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अंचल के सौ साल पुराने बांधों की निगरानी पर एक साल में खर्च होते हैं 70 लाख

सभी बांधों से पानी का होता रहता है रिसाव आस-पास के गांवों में बना रहता है खतरा

अंचल के सौ साल पुराने बांधों की निगरानी पर एक साल में खर्च होते हैं 70 लाख
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ग्वालियर,न.सं.। ग्वालियर-चंबल अंचल के सौ साल पुराने बांधों की निगरानी पर एक साल में जल संसाधन विभाग 70 लाख रुपए खर्च करता है। फिर भी इनकी मरम्मत नहीं हो पाने के कारण सभी बांधों से पानी का रिसाव होता रहता है। इतना ही नहीं जब बारिश का समय आता है, तब इन बांधों से अतिरिक्त पानी ऊपर से बहने लगता है। जिससे आस-पास के गांवों में खतरा उत्पन्न हो जाता है। पिछले वर्ष ग्वालियर-चंबल संभाग की नदियों में अधिक पानी के कारण बाढ़ का सामना करना पड़ा था। इसे दखते हुए इस बार प्रशासन और जलसंसाधन विभाग बांधों पर पैनी नजर रखे हुए है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

यहां बता दें कि बांधों की मरम्मत के लिए हर वर्ष ढोल पीटा जाता है। मानसून पूर्व यहां रखरखाव से ज्यादा कुछ नहीं होता। ऊंट के मुंह में जीरे के समान मिल रहे बजट से विभागीय अधिकारी भी परेशान हंै।

शहर की प्यास बुझाने वाले सबसे पुराने बांधो में शामिल करीब 100 साल पुराने तिघरा बांध के रिसाव को सुधारने के लिए 17.54 करोड़ रुपए स्वीकृत पहले ही चुके हंै। इसकी मरम्मत के लिए टेेंडर भी मांगे गए थे, लेकिन कंपनी की कॉस्ट ज्यादा होने के कारण विभाग को दुबारा टेंडर बुलाने पड़े।

तिघरा बांध में दो दर्जन से ज्यादा बड़े लीकेज हो गए हंै। जिसके कारण रोजाना हजारों लीटर पानी बह जाता है। अगर इन लीकेज को शीघ्र ठीक नहीं कराया गया तो बांध के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा सकता है। जल संसाधन विभाग ने इन लीकेज को भरने के लिए दो साल पहले टेंडर भी निकाले थे, लेकिन कोई भी एजेंसी बांध की मरम्मत करने को तैयार नहीं थी, पहली बात तो बांध की गहराई में जाकर इसको ठीक करना कठिन कार्य है। वहीं दूसरी ओर बांध में मौजूद मगरमच्छ भी मरम्मत कार्य में खतरा पैदा कर सकते हैं।

सात बांधों पर निगरानी के लिए रखे कर्मचारी

तिघरा, हरसी, ककैटो, अपर ककैटो, पेहसारी, मड़ीखेड़ा, रमौआ बांध की निगरानी के लिए जल संसाधन विभाग ने कर्मचारियों को तैनात कर रखा है। इनका काम बांध के जलस्तर को 24 घंटे देखना है।

किस बांध पर कितने कर्मचारी

  • -तिघरा-8
  • -हरसी-6
  • -मड़ीखेड़ा-7
  • -रमौआ-1
  • -ककैटो-2
  • -अपर ककैटो-2
  • -पेहसारी-2

1916 में पूर्ण हुआ निर्माण

  • - 1910 में तिघरा डेम का निर्माण शुरू हुआ व 1916 में पूर्ण हुआ।
  • - माधवराव सिंधिया प्रथम ने इस बांध का निर्माण कराया था।
  • - तिघरा बांध 24 मीटर ऊंचा और 1341 मीटर लम्बा है।
  • - तिघरा बांध का कैचमेंट एरिया 412.24 स्क्वायर किलोमीटर है ।
  • - सांक नदी पर बना है तिघरा बांध, इसके तीन और पहाड़ी है।
  • - बांध को केन्द्रीय जल संसाधन विभाग ने हेरिटेज माना है।
  • -बांध बनाने के लिए महान इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया की मदद ली गई।

जियो फिजिकल की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा

तिघरा बांध की जमीन व दीवार की नींव कमजोर नहीं है। बांध के पुराने 64 गेटों की दीवार के सुराख उसे कमजोर कर रहे हैं। यह खुलासा कुछ साल पहले बांध की जियो फिजिकल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में हुआ था। साथ ही ये भी कहा था कि इन सुराखों का जल्द ही ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो यह बांध के लिए खतरनाक हो सकता है।

नहरों के जरिए जुड़ा है बांधों का पूरा नेटवर्क

श्योपुर जिले में अपर ककैटो बांध है। इस बांध के अंदर जो भी पानी स्टोर किया जाता है इसे पार्वती नदी में छोड़ दिया जाता है। पार्वती नदी के माध्यम से यह पानी ककैटो बांध में पहुंचता है। ककैटो बांध से नहर के जरिए यह पानी पेहसारी बांध में पहुंचता है। वहीं पेहसारी से नहर में पानी छोड़ा जाता है। यह नहर आगे जाकर सांक नदी में पहुंचता है। सांक नदी के जरिए यह पानी तिघरा में पहुंचता है।

ऐसे करेंगे रिसाव बंद

जल संसाधन विभाग जिस कंपनी को जिम्मेदारी देगा, वह आधुनिक यंत्र और मशीनों के माध्यम से रिसाव को बंद करने का काम करेगी। इसमें पानी के अंदर यंत्रों के माध्यम से रोशनी डालकर लीकेज का पता करेंगे। यह काम टोमोग्राफी के माध्यम से किया जाएगा। इसके बाद जलाशय के अंदर के लीकेज को बंद करने का काम होगा। जलाशय की दीवार से निकल रहे पानी को रोकने के लिए ड्रिलिंग और ग्राउंडिंग का उपयोग किया जाएगा।

लीकेज वाले स्थान से पानी से कटने की संभावना

तिघरा के लीकेज का संधारण का कार्य करना इसलिए भी जरूरी है कि तिघरा काफी पुराना है और उसमें जगह -जगह लीकेज होने से रिसाव वाले स्थान से पानी कटने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। जिससे बांध टूटने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। बांध में लीकेज अधिक होने के चलते एक साल में करीब डेढ़ महीने सप्लाई का पानी यू ही बह जाता है।

यह है बांधों की क्षमता

तिघरा बांध

  • पूर्ण जलभराव क्षमता 739 फीट
  • पानी की पूर्ण क्षमता 4250 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर)
  • वर्तमान जल भराव 730.50 फीट
  • वर्तमान जलस्तर 2460 एमसीएम

ककैटो बांध

  • पूर्ण जलभराव स्तर 1124.18 फीट
  • पानी की पूर्ण क्षमता 2843 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर)
  • वर्तमान जलभराव स्तर 1103.59 फीट

पेहसारी

  • पूर्ण जलभराव क्षमता 1096 फीट
  • पानी की पूर्ण क्षमता 1759 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर)
  • वर्तमान जल भराव 1000 फीट

हरसी

  • पूर्ण जलभराव क्षमता 868 फीट
  • पानी की पूर्ण क्षमता 6803 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर)
  • वर्तमान जल भराव 850 फीट


Updated : 18 Aug 2022 5:34 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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