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मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड : कमीशन के फेर में अनावश्यक खरीदी, करोड़ों का घालमेल!

विनोद दुबे

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड : कमीशन के फेर में अनावश्यक खरीदी, करोड़ों का घालमेल!
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क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालयों की मांग के बिना ही कर डाली अगले पांच साल तक की खरीदी

भोपाल। मध्यप्रदेश में निरंतर बढ़ते प्रदूषण के कहर को नियंत्रित करने के लिए स्थापित मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भलें प्रदूषण को नियंत्रित करने में पूरी तरह असफल साबित हो रहा हो, लेकिन बोर्ड के अधिकारी अपने निजी उद्देश्यों की पूर्ति में पूरी तरह सफल दिखाई दे रहे हैं। बोर्ड के अधिकारियों पर कमीशनखोरी का नशा इस कदर चढ़ा है कि अधिकारियों ने क्षेत्रीय कार्यालयों की मांग के बिना ही प्रयोगशालाओं में शोध एवं विकास (आरएण्डडी) से संबंधित रसायनों और उपकरणों की अगले पांच साल तक की अनावश्यक खरीदी कर डाली है। कई उपकरण और रसायन खरीदे जा चुके हैं, जबकि कुछ सामग्री की खरीदी प्रक्रियाधीन है। अनावश्यक रूप से खरीदे गए इन उपकरणों और रसायनों की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है।

मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर शोध एवं विकास संबंधी कई प्रकार के उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है। प्रतिवर्ष अथवा जब भी किसी क्षेत्रीय कार्यालय में इस तरह के रसायनों और उपकरणों की कमी होती है तो इसकी पूर्ति के लिए प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के प्रादेशिक कार्यालय को मांग भेजी जाती है। प्रदेशभर के क्षेत्रीय कार्यालयों से आने वाली मांग के हिसाब से सामग्री खरीदी हेतु मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विज्ञप्ति जारी कर ठेकेदारों से सामग्री खरीदी करता है। इसके विपरीत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रांतीय कार्यालय में बैठे अधिकारियों ने रसायनों, उपकरणों और अत्यधिक मात्रा में ऐसी सामग्री की खरीदी कर डाली है, जिसकी बोर्ड को आवश्यकता ही नहीं है। बताया जा रहा है कि खरीदी अनावश्यक रूप से एवं अगले पांच वर्ष तक के लिए की गई है। जबकि पांच वर्ष की अवधि में कुछ रसायनों और उपकरणों के उपयोग नहीं होने पर इनके खराब होने की संभावना भी है। सूत्र बताते हैं कि इस तरह अनावश्यक खरीदी के पीछे कारण सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों की कमीशनखोरी है। अधिकारियों ने सामग्री प्रदाता ठेकेदार से सांठगांठ कर अत्यधिक मात्रा में सामग्री की खरीदी की है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि खरीदी गई अथवा प्रक्रियाधीन खरीदी की सामग्री की दरें भी उसकी मूल कीमत से कहीं अधिक हैं।

वरिष्ठ पद पर जमे हैं कनिष्ठ अधिकारी

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ एवं मालदार पद सदस्य सचिव सह पर्यावरण डायरेक्टर पर विगत पांच वर्षों से जमे बैठे ए.ए.मिश्रा विभाग के चार अन्य अधिकारियों से वरिष्ठता सूची में पीछे हैं। बताया जाता कि इंदौर में क्षेत्रीय अधिकारी के पद पर पदस्थ रहते सत्ताधारी दल के एक स्थानीय राजनेता की सिफारिश पर इन्हें चार वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर बैठा दिया गया था।

बोर्ड के सदस्य सचिव के रूप में बोर्ड की प्रशासनिक शक्तियों के अलावा कई निर्णयों के प्रस्ताव भी श्री मिश्रा के माध्यम से ही बोर्ड में रखे जाते हैं, जिसे बोर्ड की सहमति के बाद अध्यक्ष अंतिम रूप से पास करते हैं। सरकार बदल जाने के बाद भी श्री मिश्रा पूर्व की भांति पावर में हैं। श्री मिश्रा के बारे में बताया जाता है कि पर्यावरण डायरेक्टर के पद पर रहते वह बोर्ड के खाते से ईएनसी का वेतनमान अवैधानिक रूप से ले रहे हैं तथा वह बोर्ड में स्वयं के लिए प्रमुख पर्यावरण डायरेक्टर जैसा पद निर्मित कराने के प्रयास में भी हैं। सदस्य सचिव के रूप में इनके द्वारा रखा गया यह प्रस्ताव अभी शासन स्तर पर विचाराधीन है।

क्षेत्रीय कार्यालयों से मांग नहीं आने की स्थिति में भी आवश्यकता के अनुसार प्रांतीय कार्यालय द्वारा अपने स्तर पर सामग्री खरीदी की है। बोर्ड के डायरेक्टर के पद पर रहते मुझे ईएनसी का वेतनमान बोर्ड ने स्वीकृत किया है। शासन स्तर से भी यह अधिसूचित है। प्रमुख पर्यावरण डायरेक्टर का पद अभी शासन स्तर पर विचाराधीन है।

-ए.ए.मिश्रा, डायरेक्टर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल

अटकाई शीघ्र लेखकों के समयमान-वेतनमान की फाइल

बताया जा रहा है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पदस्थ 14 शीघ्र लेखकों की समयमान-वेतनमान की फाइल को भी पर्यावरण डायरेक्टर श्री मिश्रा ने अकारण अटका रखा है। जबकि एक शिकायत के बाद स्वयं मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यालय से इस फाइल पर शीघ्र और नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए जा चुके हैं। बोर्ड इन शीघ्र लेखकों को समयमान-वेतनमान दिए जाने की सहमति प्रदान कर चुका है। प्रमुख सचिव भी समयमान वेतनमान जारी करने के निर्देश दे चुके हैं। इसके बाद भी इन कर्मचारियों के समयमान-वेतनमान की फाइल को श्री मिश्रा ने अकारण अटका रखा है।

Updated : 24 March 2019 3:16 PM GMT
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Naveen Savita

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