मप्र में बिना पाठ्य पुस्तकों के खुल गईं पाठशालाएं: पांचवीं और आठवीं कक्षा की नहीं आईं किताबें…

पांचवीं और आठवीं कक्षा की नहीं आईं किताबें…
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जिस तेजी से पाठ्यक्रम बदले, किताबें उपलब्ध कराने में उतनी ही ढिलाई बरती

भोपाल। प्रदेश में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद पाठशालाओं में शैक्षणिक गतिविधियों का संचालन फिर से शुरू हो गया है। सभी निजी एवं सरकारी स्कूलों में नियमित कक्षाएं शुरू हो गई हैं। लेकिन पांचवी और आठवीं कक्षाओं का संचालन बिना पाठ्य सामग्री के हो रहा है।

क्योंकि एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित किताबें अभी आई ही नहीं हैं। जबकि ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले भी स्कूलों में एक महीने अध्यापन का कार्य हो चुका है। किताबों के अभाव में पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

दरअसल, शिक्षा नीति 2020 के तहत इस बार पांचवी एवं आठवीं कक्षा का पाठ्यक्रम बदला गया है। पाठ्यक्रम बदलने का फैसला साल के शुरू में हो गया था। लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी किताबें नहीं आई हैं।

जबकि दोनों कक्षाओं का संचालन अप्रैल महीने में भी चुका है। दोनों कक्षाओं के लाखों छात्रों ने बिना किताबों के एक महीने तक अध्ययन किया। चूंकि स्कूलों के पास किसी तरह का पाठ्यक्रम नहीं आया है। इस वजह से किसी भी विषय की पढ़ाई नहीं हुई है।

दरअसल, नई शिक्षा नीति 2020 के तहत मप्र शिक्षा मंडल और सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों से ही अध्यापन कार्य कराया जाना है। प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में जो किताबें वितरित की गई हैं, वे एनसीईआरटी की हैं। हालांकि शिक्षा विभाग का दावा है कि सरकारी स्कूलों में किताबों का वितरण हो चुका है।

इन स्कूलों में बिना किताबों के पढ़ाई

केंद्र सरकार द्वारा संचालित सभी पीएमश्री केंद्रीय विद्यालय, सभी जवाहर नवोदय विद्यालय। अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित स्कूल, सीबीएसई से मान्यता प्राप्त सभी निजी स्कूल। अन्य स्कूल जो एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से अध्यापन कराते हैं। उन सभी स्कूलों में पांचवी और आठवीं की अंग्रेजी माध्यम की किताबें नहीं है। किताबें कब तक आएंगी, इसकी कोई समय सीमा तय नहीं है।

इनका कहना है

"वैसे सरकारी स्कूलों में किताबें पहुंच गई है। मप्र पाठ्यपुस्तक निगम पुस्तकों का पूरा मामला देखता है। जो हमारे नियंत्रण में नहीं है। विस्तार से वही बता पाएंगे।" - संजय गोयल, सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग

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