मुस्लिम बस्तियों की बाढ़ ने बढ़ाया अशांति का खतरा: सानौधा का ‘लव जिहाद’ घटना नहीं, सामाजिक चेतावनी है…

विनोद दुबे, भोपाल। सागर जिले के गांव सानौधा में एक हिन्दू युवती को उसकी शादी से एक दिन पहले एक मुस्लिम युवक द्वारा बहला फुसलाकर भगा ले जाने की घटना 'लव जिहाद' ही नहीं, मध्यप्रदेश के सुदूर गांवों में तेजी से हो रहे सामाजिक और जननांकीय (डेमोग्राफी) बदलाव के जरिये प्रदेश के लिए पैदा होने वाले गंभीर खतरे चेतावनी भी है।
मध्यप्रदेश के अनेक गांव और कई शहरों की चिह्नित बस्तियां इस तरह के बदलाव का शिकार होकर भविष्य में गंभीर आपराधिक घटनाओं और सामाजिक अशांति का कारण बन सकती हैं। सागर हो या श्योपुर का ब्राह्मणपाड़ा या शिवपुरी का बड़ा बाजार या गुना का कर्नलगंज, हर जगह मुस्लिम जनसंख्या बढ़ रही है और ऐसे इलाके सामाजिक सहौर्द और शांति के बजाय मुर्शिदाबाद, किशनगंज या रामपुर बनने की राह पर हैं।
सागर के सानौधा की घटना चेतावनी की खिडक़ी खुलने जैसी है। मुस्लिम युवक द्वारा सात फेरों के लिए बैठी हिन्दू युवती को भगा ले जाने की घटना के बाद जब 'स्वदेश' ने इलाके की नब्ज टटोली तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। पता चला कि मुस्लिम युवक पहले भी इस तरह की करीब आधा दर्जन घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।
इतना ही नहीं, महज 15-20 साल में इस छोटे से गांव में मुस्लिम जनसंख्या में 15 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है।
सात परिवारों से दो बस्तियों तक :
गांव के लोग ही बताते हैं कि 20-25 साल पहले गांव में सिर्फ छह-सात मुस्लिम परिवार थे। उनकी कुल जनसंख्या 35-40 से अधिक नहीं थी। वर्तमान में यहां 200 से ज्यादा मुस्लिम परिवार हैं और जनसंख्या 700 के आसपास। इन लोगों ने गांव की पुरातत्व और तालाब की जमीनों पर बेजा कब्जे करके बस्तियां बसाईं।
अपने रिश्तेदारों को बुलाकर यहां बसा दिया। गांव के लोग कई बार स्थानीय निकायों में अवैध कब्जे की शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन वोट बैंक के लालची स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कभी कोई कार्रवाई नहीं होने दी।
मुस्लिम बस्तियों में संचालित संदिग्ध और अवैधानिक गतिविधियों को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश जरूर है, लेकिन इस वर्ग को राजनीतिक संरक्षण के चलते गांव के अन्य लोग खुद को असहाय पाते हैं। ग्रामीणों की मांग है कि विगत वर्षों में यहां बसाए गए परिवारों का पुलिस सत्यापन कर उनकी वास्तविक पहचान उजागर की जाए।
दो-दो कब्रिस्तान भी बना लिए:
गांव वालों की मानें तो मुसलमानों के लिए यहां पहले से ही कब्रिस्तान था, लेकिन हाल ही में उन्होंने सरकारी जमीन पर बिना किसी अनुमति के दूसरा कब्रिस्तान भी बना लिया। इसी गांव में शरीफ नाम के मुसलमान द्वारा गोकशी की घटना को भी अंजाम दिया गया, लेकिन बात आई गई हो गई।
स्कूल जाने वाली बच्चियों पर नजर :
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के बच्चे-बच्चियां जिस स्कूल में पढ़ते हैं, उसका रास्ता मुस्लिम बस्ती से होकर जाता है। ऐसे में हिन्दुओं की बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। हिन्दू लडक़ी को भगाने वाले आरोपी अनस ने स्कूल जाने के दौरान ही लडक़ी को बहलाया फुसलाया था।
मसजिद से चलता है खेल :
गांव में 40 साल पुरानी एक मस्जिद है। यहां अक्सर मुस्लिम जमातों के धर्मगुरु, मौलवी, उलेमा आदि रुकते हैं। जो तकरीरें करते हैं। मस्जिद में संदिग्ध गतिविधियां चलती हैं। इन पर अब तक प्रशासन ने गौर नहीं किया। कुल मिलाकर सानौधा (सागर) की घटना वह खिडक़ी है, जहां से आप मप्र में दबे पांव इस्लामिक प्रसार और उसके फैलते दायरे को बगैर चश्मे के देख सकते हैं।
अपराधी प्रवृत्ति का है आरोपी, परिवार भी अवैध धंधों में लिप्त
युवती को भगाने वाला मुस्लिम युवक अनस आपराधिक प्रवृत्ति का है। उसने युवती को डराया, धमकाया। अनस नौवीं फेल है, जबकि लडक़ी 12वीं पास है। एक जमाने में झोंपड़ी में रहने वाले अनस के पिता कल्लू मुसलमान ने देखते ही देखते बडी संपत्ति बना ली।
गांव में उसकी किराने, मोबाइल की दुकानें हैं। बड़े बेटे की बहू ब्यूटी पार्लर चला रही थी। तीन-चार कारें भी हैं। गांव वाले बताते हैं कि यह सब उसने शराब, जुए-सट्टे के अवैध धंधों से अर्जित किया है। गांव की जमीनों पर भी उसका कब्जा है। गांव की बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने की घटना के बाद ग्रामीणों के आक्रोश को भांपते हुए आरोपी का परिवार घर का ज्यादातर कीमती सामान लेकर निकल भागा।
सानौधा पूरे प्रदेश के लिए एक चेतावनी है कि यदि इस तरह की घटनाओं और बसाहट में होने वाले परिवर्तनों को नजरअंदाज किया गया तो उसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। ऐसे मामलों में सरकार के साथ साथ समाज को भी जागरूक होकर सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
