भोपाल व इंदौर से ज्यादा ग्वालियर में जांचें कैसे!

ग्वालियर, न.सं.। जिले में कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच के साथ जहां खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं जांचों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि महाविद्यालय में जितनी मशीनें चालू हैं, उससे अधिक प्रदेश के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में है। लेकिन भोपाल व इंदौर में इतनी जांचे नहीं हो रहीं, जितनी ग्वालियर में हो रही हैं।
गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय की लैब में ग्वालियर सहित भिण्ड, दतिया, शिवपुरी, मुरैना, श्योपुर सहित अन्य जिलों से जांच के लिए नमूने आ रहे हैं। महाविद्यालय में जांच के लिए वर्तमान में जांच के लिए पांच आरटी-पीसीआर जांच मशीन हैं। इनमें तीन मशीनें ही चालू हैं। इन मशीनों पर प्रतिदिन 2500 से 3000 जांचे तक की जाती हैं। जबकि इंदौर व भोपाल चिकित्सा महाविद्यालयों की बात करें तो यहां की लैब 24 घंटे संचालित होने के बाद भी दो हजार से ऊपर जांचे नहीं हो पा रही हैं। जिसको लेकर अब जीआरएमसी के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि मशीनों की छमता से ज्यादा जांचें हो कैसे रहीं हैं। इतना ही नहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाविद्यालय की लैब में ज्यादा से ज्यादा रात 9 बजे तक ही मशीनें चालाई जाती हैं। जबकि 24 घंटे लैब संचालित की जानी है। उसके बाद भी रात में लैब सिर्फ कागजों में ही संचालित हो रही है।
एक लॉट में लगते हैं 95 नमूने
एक आरटीपीसीआर जांच मशीन में एक लॉट में 95 नमूने लगाए जाते हैं। जिनकी रिपोर्ट कम से कम 5-6 घंटे में आती है। इसी तरह अगर सुबह से शुरू हुई जांच मशीन पर अगर रात 9 बजे तक जांच की जाए तो पूरे दिन भर में एक मशीन पर 250 से 300 जांचे ही हो जाएंगी। इस हिसाब से तीन मशीनों पर ज्यादा से ज्यादा एक हजार नमूनों की जांच की सकती है।
इंदौर में मशीनें ज्यादा फिर भी जांचें कम
इधर शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर की बात करें तो यहां पांच आरटीपीसीआर और पंाच आरएनएस स्ट्रक्टर मशीनें हैं। यहां की जांच मशीनें 24 घंटे संचालित हो रही हैं, उसके बाद भी यहां 24 घंटे में 1800 से 2000 के बीच ही जांचे हो पाती हैं। इंदौर महात्मा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. अनीता मुट्ठा का कहना है कि हमारे यहां प्रतिदिन 2 हजार नमूनों की जांच करने की क्षमता है।
भोपाल में भी यही स्थित
भोपाल गांधी चिकित्सा महाविद्यालय की बात करें तो यहां चार आरटीपीसीआर व दो आरएनएस हैं। यहां के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. दीप्ति चौरसिया का कहना है कि उनकी लैब 24 घंटे संचालित हो रही है। लैब में प्रतिदिन 1200 से 1300 नमूनों की जांच की जाती है।
अधिष्ठाता को भी रखा जाता है दूर
लैब से गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता को भी दूर रखा जाता है। इसको लेकर कई बार अधिष्ठाता ने नाराजगी भी व्यक्त की है। लेकिन लैब के जिम्मेदार चिकित्सकों पर प्रशासनिक अधिकारियों की कृपा के चलते चिकित्सक अधिष्ठाता को भी भाव नहीं देते।
लैब में चिकित्सक भी रहते हैं प्रतिबंधित
गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय की बात करें तो यहां की लैब में ड्यूटी डॉक्टर भी अंदर जाने के लिए प्रतिबंधित रहते हैं। लैब में जहां मशीनें लगी हुई हैं, वहां तक ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक भी नहीं पहुंच पाते।
