। पाँच हॉर्सपॉवर के सोलराइज्ड पम्प कनेक्शन की इकाई लागत लगभग तीन लाख रूपए अनुमानित की गई है, जिसमें करीबन 75 हजार रूपए कीमत का ऊर्जा दक्ष पम्प शामिल है। इस प्रकार किसानों को अंशदान के रूप में केवल ऊर्जा दक्ष पम्प की कीमत अदा करनी होगी। इतना खर्च तो किसानों को वर्तमान में भी पम्प खरीदने के लिये करना पड़ता है। साथ ही बिजली बिल भी अलग से देना होता है। कुसुम योजना के तहत बेरजा गाँव के सम्पूर्ण कृषि फीडर और उससे जुड़े बिजली कनेक्शन सोलराइज किए जायेंगे।


किसान से सरकार खरीदेगी बिजल

सौर ऊर्जाकरण के बाद किसान बिजली खरीददार नहीं, बिजली बेचने वाले बन जायेंगे। अभी तक सिंचाई एवं घरेलू उपयोग की बिजली का बिल अदा करते आए किसान अब बिजली बेचकर अपनी आमदनी बढ़ायेंगे। सौर ऊर्जाकरण के बाद किसानो को बिजली बिल जमा करने से भी मुक्ति मिल जायेगी। वर्तमान में किसान को हर माह लगभग 3500 रूपए बिल अदा करना होता है। सौर ऊर्जा संयंत्रों से पैदा हुई बिजली में से किसान को 8 हजार यूनिट बिजली अपने खेतों की सिंचाई और अन्य तरह के उपभोग के लिये मिलेगी। इसके अलावा पाँच हजार यूनिट बिजली कृषकगण निवेशक कंपनी और सरकार को बेच सकेंगे। इसके लिये उन्हें 3 रूपए प्रति यूनिट की दर से भुगतान मिलेगा। यदि किसान कम बिजली का उपयोग करेंगे तो उसका उन्हें अलग से पैसा मिलेगा। सौर ऊर्जाकरण के बाद कृषकों को सिंचाई के लिये दिन में अर्थात 12 घंटे नि:शुल्क बिजली मिलेगी।

बड़े मीटर से पता चलेगा किसानों ने कितनी बिजली बेची

ऊर्जा विकास निगम के कार्यपालन यंत्री श्री संजय थोराट ने बताया कि बेरजा गाँव में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वाले किसानों के लिये इकजाई रूप से बड़ा मीटर लगाया जायेगा। जिस पर बिजली की एक – एक यूनिट का हिसाब-किताब रहेगा। इस मीटर के जरिए यह पता चल सकेगा कि किसानों ने कितनी बिजली बेची है। तीन रूपए यूनिट के हिसाब से किसानों को बिजली का भुगतान किया जायेगा। इस प्रकार हर किसान को न्यूनतम 15 हजार से लेकर साढ़े 18 हजार रूपए तक की सालाना आय हो सकेगी।

प्रथम चरण का सर्वे हुआ

सौर ऊर्जाकरण के लिये प्रथम चरण का सर्वे और किसानों से संपर्क हो चुका है। गाँव के 222 विद्युत उपभोक्ता किसानों का चयन सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिये कर लिया गया है। सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना के लिये चयनित निवेशक कंपनी से दर निर्धारण पर चर्चा अंतिम चरण में है। उन्होंने बताया कि खेत पर लगभग एक हजार वर्गफुट पर सौर संयंत्र लगेगा।

सौर ऊर्जा संयंत्र को लेकर खासे उत्साहित हैं कृषकगण

बेरजा गाँव के कृषि फीडर के सोलराइजेशन की खबर से वहाँ के किसान खासे उत्साहित हैं। बेरजा गाँव के निवासी भजनलाल ने मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा विकास निगम की योजना के तहत लगभग दो वर्ष पहले अपने खेत पर सोलर पम्प लगवाया था। इस सोलर पम्प से वे सफलतापूर्वक अपने खेतों की सिंचाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि गाँव का सौर ऊर्जाकरण होने से हम सबकी समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे।

Updated : 12 Oct 2021 10:53 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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