सर्दी बढ़ने के साथ कमजोर होगा डेंगू का डंक, घुटने लगता है मच्छर का दम

सर्दी बढ़ने के साथ कमजोर होगा डेंगू का डंक, घुटने लगता है मच्छर का दम
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अब सर्दी बढ़ने के साथ डेंगू का खतरा कम होगा।

ग्वालियर। जिले में डेंगू न इस बार जमकर आतंक मनाया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी से लेकर अभी तक जिले में डेंगू के 600 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। जबकि एक बच्ची की मृत्यु भी हो चुकी है। जबकि निजी अस्पतालों में कार्ड टेस्ट में डेंगू एक्टिव केस इससे तीन गुना है। हालांकि अब सर्दी बढऩे के साथ डेंगू का खतरा कम होगा।

मलेरिया विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डेंगू बुखार मादा इजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है, दिन में अधिक काटता है। इस मच्छर की ऊंचाई तक उडऩे की क्षमता कम है, इसलिए पैरों और बाजूओं में अधिक काटता है। एक खास बात डेंगू के मच्छर को पनपने के लिए 24 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान और 80 प्रतिशत से ज्यादा आद्र्रता की जरूरत है। जैसे ही तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से नीचे जाएगा, इस मच्छर का दम घुटना शुरू हो जाता है। इसलिए अब अधिकारी भी सर्दी बढऩे का इंतजार कर रहे हैं।

इस तरह खत्म होता है प्रकोप

इस तापमान पर अंडे से लेकर डेंगू मच्छर बनने की समय अवधि सात से बढक़र लगभग 14-15 दिन हो जाती है। इसके बाद उसका वार करने की क्षमता तकरीबन खत्म हो जाती है। ठंड की वजह से मच्छर के पंख भारी पडऩे की वजह से उड़ान भी कम भरता है। मादा इजिप्टी मच्छर एक बार डंक मारने पर 0.001 से 0.1 एमएल खून चूस लेती है। मादा मच्छर पूरे जीवन काल में 500 अंडे देती है। फिलहाल घरों का तापमान मच्छर तो पनपने के लिए पर्याप्त है, लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है।

कोरोना संक्रमित हुए मरीज आसानी से आ रहे बायरल की चपेट में

डेंगू का प्रकोप भले ही सर्दी के साथ कम होने लगता है। लेकिन मौसम में हुए बदलाव से लोक बायरल की चपेट में आ रहे हैं। इसमें ऐसे मरीज जल्दी चपेट में आ रहे हैं, जिन्हें पूर्व में कोरोना हुआ था। चिकित्सकों का कहना है कि अस्पताल में इन दिनों जो मरीज आ रहे हैं, उसमें 40 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जिन्हें पूर्व में कोरोना हुआ था। इसलिए उन्हें सर्दी, जुकाम, खांसी के साथ बुखार आसानी से हो रहा है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि पूर्व में कोरोना संक्रमित मरीज को ठीक होने में पांच से दस दिन का समय लग रहा है। जबकि ऐसे मरीज जो कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं, वह तीन से पांच दिन दवा खाने के बाद ही ठीक हो जा रहा है। इसलिए चिकित्सकों की सलाह है कि बायरल से बचने के लिए सावधानी बरतें और बिना चिकित्सक की सलाह पर दवा न लें।

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