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आज है रंगों का त्यौहार होली !

आज है रंगों का त्यौहार होली !
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उत्साह, सामाजिक एकता, हर्ष और ऋतु परिवर्तन का पर्व

भोपाल/मध्य स्वदेश संवाददातारंगों का त्यौहार होली! हिंदुओं का पारंपरिक रूप से 2 दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ, बसंत ऋ तु के आगमन के तौर पर मनाया जाता है। इस त्यौहार में पहले दिन होली जलाई जाती है, जिसे होलिकादहन कहते हैं और दूसरे दिन होली खेली जाती है, जिसे धुरेड़ी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है। इस दिन सभी लोग बैर भाव को भुला कर एक-दूसरे के गले मिल कर गुलाल और अबीर आदि रंग लगाते हैं, इस लिए इसे भाईचारे का त्यौहार भी माना जाता है।


होली हिंदुओं का एक बेहद लोकप्रिय पर्व है, जो हिंदू पंचाग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, मार्च के महीने में) मनाया जाता है, और इसे बच्चों से ले कर बुजुर्ग तक, हर एक उम्र के इंसान, और हिंदुओं के अलावा भी हर धर्म के लोग भी खेलना पसंद करते हैं। यह विशेष रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है और इस के साथ ही ऐसे देशों में, जहाँ पर अल्पसंख्यक हिंदू लोग रहते हैं, वहां भी धूमधाम के साथ इसे मनाया जाता है। होली, लोगों को करीब लाने का एक त्यौहार है, जिसकी शुरुआत होलिकादहन से होती है, फिर रंगों के साथ खेलना और उसके बाद अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से मिलना, होली को और भी मजेदार बना देता है।

घर पर ही रंग बनाएं

होली के त्यौहार को लोग, शरद ऋतु के अंत और बसंत ऋतु के आगमन की ख़ुशी में, लोगों पर रंगों और पानी की बरसात कर के उत्सव मनाते हैं। आप चाहें तो ऐसी गुलाल खरीद सकते हैं, जो कि प्राकृतिक हो और पलाश के फूलों से बनी हो, यह आप को लाल, गुलाबी और नारंगी रंगों में मिल सकती है। इन फूलों को सुखा कर और पीस कर इन का पाउडर तैयार किया जाता है। आप चाहें तो अबीर भी खरीद सकते हैं, जो अभ्रक के छोटे-छोटे कणों से मिल कर बनाई जाती है और यह चांदी के जैसे रंग की होती है। लोग इन दोनों को ही मिलाकर एक बेहद खूबसूरत लाल-नारंगी रंग का चमकीला पाउडर बना लेते हैं, जिसे वे लोगों के चेहरे, हाथों और शरीर पर तरह-तरह के रंग डालते हैं और होली के मजे लेते हैं।

सब के ऊपर रंग बरसाएं

पिचकारी एक पानी बन्दूक की तरह होती है, जिसके अंदर रंग भर के इसे लोगों के ऊपर बरसाया जाता है। सूखे रंगों को पानी में घोलें और फिर इसे पिचकारी में भर लें। लोगों को इस रंगीन पानी से भिगाने के लिए और इन रंगों के साथ में खेलने के लिए इस पिचकारी का इस्तेमाल करें। बच्चों के लिए तो यह त्यौहार बहुत महत्व रखता है, वे बाज़ार जा कर तरह-तरह की पिचकारियाँ और गुब्बारे (रंग से भरे हुए) लेकर आते हैं। इन गुब्बारों को एक-दूसरे पर फेंक कर होली खेलते हैं। बच्चे बड़ी उत्साह के साथ होली मनाने के लिए इन पिचकारियों का उपयोग करते हैं। यह पिचकारी, बच्चों को होली के त्यौहार के लिए दिया जाने वाला एक अच्छा उपहार है।

ढोलक की ताल पर नाचें और गाएं

ढोलक, होली जैसे त्योहारों में हाथ से बजाया जाने वाला एक वादक है। ढोलक की ताल पर नाच-गा कर इस रंगों के त्यौहार का आनंद उठाएँ। होली के गीत गाएँ और इसकी धुन पर अपने शरीर को हरकत करने दें। होली में बनाए जाने पकवानों और पेय पदार्थों का सेवन करें।


