मानव अधिकार आयोग की फाइलों में दफन हो रही 'चीखें': सिर्फ एक सदस्य के भरोसे पूरी संस्था, नोटिस की खानापूर्ति तक सीमित…

भोपाल। मानव अधिकारों का हनन रोकने के लिए गठित किए गए मप्र मानव अधिकार आयोग से भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। आयोग में न तो अध्यक्ष हैं और न ही पर्याप्त सदस्य हैं। सिर्फ एक सदस्य के भरोसे पूरा आयोग संचालित हो रहा है।
सदस्य संख्या पर्याप्त नहीं होने की आयोग में न तो बेंच लग रही है और न ही किसी मामले में सुनवाई हो रही है। सिर्फ नोटिस देने की खानापूर्ति हो रही है।
दरअसल, मप्र राज्य मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति लंबे समय से नहीं हुई है। आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी को ही कार्यवाहक अध्यक्ष बनाकर आयोग का काम चलाया जा रहा था।
पिछले महीने 7 मई को ममतानी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। ऐसे में आयोग में सिर्फ एक सदस्य राजीव टंडन हैं। उनका कार्यकाल दो महीने बाद अगस्त में समाप्त हो रहा है। एक सदस्य होने की वजह से बेंच लगाने का कोरम पूरा नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से मानव अधिकार हनन से जुड़े मामलों में आयोग कोई संवैधानिक निर्णय नहीं ले पा रहा है। चूंकि मानव अधिकार आयोग एक संवैधानिक संस्था है, इसलिए बेंच ही निर्णय लेती है।
रोजाना 10 मामलों में संज्ञान
बेंच नहीं लगने की वजह से आयोग में सिर्फ मानव अधिकार हनन से जुड़े मामलों में संज्ञान लेकर संबंधितों को नोटिस जारी किया जा रहा है। आयोग में रोजाना औसतन 10 मामलों में संज्ञान लिया जाता है। जिसमें ज्यादा मामले मीडिया रिपोर्ट के आधार पर होते हैं। मानव अधिकार हनन से जुड़ी शिकायतों पर भी आयोग संज्ञान लेता है। चूंकि वर्तमान में आयोग में अध्यक्ष नहीं होने एवं सदस्यों की संख्या पर्याप्त नहीं होने की वजह से काम प्रभावित हो रहा है।
दो महीने बाद हो जाएगा खाली
आयोग में अध्यक्ष समेत 3 सदस्यों हैं। सामान्यत: दो पद भरे रहते हैं। वर्तमान में एक सदस्य का कार्यकाल शेष है। दो महीने बाद एक मात्र सदस्य का कार्यकाल भी खत्म हो जाएगा। तब आयोग में मानव अधिकार हनन से जुड़े मामलों की सुनवाई पूरी तरह से बंद हो जाएगी। क्योंकि आयोग के अधिकार अध्यक्ष एवं सदस्यों के पास ही हैं।
नियुक्ति को लेकर शासन में कोई हलचल नहीं
मप्र मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष के लिए सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश पात्र होते हैं। आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष का कार्यकाल पिछले महीने पूरा हो चुका है। फिर भी सामान्य प्रशासन विभाग ने आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य की नियुक्ति के लिए कोई भी प्रक्रिया शुरू नहीं की है।
