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ग्वालियर से शुरू हुआ था अजीत जोगी का प्रशासनिक करियर

ग्वालियर से शुरू हुआ था अजीत जोगी का प्रशासनिक करियर
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ग्वालियर। छत्तीसगढ़ के पहले सीएम और कांग्रेस के कद्द्वार नेता रहें अजित जोगी का कार्डियक अरेस्ट से आज निधन हो गया। अजीत जोगी साल 2016 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य रहे। वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्वर्ण पदक विजेता थे। वह अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, कुष्ठ रोगियों और विकलांगों सहित समाज के पिछड़े और कमजोर वर्गों के कल्याण और विकास से जुड़े थे। आज उनके निधन से छत्तीसगढ़ ही नहीं मध्यप्रदेश को भी नुकसान हुआ है।

आईपीएस की जगह आईएएस को चुना -

अजीत जोगी का जन्म 26 अप्रैल, 1946 को भारत के मध्य प्रदेश में बिलासपुर जिले के एक गाँव पेंड्रा रोड में हुआ था। वह सफल राजनेता होने के साथ इंजीनियर, टीचर और श्रेष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के रूप में भी जाने जाते है। उनका ग्वालियर से भी कुछ समय तक रिश्ता रहा था। उन्होंने अपने प्रशासकीय करियर की शशुरुआत ग्वालियर से ही की थी। मौलाना आज़ाद कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी, भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने रायपुर के एक गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर के रूप में काम किया। इसी दौरान अजित जोगी ने यूपीएससी की परीक्षा पास की और उनका चयन आईपीएस एवं आईएएस के लिए हो गया। अजित ने भारतीय पुलिस सेवा की जगह भारतीय प्रशासनिक सेवा को चुना।

ग्वालियर से शुरु हुआ प्रशासकीय करियर -

अजीत जोगी ने अपने प्रशासकीय करियर की शुरुआत बतौर प्रशिक्षु आईएएस ग्वालियर से की थी। 1972-73 में वह ग्वालियर में अपर कलेक्टर रहें। जानकार बताते है की वह बेहद अनुशासित और अधिकारी थे। शहर से जुड़े कई विकास कार्यों में उनकी सलाह को महत्वपूर्ण माना जाता था। वह त्वरित निर्णय लेने वाले अधिकारियों में से एक थे। गवालियर में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वे बैतूल, शहडोल, रायपुर और फिर इंदौर के कलेक्टर बने। मप्र में 14 साल तक बतौर कलेक्टर के रूप में कार्य करने का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज है।

ढाई घंटे में कलेक्टर से नेता बनें -

अजीत जोगी जब इंदौर में कलेक्टर थे उस समय वह राजीव गांधी के संपर्क में आये। इसी दौरान जब राजीव गाँधी भारत के पीएम बनें तब एक दिन पीएमओ से उनके घर फोन आया। फोन पर उनसे इस्तीफा देने के लिए कह गया। जिसे सुन वह डर गए लेकिन तभी उन्हें बताया गया की पीएम चाहते हैं कि आप मप्र से राज्यसभा का नामांकन भरें। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और महज ढाई घंटे के अंदर उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता लेकर राजनीति में आ गए। जहां अपने प्रशासनिक करियर की तरह कई उपलब्धियां हासिल की।

Updated : 30 May 2020 7:13 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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