तीन अलग-अलग आदेशों से हिल गया पुलिस महकमा: पुलिस मुख्यालय ने उखाड़े 'खूंटे’

पुलिस मुख्यालय ने उखाड़े खूंटे’
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आदेशों का पालन नहीं कराने पर अधिकारियों की तय होगी जिम्मेदारी

भोपाल। मप्र पुलिस मुख्यालय ने पिछले 8 दिन के भीतर तीन ऐसे आदेश जारी किए हैं, जिससे पूरा पुलिस महकमा हिल गया है। पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक, उप पुलिस महानिरीक्षक एवं अन्य कार्यालयों में वर्षों से एक ही जगह पदस्थ अधिकारी एवं कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने, 'दागीÓ पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारियों को थाने एवं अन्य किसी कार्यालय में पदस्थ नहीं करने तथा थानों में लंबे समय से जमे कर्मचारियों को हटाने के निर्देश सुखिर्यों में हैं।

साथ ही पुलिस मुख्यालय ने सभी पुलिस अधीक्षक, पुलिस आयुक्त, रेल पुलिस अधीक्षक एवं अन्य कार्यालयों प्रमुखों को कहा है कि निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित कर समय-सीमा के भीतर अवगत कराएं।

सामान्यत: पुलिस मुख्यालय लंबे समय से एक ही जगह जमे कर्मचारियों को हटाने के निर्देश जारी करता रहा है। लेकिन पुलिस मुख्यालय के अनुसार इन आदेशों पर अमल नहीं होता है। इस बार पुलिस मुख्यालय के तेवर सख्त नजर आ रहे हैं। अधिकारियों को संकेत दिए गए हैं कि आदेशों का अमल नहीं करने पर संबंधितों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

हालांकि जो रीडर, स्टेनों एवं सहायक 20-25 साल से पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक एवं अन्य कार्यालयों में एक ही जगह पर काम कर रहे हैं, वे अपने रसूख के दम पर कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं, लेकिन इस बार वे कामयाब नहीं हो पाएंगे।

मुख्यमंत्री ने दिए व्यवस्था सुधारने के निर्देश

दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने तबादला प्रक्रिया के बीच ही पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना को निर्देश दिए हैं कि जनता में पुलिस की छवि सुधारने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं। इसके बाद विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशासन आदर्श कटियार ने 10 जून, 13 एवं 17 जून को सभी पुलिस अधीक्षक, रेल पुलिस अधीक्षक, पुलिस आयुक्त एवं अन्य कार्यालय प्रमुखों के नाम निर्देश पत्र जारी किएैं। खास बात यह है कि इन पत्रों पर इतनी तेजी से अमल होता दिखाई दे रहा है, जो पिछले 20-25 साल में कभी नहीं हुआ।

इन तीन आदेशों से मचा हड़कंप

पहला आदेश: 10 जून


पुलिस मुख्यालय ने पहला आदेश 10 जून का निकाला। जिसमें सभी पुलिस अधीक्षक, पुलिस आयुक्त एवं रेल पुलिस अधीक्षकों के नाम लिखा कि थानों में किसी भी कर्मचारी की पदस्थापना 5 साल से अधिक न हो। किसी कर्मचारी को उसी पर उसी थाने में पुन: पदस्थ न किया जाए। अलग-अलग पदों पर एक ही थाने में पदस्थापना में 3 साल का अंतर रखा जाए। एक अनुविभाग में 10 साल से ज्यादा कार्यकाल न हो। इन निर्देशों का पालन करने की समय-सीमा 16 जून थी।

दूसरा आदेश: 13 जून


दूसरे आदेश में सभी पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस आयुक्त, रेंज उप पुलिस महानिरीक्षक, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक रेल, पुलिस उपायुक्त, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एसडीओपी कार्यालय में लंबे समय से पदस्थ रीडर, स्टेनो एवं उनके सहायक कर्मचारियों को हटाने के निर्देश दिए। पीएचक्यू ने माना कि लंबी अवधि से एक ही स्थान पर कार्य करने से निहित स्वार्थ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। लंबे समय से जमे कर्मचारियों को हटाने से पुलिस की निष्पक्ष छवि प्रदर्शित होगी।

तीसरा आदेश: 17 जून


तीसरे आदेश से पुलिस के उन अधिकारी एवं कर्मचारियों को झटका लगा है, जो भ्रष्टाचार, नैतिक अधोपतन, शारीरिक हिंसा, अपराधिक, अवैध निरोध एवं अन्य गतिविधियों में आरोपी हैं, विभागीय जांच लंबित, फिर भी थाने, क्राइम ब्रांच एवं अन्य प्रमुख जगह पर पदस्थ हैं। ऐसे किसी भी पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी को थाने, क्राइम ब्रांच में पदस्थ न किया जाए।

इनका कहना है

"यह सुव्यवस्थित करने के प्रयास हैं। अच्छा करने की कोशिश हमेशा रहेगी।" - कैलाश मकवाना, पुलिस महानिदेशक, मप्र

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