Home > राज्य > मध्यप्रदेश > भोपाल > एक गांव ऐसा भी : जहां गाँव में कभी नहीं हुए चुनाव

एक गांव ऐसा भी : जहां गाँव में कभी नहीं हुए चुनाव

एक गांव ऐसा भी : जहां गाँव में कभी नहीं हुए चुनाव
X

ग्राम स्वराज का बेहतरीन उदाहरण है यह गांव, जिसमें मौजूद हैं सभी सुविधाएं

भोपाल/राजनीतिक संवाददाता। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में एक ऐसा गाँव है जो ग्राम स्वराज को बेहतरीन उदाहरण है। इस मॉर्डन गाँव में वे सारी सुविधाएं हैं, जो एक विकसित शहर में होती हैं। यहां के ग्रामीणों ने मिलकर एक ऐसे गाँव का निर्माण किया, जो देश के अन्य गाँवों के लिए प्रेरणास्वरूप हो सकता है। जिला नरसिंहपुर के करेली मंडल का गाँव है बघुवार। गाँव को देखकर आपको ऐसा लगेगा कि आप किसी गाँव में नहीं बल्कि किसी पार्क में हैं। चारों ओर हरियाली है चमचमाती सीमेंट की सडक़ें, हर घर में गोबर गैस, 100 प्रतिशत हार्वेस्टिंग, मिनी इनडोर स्टेडियम और स्विमिंग पूल विकास की गाथा खुद-ब-खुद बयां करते हैं। गाँव का हर बच्चा स्कूल जाता है।


गाँव में जाने के लिए पहले सड़क नहीं थी। गाँव के लोगों ने मिलकर तीन किमी की सड़क बनवाई, बाद में सरकार की मदद से सीमेंटेड सड़क बनी। गाँव की धमनी नदी के पास तालाब बनाया गया है। गाँव में बने सभी घरों की दीवारों पर सामान्य ज्ञान और इतिहास का उल्लेख है। गाँव के विकास के लिए एक संघ बनाया गया है, जिसका सदस्य हर घर का एक व्यक्ति है। गाँव के वे लोग जो बाहर नौकरी करते हैं वे सेवानिवृत्त होने के बाद अब अपने गाँव लौट रहे हैं और गाँव के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। आजादी के बाद से पंचायत चुनाव नहीं इस गाँव की सबसे खास बात ये है कि यहां आजादी के बाद से अभी तक पंचायत चुनाव नहीं हुआ है। गाँव के लोग अपना ग्राम प्रधान खुद चुनते हैं। गाँव में विकास की नींव स्व. ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने रखी। ठाकुर सुरेंद्र सिंह आसपास के क्षेत्रों में भैयाजी के नाम से प्रसिद्ध थे। ठाकुर सुरेंद्र सिंह के छोटे भाई ठाकुर नरेंद्र सिंह बताते हैं कि उनके पिता भी गाँव के सरपंच थे। उनका सपना था कि हमारा गाँव ऐसा हो जिसकी पहचान से हम जाने जाएं। बड़े भाई ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने उसे आगे बढ़ाया और अब मैं उसी रास्ते पर काम कर रहा हूं।

पूरी तरह जैविक खेती गाँव के किसान जैविक खेती ही करते हैं। सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर (एग्रीकल्चर) आरएस नरोलिया इसी गाँव के हैं। जिले से बाहर रहकर नौकरी पूरी करने बाद नरोलिया अब अपने गाँव लौट आए हैं और किसानों को नई तकनीकी सिखा रहे हैं। जैविक खाद के लिए गाँव में 20 गड्ढे बनाए गए हैं। इन गड्ढों में गाँव का कचरा इकट्ठा किया जाता है, जिससे खाद बनाई जाती है। हर वर्ष खाद की नीलामी की जाती है। गोबर गैस प्लांट में प्रदेश में सबसे आगे है ये गाँव केवल 2000 की जनसंख्या के इस गाँव में 35 ट्रैक्टर, 51 गोबर गैस संयंत्र, गन्ना बुवाई की 75 मशीन और 25 हैडपंप हैं। गोबर गैस के मामले में गांव पूरे प्रदेश में सबसे आगे है। ज्यादातर घरों में गोबर गैस की मदद से खाना पकाया जाता है। सफाई और जल संचयन गाँव में सफाई और जल संचयन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। लगभग 2000 आबादी वाले इस गाँव के हर घर में शौचालय है। सफाईकर्मियों द्वारा प्रतिदिन गाँव की सफाई की जाती है। जल निकासी की व्यवस्था है कि बारिश कितनी भी हो, गाँव में कभी पानी नहीं रुकता। सभी नालियां अंडरग्राउंड हैं। गाँव पूरी तरह मच्छर मुक्त है। जलसंचय के लिए नालियों को कुओं से जोड़ा गया है, जिसमें पानी इकट्ठा होता रहता है। पहले पानी की सतह 150 फीट नीचे थी जो अब 130 फीट तक आ गई है।

रोज निकलती है प्रभातफेरी 50 वर्षों से गाँव में सुबह पांच बजे प्रभातफेरी निकाली जाती है। भजन-कीर्तन की गूंज से गाँव जागता है। प्रभातफेरी में सभी जाति-धर्म के लोग शामिल होते हैं। इस काम के लिए रामायाण मंडल नाम से एक मंडली बनाई गई है। बघुवार गाँव को 2010 में राष्ट्रपति भी पुरस्कृत कर चुके हैं। प्रधान ठाकुर नरेंद्र सिंह बताते हैं कि वे गाँव को और विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। गाँव में 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। गाँव के बीच में दलित बस्ती है। इस गाँव पर फिल्म बना चुकीं माया विश्वकर्मा बताती हैं, ये गाँव की सबसे खास बातों में से एक है। जातिपात को दूर करने के लिए दलितों को गाँव के बीच में दलित बस्ती के नाम से बसाया गया है। गाँव में सभी जातियों की बस्तियां अलग-अलग हैं। दलित बस्ती गाँव की सबसे सुंदर बस्ती है। गाँव के लोग सुबह-शाम घूमने इसी बस्ती में जाते हैं। हर बस्ती के बाहर प्रवेशद्वार है। ये ग्राम पंचायत ने अपने खर्च से ही बनवाये हैं।

Updated : 28 March 2019 5:37 PM GMT
author-thhumb

Naveen Savita

Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.


Next Story
Top