आचार संहिता लगते ही हरकत में आया प्रशासन, राजनेताओं पर लगा अंकुश

ग्वालियर। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सोमवार को आचार संहिता लागू होते ही राजनेताओं द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे प्रशासनिक अमले के इस्तेमाल पर अब अंकुश लग गया है। राजनेताओं को अब कोई भी आयोजन शासकीय स्थान पर करने की अनुमति नहीं मिलेगी। सारे आयोजन का खर्चा अब उन्हे स्वयं ही भुगतना होगा। इसी के साथ उनकी सेवा में लगे गाड़ी-घोड़े, अधिकारी व कर्मचारी भी उनसे दूर ही रहेंगे। रैली, सभाओं, वाहनों, प्रचार-प्रसार आदि की विशेष रूप से अनुमति लेना होगी। वहीं अब प्रशासन का तेवर भी बदल गया। इसी के चलते प्रशासन के निर्देश पर शहर भर में चुनावी बैनर, पोस्टर व होर्डिंग हटवाए गए। जिलाधीश अक्षय कुमार सिंह ने सोमवार को आयोजित हुई पत्रकारवार्ता ने बताया कि 21 अक्टूबर को निर्वाचन की अधिसूचना का प्रकाशन किया जाएगा। इसी के साथ नाम निर्देशन पत्र लेने का सिलसिला शुरू होगा। नाम निर्देशन पत्र 30 अक्टूबर तक प्रस्तुत किए जा सकेंगे। प्राप्त हुए सभी नाम निर्देशन पत्रों की संवीक्षा (जांच) 31 अक्टूबर को होगी और 2 नवम्बर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। इसके साथ ही 17 नवम्बर को मतदान होगा और मतों की गिनती 03 दिसम्बर को होगी। जिलाधीश श्री सिंह ने स्पष्ट किया कि सभी राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को आदर्श आचरण संहिता का पालन करना होगा। आदेशों की अवहेलना एवं आचार संहिता के उल्लंघन करने पर नियमानुसार दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी।
शस्त्र रखने के लिए करना होगा आवेदन
इस बार शास्त्र जमा न करने की छूट पाने के लिए जिलाधीश श्री सिंह द्वारा अलग व्यवस्था की गई है। इसके लिए जिलाधीश श्री सिंह ने एक कमेटी का गठन किया है। जिलाधीश श्री सिंह ने बताया कि जिला स्तर पर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित अन्य सदस्यों की एक मॉनीटरिंग व स्क्रींनिंग समिति बनाई गई है। इस समिति की बैठक हो चुकी है। समिति ने निर्णय लिया है कि जो लायसेंसधारी शस्त्र जमा नहीं करना चाहते हैं, वे तीन दिन के भीतर उन कारणों को दर्शाते हुए अपना आवेदन कलेक्टे्रट कार्यालय की शस्त्र शाखा में जमा कर सकते है, जिन कारणों से वे शस्त्र जमा नहीं करना चाहते । उन्होंने बताया कि शस्त्र शाखा में प्राप्त आवेदनों की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा जांच की जाएगी और निर्णय से संबंधित आवेदक को अवगत कराया जाएगा। शास्त्र जमा न करने की छूट पाने के लिए तीन दिन के भीतर व्यक्ति को आवेदन करना होगा। आवेदन पर कमेटी विचार करेगी और उसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि शास्त्र रखने की छूट दी जाए या नहीं।
16 तक जमा करने होंगे शस्त्र
आचार संहिता लागू होते ही जिले में शस्त्र लायसेंस भी निलंबित कर दिए गए हैं। जिलाधीश श्री सिंह का कहना है कि सभी लायसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि शस्त्र लायसेंस 16 सितम्बर तक जमा करने होंगे। बॉक्स
जूलूस व सभा के लिए 48 घंटे पूर्व अनुमति
आम सभाओं एवं जुलूस के लिए प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों से 48 घंटे पूर्व अनुमति लेना होगी। इसके अलावा लाउडस्पीकरों का उपयोग करने से पहले अनुमति लेना होगी। वहीं विश्राम गृह, प्रत्याशी के वाहन, सभा स्थल की अनुमति, चुनावी खर्च की जानकारी भी देनी होगी।
16 लाख 25 हजार 768 मतदाता करेंगे जीत हार का फैसला
