शहर में अभी भी 15 हजार लाइटें बंद, दीपावली से पहले सुधारने का दावा

ग्वालियर। शहर में दो साल से बेपटरी हुई स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईइएसएल) के माध्यम से लगवाई गईं इन लाइटों के खराब होने की समस्या लगातार बनी हुई है। पहले ईईएसएल इन लाइटों की रिपेयरिंग के लिए उपकरण सप्लाई में फेल हुई, तो स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने नए सिरे से संचालन एवं संधारण की टेंडर प्रक्रिया कर नोएडा की एचपीएल इलेक्ट्रिकल्स कंपनी को ठेका सौंप दिया। कंपनी ने लाइटों की मरम्मत के लिए निर्धारित से आधे संसाधन लगा रखे हैं, तो वहीं अब उपकरण सप्लाई में भी ये कंपनी फेल होती नजर आ रही है। इसके चलते शहर में 20 हजार से ज्यादा लाइटें बंद पड़ी हुई हैं। हांलाकि अधिकारी दावा कर रहे है कि लाइटों को दीपावली से पहले ठीक करवा दिया जाएगा।
स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने दो साल पहले ईईएसएल के माध्यम से शहर में 62 हजार स्ट्रीट लाइटें लगवाई थीं, लेकिन गुणवत्ता ठीक नहीं होने के कारण ये लाइटें लगातार खराब हो रही हैं। ईइएसएल जब खराब लाइटों को सुधारने के लिए उपकरण उपलब्ध कराने में नाकाम रही, तो कार्पोरेशन ने फिर से लगभग 25 करोड़ रुपए में लाइटों के संचालन एवं संधारण की जिम्मेदारी एचपीएल को दे दी। टेंडर की शर्तों के अनुसार कंपनी को छह हाइड्रा गाडिय़ां, 14 छोटी गाडिय़ां, 60 लाइनमेन और 60 हेल्पर रखने हैं, लेकिन कंपनी ने सिर्फ दो हाइड्रा, चार छोटी गाडिय़ां और अधिकतम 20 लोगों का स्टाफ रख रखा है। कंपनी को पुराना बैकलाग खत्म करने के साथ ही पूरे शहर में उजाला रखने के लिए 700 से 800 लाइटें प्रतिदिन सुधारनी हैं, लेकिन औसतन सिर्फ 117 लाइटें ही सुधारी जा रही हैं। इसका नतीजा यह है कि कालोनियां और गली-मोहल्ले तो दूर, कई मुख्य मार्गों पर भी अंधेरा पसरा रहता है। इसके चलते अब कंपनी पर पेनल्टी लगाकर अंतिम चेतावनी दी गई है कि वे दो सप्ताह में निर्धारित संख्या में कर्मचारी लगाने के साथ ही उपकरण सप्लाई में तेजी दिखाए।
10 हजार लाइटें ही सुधरी
कंपनी का दावा है कि काम संभालने से लेकर अभी तक शहर में 18 हजार लाइटों की मरम्मत की गई है, लेकिन असल में सिर्फ 10 हजार लाइटें ही सुधारी गई हैं। बाकी की आठ हजार लाइटें सिर्फ कार्बन लगने या कनेक्शन लूज होने जैसे तकनीकी कारणों से बंद थीं, जो सिर्फ छूने भर से चालू हो गईं। हालांकि अभी कंपनी ने शहरभर में यह भी सर्वे नहीं कराया है कि कहां कितनी लाइटें लगी हुई हैं और उनका संचालन किस तरह से किया जाना है।
ड्राइवर की नहीं हुई आपूर्ति
स्ट्रीट लाइटों में मुख्य रूप से दो उपकरण ज्यादा खराब होते हैं। इनमें सर्ज प्रोटेक्शन डिवाइस (एसपीडी) और ड्राइवर शामिल हैं। कंपनी एसपीडी की तो आपूर्ति कर पा रही है, लेकिन ड्राइवर की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसके चलते जिन लाइटों में ड्राइवर की दिक्कत है, उनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है। पिछले दिनों जब कार्पोरेशन ने समीक्षा के दौरान कंपनी से ड्राइवर की आपूर्ति को लेकर सवाल पूछे, तो बताया गया कि चार हजार ड्राइवर का पूरा एक लाट डिफेक्टेड होने के कारण नहीं भेजा जा सका।