भारतीय पकवानों और पेय के साथ में होली उत्सव मनाने का मजा और बढ़ जाता है। अलग-अलग प्रांतों के अनुसार ऐसे बहुत सारे व्यंजन मौजूद हैं, जिनका सेवन करते हुए आप होली के इस त्यौहार का लुत्फ़ और भी ज्यादा अच्छे से ले सकते हैं। ठंडाई (भांग), होली में पिया जाने वाला एक मुख्य पेय है, जिसे गाढे दूध में नट्स (बादाम, काजू अदि) और मसाले डाल कर तैयार किया जाता है। पूरन पोली, होली में बनाया जाने वाला, महाराष्ट्र प्रांत का बहुत ही चर्चित मीठा व्यंजन है। इसे मैंदे की रोटी के अंदर मसूर की दाल और काजू, किशमिश, बादाम भर कर बनाया जाने वाला एक बेहद स्वादिष्ट मीठा व्यंजन है। गुझिया, होली के त्यौहार में, उत्तर भारतीय लोगों द्वारा बनाया जाने वाला एक बेहद स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे मैंदे की रोटी के अंदर कसार भर कर बनाया जाता है। कसार बनाने के लिए आप रवा, मावा, बेसन, काजू, किशमिश, बादाम, नारियल आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। दही-बड़ा, बहुत स्वादिष्ट नाश्ता है, जिसे उड़द की दाल से बने हुए बड़ों को, दही में भिगो कर रख कर बनाया जाता है।

मटकी तोडऩा

शहर में जगह-जगह पर छाछ से भरी हुई मटकियाँ लटकाई जाती हैं, मटकी तोड़, एक बहुत पुराना रिवाज है, जो वर्षों से चला आ रह है। इसके लिए सब से पहले मिट्टी की बनी हुई एक मटकी में छाछ को भरा जाता है, फिर इस मटकी को रस्सी की मदद से ऊपर लटकाया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि भगवान श्री कृष्ण छाछ और मक्खन के दीवाने थे, और वे अपने गाँव के घरों से जा कर मक्खन चुराया करते थे। इस मक्खन को भगवान कृष्ण से बचाने के लिए, गाँव की औरतें, इसे मटकी में डाल कर, अपने घरों में, गाँव में ऊपर कहीं रस्सी से बांधकर छिपा दिया करतीं थीं। और भगवान् कृष्ण इसे ढूंढ कर इस मटकी को तोड़ कर सारा माखन चुरा कर ले जाया करते थे। तो बस वही प्रथा सालों से मटकी तोड़ या दही हांडी के नाम से चली आ रही है। बहुत सारे लोगों को एक के ऊपर एक खड़ा कर के, एक बड़ा, ऊंचा स्तंभ बना लें। आप के शहर या गाँव में मौजूद लोग ही मिल कर, एक-दूसरे के कंधे या पीठ पर संतुलन जमा कर खड़े हो कर इस स्तंभ को बना सकते हैं।

नारियल की मदद से मटकी को तोड़ दें

जब आप का यह स्तंभ मटकी तक पहुँच जाए, तो सबसे ऊपर खड़े हुए लडक़े को अपने सिर से या फिर नारियल की मदद से कुछ इस तरह से मटकी को फोड़ना होगा, ताकि मटकी में रखा हुआ सारा दही या माखन उसके और स्तंभ में खड़े हुए लोगों के सिर पर गिरने लगे। परंपरा के अनुसार तो मटकी को सिर से फोड़ा जाता है, लेकिन आप चाहें तो इसे हाथ से भी फोड़ सकते हैं।

होली के गीत गाना

स्तंभ में खड़े हुए लोगों को वहां मौजूद औरतें घेर कर खड़ी हो जाती हैं। और इस दिन ये औरतें, लोक-लाज की फि़क्र किए बिना, होली के मजेदार गीत गा कर स्तंभ में खड़े लोगों के ऊपर बाल्टी भर-भर के पानी फेंकतीं हैं। ये औरतें, वहां मौजूद लोगों के सामने नाच-गा कर होली उत्सव का आनंद लेती हैं। होली पर गाए-बजाए जाने वाले ढोल, मंजीरों, फाग, धमार, चैती और ठुमरी की शान भी देखते ही बनती है। अलग-अलग जगहों में अलग-अलग तरह से होली खेलते हैं, जिसमें ब्रज की होली, मथुरा और वृन्दावन में 15 दिनों तक मनाई जाने वाली होली, बरसाने की लठमार होली और काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है। परिवारों में देवर-भाभी की होली और जीजा-साली की होली को काफी महत्व दिया जाता है।

अपनों के साथ में इस शाम का आनंद लें

कुछ लोग शाम को होली के जश्न में लोगों को आमंत्रित करते हैं, इस तरह से लोगों से मिलना-जुलना हो जाता है, लेकिन यदि आप चाहें तो अपने किसी खास इंसान के घर पर जा कर भी इस त्यौहार का आनंद ले सकते हैं। भाई-चारे के इस त्यौहार को, अपने दोस्तों परिवार के लोगों के गले मिल कर, और उन्हें शुभकामनाएँ दे कर पूरा करें। जब तक मन करे, होली के गीत गा कर नृत्य करें और इस त्यौहार का आनंद उठाएं। होली सही मायने में एक पूरे दिन भर मनाया जाने वाला त्यौहार है।

Updated : 20 March 2019 3:53 PM GMT
author-thhumb

Naveen Savita

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