ग्वालियर की 6 विधानसभा सीटों पर 16 लाख 25 हजार 768 मतदाता भाजपा-कांग्रेस सहित अन्य दलों के प्रत्याशियों की जीत हार का फैसला करेंगे। इनमें 8 लाख 59 हजार 446 पुरुष तो 7 लाख 66 हजार 263 महिला एवं 59 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। तो इस बार महिलाओं की भी भूमिका सरकार बनाने में अहम होने वाली है।
इन कामों पर कोई नहीं पड़ेगा असर
आचार संहिता लागू होने के बाद उन कामों पर कोई असर नहीं पड़ेगा जिनका भूमिपूजन हो चुका है। जैसे ग्वालियर में कई ऐसे काम हैं एलिवेटेड रोड के पहले और दूसरे फेस का भूमिपूजन किया जा चुका है। पहले फेस का काम काफी हद तक चल रहा है, जबकि दूसरे फेस के लिए टेंडर अभी होना है। इसी तरह मुरार जिला अस्पताल के उन्नीयकरण का समारोह हो चुका है आगे उसके विकास कार्य में कोई रुकावट नहीं आएगी। इस तरह जितने भी ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिनका काम चल रहा है वह चलता रहेगा, लेकिन नए काम शुरू नहीं किए जा सकेंगे। जैसे लाड़ली बहना योजना का पैसा महिलाओं को मिलता रहेगा। साथ ही गैस सिलेंडर की स्कीम भी चलती रहेगी और उसके फार्म भरे जाएंगे।
आचार संहिता में किन कामों पर होती है पाबंदी
- संहिता लागू होने के बाद केंद्र या राज्य सरकार किसी नई योजना और नई घोषणाएं नहीं हो सकतीं।
- किसी भी विकास कार्य का भूमिपूजन और लोकार्पण भी नहीं हो सकता है।
- चुनावी तैयारियों के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
- सरकारी गाड़ी, बंगला, हवाई जहाज आदि का उपयोग वर्जित होगा।
- आचार संहिता लागू होते ही दीवारों पर लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री हटा दी जाती हैं।
- होर्डिंग, बैनर व पोस्टर भी हटा दिए जाते हैं।
- राजनीतिक दलों को रैली, जुलूस या फिर बैठक के लिए अनुमति लेनी होती है।
- धार्मिक स्थलों और प्रतीकों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया जाएगा।
- मतदाताओं को किसी भी तरह से रिश्वत नहीं दी जा सकती है। रिश्वत के बल पर वोट हासिल नहीं किए जा सकते है।
- मतदान केंद्रों पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते है।
तीन स्थानों से होगा मतदान सामग्री का वितरण
जिलाधीश श्री सिंह ने यह भी बताया कि इस बार मतदान सामग्री वितरण के लिए तीन केन्द्र बनाए गए हैं। विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र-14 ग्वालियर ग्रामीण के मतदान दलों को मतदान सामग्री का वितरण शासकीय श्रीमंत माधवराव सिंधिया आदर्श विज्ञान महाविद्यालय से किया जाएगा। विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र-15 ग्वालियर व 16 ग्वालियर पूर्व के लिए मतदान सामग्री का वितरण महारानी लक्ष्मी बाई कला एवं वाणिज्य स्वशासी महाविद्यालय (एमएलबी) से होगा। विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र-18 भितरवार व 19 डबरा (अजा) के मतदान दलों को मतदान सामग्री का वितरण डॉ. भीमराव अम्बेडकर पॉलीटेकनिक महाविद्यालय ग्वालियर से किया जाएगा। हालांकि सभी विधानसभाओं की मतदान सामग्री व ईव्हीएम एमएलबी महाविद्यालय में ही जमा होंगी।
50 प्रतिशत मतदान केन्द्र पर होगी वेबकास्टिंग
जिले की छह विधानसभाओं में कुल 1659 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। लेकिन इस बार पहली बार 50 प्रतिशत मतदान केन्द्रों पर लाइव वेबकास्टिंग की जाएगी। इसके अलावा जिले में 18 मतदान केन्द्र ऐसे हैं, जहां मतदाताओं की संख्या 15 सौ से अधिक है। इसलिए उक्त मतदान केन्द्रों के साथ सहायक मतदान केन्द्र भी निर्धारित किए गए हैं।
