लव जिहाद नेटवर्क पर सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी…

भोपाल: मध्यप्रदेश में बेटियों के साथ जघन्यता और बर्बरता की जो खबरें सामने आ रही हैं वे दहला देने वाली है। इससे भी गंभीर बात यह है कि इसमें एक ही तरह का पैटर्न दिखाई दे रहा है और वो है हिन्दू लड़कियों का मुस्लिम युवकों द्वारा किया गया दैहिक शोषण और उत्पीड़न।
पुलिस ने इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां अवश्य की हैं, लेकिन संभवत: उसे खुद ही नहीं मालूम है कि यह जाल कितना बड़ा और कितना गहरा है। इसके तार कहां-कहां तक फैले और कहां-कहां से जुड़े हैं। दुखद तो यह है कि यह सब कुछ कई सालों से चल रहा है और कहावतों में लंबे हाथ रखने वाला कानून ऐसे आपराधिक तंत्र की जड़ों तक नहीं पहुंच पाया है।
भीतर से जो खबरें छनकर आ रही हैं, वे कहती हैं कि घटना का शिकार हुई युवतियों ने कई बार पहले भी पुलिस से इस बारे में संपर्क किया, लेकिन उनकी शिकायत को ‘ज्ञात-अज्ञात’ कारणों से अनसुना कर दिया गया।
यदि ऐसा हुआ है तो इसकी भी अलग से जांच जरूरी है कि शासन प्रशासन में वे कौन लोग हैं जो समझ बूझकर इन बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं, अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं। स्वयं मुख्यमंत्री मोहन यादव सार्वजनिक रूप से ऐसे मामलों में ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात कई बार कह चुके हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि उनके निर्देशों को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
अब इस मामले में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि इस पूरे घटनाक्रम और इसके पीछे छिपे जघन्य आपराधिक तंत्र को बेनकाब करने के लिए विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एसआईटी का गठन करे।
पता यह भी लगाया जाए कि आखिर क्यों राजधानी भोपाल ‘लव जिहाद’ का सेंटर बन गई है। क्यों यहां प्यारे मियां जैसे लोग फलते फूलते और बरसों बरस कानून के शिकंजे से बचते रहे हैं। ताजा मामले में जो जानकारियां आ रही हैं उनके चलते समानांतर रूप से एक जांच यह भी होनी चाहिए कि क्या प्रदेश के शिक्षा संस्थानों को ऐसे समाज विरोधी कृत्यों के लिए टूल बनाया जा रहा है।
शिक्षा संस्थान कौन लोग चला रहे हैं, वहां का वातावरण कैसा है, उनके परिसर के आसपास का माहौल क्या है, इन सब बातों की गंभीरता से जांच परख जरूरी है। इतना तय है कि ये घटनाएं न तो सामान्य अपराध हैं और न ही किसी एक या दो व्यक्तियों का काम।
कहीं ऐसा तो नहीं कि इसे संगठित रूप से अंजाम देने के लिए बाकायदा ट्रेनिंग और फंडिंग भी की जा रही हो। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने और समानांतर रूप से सामाजिक जागरूकता के अभियान चलाने की जरूरत है और वह भी तत्काल...
