ऑपरेशन के बाद गले में फंसा केला, एन्डोस्कोपी से निकाला

ग्वालियर, न.सं.। 20 वर्षीय युवती की आहार नली डेमेज होने पर शहर के निजी ग्रेस्टोलॉजी सर्जन द्वारा गारंटी लेकर कहा गया था कि दो से तीन लाख खर्च करोगे तो ऑपरेशन के बाद आहार नली ठीक हो जाएगी। जिससे बिटिया खाने-पीने लगेगी। लेकिन ऑपरेशन के बाद सातवें दिन ही चिकित्सक ने जब उसे केला खिलाया तो वह नली में अटक गया तब उसे एंडोस्कोपी कर निकाला गया। अब युवती के परिजन आरोप लगा रहे हैं कि चिकित्सक की लापरवाही के कारण उसकी हालत गम्भीर हो गई है और अब वह कमलाराजा अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है।
इस संबंध में युवती के भाई ने सम्भाग आयुक्त एवं जिलाधीश से शिकायत कर चिकित्सक पर कार्रवाई एवं मुआवजा दिलाने की मांग की है। सिकन्दर कम्पू निवासी 20 वर्षीय गायत्री पुत्री रामस्वरूप रजक ने गलती से पानी समझ कर कास्टिक सोड़ा पी लिया था, जिसके उपचार के लिए परिजनों ने बच्ची को जयारोग्य अस्पताल सर्जरी विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. अचल गुप्ता एवं ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. नार्वे को दिखाया था, लेकिन जयारोग्य के संबंधित बीमारी के ऑपरेशन की सुविधा न होने के कारण चिकित्सकों ने अन्य अस्पताल जाने की सलाह दी। इसके बाद परिजनों ने युवती को बिरला अस्पताल में डॉ. निखिल चौपड़ा को दिखाया, जिन्होंने ऑपरेशन करने की बात कहते हुए दो से ढ़ाई लाख रूपए खर्चा बताया। लेकिन परिजनों पस इतने पैसे नहीं थे कि वह ऑपरेशन करा सके। परिजन पैसे की व्यवस्था कर दुबारा डॉ. निखिल को दिखाने एम.के. प्लाजा उनकी क्लीनिक पहुंचे, जहां चिकित्सक द्वारा गायत्री की जांच कराई और कहा गया कि ऑपरेशन के बाद युवती पूरी तरह ठीक हो जाएगी। डॉ. निखिल ने युवती को ऑपरेशन के लिए अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया और 6 नवम्बर को ऑपरेशन किया। गायत्री के भाई योगेश रजक ने बताया कि भर्ती के दौरान जब चिकित्सक ने उसे केला खिलाया तो वह खाने की नली में फंस गया, जिसे एंडोस्कोपी कर निकाला गया। योगेश ने बताया कि अपोलो से छुट्टी होने के कुछ ही दिनों बाद दुबारा गायत्री के छाती व पेट में असहनीय दर्द होने लगा, इस पर दुबारा योगेश अपनी बहन को डॉ. निखिल की क्लीनिक पर लेकर पहुंचे तो उन्होंने छाती की जांचे करा कर एम.के. प्लाजा में ही बने एल्केमिस्ट अस्पताल में एक दिन भर्ती रखा। लेकिन अगले दिन दुबारा गायत्री को दर्द होने लगा तो डॉ. निखिल ने फिर से एल्केमिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां लैपरोस्कोपिक सर्जन डॉ. योगेश शर्मा द्वारा गायत्री का उपचार किया गया। एल्केमिस्ट में करीब सात दिन भर्ती रखने के बाद डॉ. निखिल ने बच्ची को दिल्ली ले जाने की बात कही। इस पर परिजनों ने बच्ची को कमलाराजा अस्पताल के सर्जरी विभाग में भर्ती कराया, जहां बच्ची की स्थिति नाजुक बनी हुई है। मरीज के भाई योगेश ने मंगलवार को सम्भाग आयुक्त एवं जिलाधीश से शिकायत करते हुए कहा है कि कमलाराजा अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि पूर्व में किए गए गले के ऑपरेशन के कारण फैफड़ों मेंं पानी व छाती में संक्रमण हो गया है। योगेश ने जिलाधीश से गुहार लगाते हुए कहा है कि डॉ. निखिल की लापरवाही के कारण युवती की हालत गंभीर बनी हुई है, इसलिए संबंधित मामले की जांच करा कर डॉ. निखिल पर उचित कार्रवाई की जाए।
इन्होने कहा
मरीज का ऑपरेशन करने से पहले ही परिजनों को सारी बाते स्पष्ट बता दी गई थीं, खाने की नली के ऑपरेशन के बाद कई बार काम्पलीकेशन हो जाते हैं। इसलिए मरीज को दिल्ली के लिए रैफर किया गया था।
डॉ. निखिल चौपड़ा
