Home > राज्य > मध्यप्रदेश > भोपाल > अधिकारियों की सांठगांठ से हो रही 'कर' चोरी

अधिकारियों की सांठगांठ से हो रही 'कर' चोरी

राज्य सूचना आयोग ने परिवहन आयुक्त को दिए जांच के निर्देश, आरटीओ को अर्थदण्ड का नोटिस

भोपाल, विशेष संवाददाता। राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने प्रदेश के परिवहन आयुक्त को शहडोल जिले में कथित टैक्स चोरी के एक मामले में जांच के आदेश दिए हैं। सूचना के अधिकार के तहत अपील की वीडियोकॉल पर सुनवाई में यह मामला सामने आया। बड़े पैमाने पर वाहनों की खरीदी में कर चोरी से जुड़े इस मामले में सरकार को लाखों रुपए का की चपत लगाई गई है।

सूचना का अधिकार के तहत उजागर हुए मामले में एक ही वाहन के दो अलग-अलग बिल काटकर परिवहन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से जुड़े इस मामले में 297 वाहनों की खरीदी में 15 लाख रुपए की टैक्स वसूली पकड़े जाने की जानकारी भी लोक सूचना अधिकारी की तरफ से आयोग को दी गई। इस मामले में टैक्स चोरी का आकार कई गुना ज्यादा होने की भी संभावना है।

प्रकरण के अनुसार शहडोल निवासी रिची जगवानी ने परिवहन कार्यालय से 17 बिंदुओं पर वाहन खरीदी से संबंधित जानकारी चाही थी, लेकिन उनका आवेदन विभाग ने रद्द कर दिया था। आयोग की सुनवाई में उन्होंने कहा कि उनके पास इस बात के प्रमाण हैं कि वाहन एजेंसियों और विभाग के बीच खरीदे गए वाहनों के दो अलग-अलग बिल काटकर सरकार को राजस्व घाटा पहुंचाया जा रहा है।

सूचना का अधिकार के तहत आवेदन में इन्हीं से संबंधित जानकारियां मांगी गईं थीं, जो आवेदक को नहीं दी गईं। आवेदक का कहना था कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना वाहन एजेंसियां ऐसा बिलकुल नहीं कर सकतीं। यह कूटरचित दस्तावेजों से 'कर' चोरी का गंभीर मामला है लेकिन परिवहन विभाग जानकारी देने से बच रहा है। शहडोल क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आशुतोष सिंह भदौरिया को इस मामले में सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 20 (1) के तहत 25 हजार के अर्थदण्ड का नोटिस भी आयोग ने भेजा है।

राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने अपने निर्णय में कहा कि परिवहन विभाग का जवाब बिल्कुल संतोषजनक नहीं है। लोक सूचना अधिकारी द्वारा एकमुश्त यह कह देना कि चाही गई जानकारी विस्तृत और जटिल है और देना असंभव है, यह जाहिर करता है कि दाल में कुछ काला अवश्य है। आयोग ने शहडोल आरटीओ आशुतोष सिंह भदौरिया को चेतावनी दी है कि ऐसे जवाब देने से हर संभव बचा जाए और देने योग्य जानकारी समय पर दी जाए।

अगर किसी मामले में आर्थिक अनियमितता, कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से टैक्स चोरी से शासन के राजस्व को नुकसान पहुंचाने की बात हो तो प्रामाणिक पारदर्शिता के अतिरिक्त सजगता से जानकारियां देने की जरूरत है, जो इस प्रकरण में नहीं हुआ। इससे आम लोगों में यह धारणा और बलवती होती है कि सरकारी तंत्र में सब ऐसा ही चलता है या कुछ खास विभागों में पैसे की हेरफेर, अधिकारियों की मिलीभगत और टैक्स चोरी सब चलता है।

सूचना का अधिकार शासकीय कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए है, न कि परदा डालने के लिए। आयोग ने आरटीआई के तहत प्रस्तुत इस आवेदन को गंभीर मानकर परिवहन आयुक्त को आदेशित किया कि वे दो माह के भीतर शहडोल क्षेत्र में खरीदे गए वाहनों की निष्पक्ष जांच कराएं और इस मामले में आरटीआई के तहत आवेदन लगाने वाले रिची जगवानी का पक्ष जरूर सुना जाए। जांच की रिपोर्ट भी आयोग ने तलब की है।

Updated : 2 Aug 2020 12:04 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top