Home > राज्य > मध्यप्रदेश > भोपाल > चुनावी सरगर्मी : अब जातीय जमावट में जुटी भाजपा-कांग्रेस

चुनावी सरगर्मी : अब जातीय जमावट में जुटी भाजपा-कांग्रेस

चुनावी सरगर्मी : अब जातीय जमावट में जुटी भाजपा-कांग्रेस
X

भोपाल/राजनीतिक संवाददाता। मप्र में लोकसभा चुनाव का रंग दिखाई पडऩे लगा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल जातीय गणित का संतुलन बनाने में लगे हैं। केन्द्र सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों को दस प्रतिशत आकर्षण का लाभ देकर जो मास्टर स्ट्रोक चला तो इससे घबराई कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के पिछड़े वर्ग के आरक्षण का कोटा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर लोकसभा चुनाव में अपने वोट बैंक में वृद्धि करने की मंशा से कदम बढ़ाया। एक खास बात जो इस चुनाव में मुद्दा बनने वाली है वह यही है कि कौन सा दल किस जाति वर्ग को अपने पक्ष में लाने में सफल होगा। जातीय गणित के रुप में आंकलन करें तो प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में 10 सीटें पिछड़ा वर्ग के बाहुल्य वाली हैं। प्रदेश में आधा दर्जन सीटें आदिवासी वर्ग तथा चार सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के बाहुल्य वाली हैं।

इन सीटों पर पिछड़ा वर्ग फैक्टर

मध्यप्रदेश में यह 10 सीटें भोपाल, जबलपुर, दमोह, खजुराहो, खंडवा, होशंगाबाद, सागर, मंदसौर, सतना और रीवा पिछड़ा वर्ग बाहुल्य हैं। इन सीटों पर कांग्रेस-भाजपा को अब जातिगत समीकरण साधने होंगे। अभी तक इन सीटों के उम्मीदवार का फैसला जातिगत आधार पर नहीं हुआ है। कांग्रेस में खंडवा से अरुण यादव, दमोह से रामकृष्ण कुसमरिया, मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन, सागर से प्रभुराम ठाकुर, होशंगाबाद से राजकुमार पटेल और रीवा से देवराज सिंह पटेल दौड़ में हैं। वहीं, भाजपा में दमोह से प्रहलाद पटेल, होशंगाबाद से राव उदयप्रताप सिंह और सतना से गणेश सिंह पिछड़ा वर्ग से आते हैं। जिन्हें पार्टी ने उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जबकि सागर से लक्ष्मी नारायण यादव भी इसी वर्ग से आते हैं। वर्तमान में इन सीटों पर भाजपा का कब्जा है और भाजपा अपने इस कब्जे को बरकरार रखने की कोशिश करेगी।

भाजपा इतिहास दोहराना चाहेगी

विधानसभा चुनाव में प्रदेश की आदिवासी सीटों धार,मंडला,शहडोल,बैतूल,रतलाम-झाबुआ और खरगौन पर कांग्रेस प्रत्याशियों को मिली जीत मिली थी। यही वजह है कि अब भाजपा ने गुपचुप तरीके से आदिवासियों में प्रभावशाली जयस संगठन से नजदीकियां बढ़ाना शुरू कर दी हैं । अभी इनमें से पांच भाजपा और एक सीट सिर्फ कांग्रेस के पास है, लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें, तो इन सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली है। इन संसदीय क्षेत्रों की विधानसभा सीटें अब कांग्रेस के पास हैं। इसी कारण भाजपा ने जयस और दूसरे आदिवासी संगठनों से नजदीकियां बढ़ा दी है। भाजपा उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने जयस के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की है।

आरक्षित सीटों पर है भाजपा का कब्जा

प्रदेश में भिंड,उज्जैन,टीकमगढ़ और देवास चार लोकसभा की सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन चारों ही सीटों पर इस बार लोकसभा चुनाव में कड़ा और रोचक मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 2014 में मोदी लहर के चलते चारों सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इन चारों में से दो सीटों पर मिले मतों के आधार पर बढ़त हासिल की है। यही नहीं इसके अलावा दो अन्य सीटों पर भी हार के अंतर को कम कर दिया है।

विधानसभा की हार, जीत में बदलने की चुनौती

लोकसभा की 26 सीटों पर काबिज भाजपा को इन सीटों पर कब्जा बरकरार रखने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद प्रदेश में सत्ता में आ चुकी कांग्रेस भाजपा के गढ़ों में सेंधमारी की तैयारी में है और इसके लिए भाजपा के नेताओं को तोडऩे का काम भी किया जा रहा है। अपने नेताओं को साधे रखने के लिए भाजपा को चुनाव के दौरान चुनौती का सामना करना पड़ेगा। लोकसभा में चरणवार मतदान कार्यक्रम घोषित होने के बाद अब टिकट के दावेदारों ने दिल्ली तक दौड़ लगाना शुरू कर दिया है। कुछ नेता संघ के माध्यम से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। इन हालातों में पार्टी के समक्ष बड़ी दिक्कत 1996 से लगातार अपने कब्जे में रखने वाली सीटों को बचाए रखने की है। भाजपा को नवम्बर-दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे अधिक 27 सीटों का नुकसान मालवा निमाड़ से हुआ है और यहीं से कांग्रेस को 24 सीटों का फायदा हुआ। इसी तरह महाकौशल में कांग्रेस भाजपा से 10 सीटें छीनने में कामयाब रही है। मध्यभारत और बुंदेलखंड में भाजपा को 6-6 विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा था। सिर्फ विन्ध्य क्षेत्र में ही भाजपा सात सीटें अधिक हासिल करने में सफल रही है। ऐसे में लोकसभा के नजरिये से भाजपा को विधानसभा में खोई सीटों का जनाधार हासिल करना होगा तभी जीत बरकरार रह सकेगी। हालांकि पार्टी के नेता इन दिनों चुनावी सभाओं में सभी 29 सीटों की जीत का टारगेट लेकर चल रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती प्रत्याशी चयन की है, ताकि घोषित उम्मीदवार को भितरघात का सामना न करना पड़े।

Updated : 30 March 2019 8:07 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Naveen Savita

Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.


Next Story
Top