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भोपाल लोकसभा : भाजपा में बाहरी का विरोध, कांग्रेस को चाहिए जीत

भोपाल लोकसभा : भाजपा में बाहरी का विरोध, कांग्रेस को चाहिए जीत
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राजनीतिक समीकरण साधने में जुटे नेता

भोपाल/राजनीतिक संवाददाता लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों के सामने इस बार कई चुनौतियां हैं। भोपाल संसदीय सीट को लेकर भाजपा अपनी जीत का रिकार्ड कायम रखना चाहती है तो कांग्रेस अपनी हार पर विराम लगाना चाहती है। इसके लिए चुनाव जिताऊ चेहरों पर दोनों दलों में मंथन जारी है।

भोपाल लोकसभा सीट करीब ढाई दशक से भाजपा के पास है। यहां से भाजपा के सामने कांग्रेस ने कई दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वे जीत दर्ज नहीं करा सके। भोपाल से भाजपा के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। भोपाल संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभाएं आती हैं। इनमें भोपाल मध्य, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल उत्तर, गोविंदपुरा, हुजूर, बैरसिया, नरेला और सीहोर है। इन आठ विधानसभा सीटों के मतदाता उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करते हैं। इस बार भोपाल संसदीय सीट पर कांग्रेस की भी पैनी नजर है। इसके लिए कांग्रेस ऐसे चुनाव जिताऊ चेहरों को टिकट देने पर मंथन कर रही है, जो भाजपा के कब्जे से इस सीट को निकाल सके। भोपाल लोकसभा से इस बार कांग्रेस दिग्विजय सिंह को चुनाव मैदान में उतार सकती है। दरअसल दिग्विजय सिंह तो राघौगढ़ सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं, लेकिन पार्टी हाईकमान उन्हें भोपाल से टिकट देना चाहते हैं। हालांकि यह निर्णय दिग्विजय सिंह पर ही छोड़ा गया है कि वे जहां से चाहे चुनाव लड़ें। इधर भाजपा में बाहरी उम्मीदवार को लेकर विरोध के स्वर मुखर हो गए हैं। इस बार स्थानीय नेता भोपाल लोकसभा से किसी स्थानीय नेता को ही टिकट देने की मांग कर रहे हैं। भोपाल लोकसभा से इस बार भाजपा में किसी बड़े नेता को टिकट देकर मैदान में उतारने की तैयारियां हैं, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर, उमाशंकर गुप्ता सहित अन्य बाहरी नेता का विरोध कर रहे हैं। हालांकि बाबूलाल गौर और उमाशंकर गुप्ता खुद अपने लिए भी यहां से टिकट की मांग कर रहे हैं।

ये है भोपाल संसदीय सीट का इतिहास

भोपाल लोकसभा सीट से वर्ष 1989 के बाद से गैर कांग्रेसी उम्मीदवार जीतते रहे हैं। वर्तमान में यहां से आलोक संजर सांसद हैं। इनसे पहले कैलाश जोशी दो बार वर्ष 2004 और 2009 में यहां से विजयी रहे हैं। आजादी के बाद भोपाल में लोकसभा की दो सीटें थी रायसेन और सीहोर, तब सीहोर सीट से कांग्रेस के सैयद उल्लाह राजमी ने उद्धवदास मेहता को हराया था, जबकि रायसेन सीट से कांग्रेस के चतुरनारायण मालवीय ने निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ठाकुर को मात दी थी। इसके बाद वर्ष 1957 में दोनों सीटों को मिलाकर एक भोपाल लोकसभा सीट हो गई। वर्ष 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में मैमूना सुल्तान ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया और उन्होंने हिंदू महासभा के हरदयाल देवगांव को शिकस्त देकर सांसद बनी। इसके बाद उन्होंने 1962 के लोकसभा चुनाव में भी लगातार दूसरी बार हिंदू महासभा के ओमप्रकाश को हराया और सांसद चुनी गईं, लेकिन 1967 के लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट पर कांग्रेस को पहली बार हार का सामना करना पड़ा। भारतीय जनसंघ के जेआर जोशी ने कांग्रेस उम्मीदवार मैमूना सुल्तान को तीसरी जीत हासिल करने से रोका और पहली बार भोपाल पर गैर कांग्रेस दल का कब्जा हुआ। वर्ष 1971 में कांग्रेस ने भोपाल सीट से पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया। शंकरदयाल शर्मा ने शानदार जीत दर्ज कराते हुए 1971 में कांग्रेस की वापसी कराई, लेकिन आपातकाल के चलते अगले चुनाव में कांग्रेस को देशभर में करारी हार का सामना करना पड़ा और भोपाल सीट से 1977 में भारतीय लोकदल के उम्मीदवार आरिफ बेग ने शंकरदयाल शर्मा को हरा दिया। इसके बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में फिर भोपाल सीट पर कांग्रेस ने पुन: कब्जा किया। इस बार शंकरदयाल शर्मा ने आरिफ बेग को बड़े अंतर से हराया। कांग्रेस ने इस जीत को 1984 के लोकसभा चुनाव में बनाए रखा। इस बार कांग्रेस ने केएन प्रधान को उम्मीदवार बनाया था और वे चुनाव जीतकर भोपाल सीट से सांसद बने, लेकिन इसके बाद भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस पूरी तरह गायब हो गई। भाजपा ने भोपाल सीट से 1989 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव रहे सुशील चन्द्र वर्मा को मैदान में उतारा और उन्होंने कांग्रेस को ऐसी शिकस्त दी कि वह यहां से फिर दोबारा उबर ही नहीं पाई। वर्ष 1989 से 1998 तक चार बार लोकसभा के चुनाव हुए और सुशीलचन्द्र वर्मा ने चारों बार कांग्रेस को हराकर इस सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा। इसके बाद 1999 में भाजपा नेत्री उमा भारती ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी को शिकस्त देकर भोपाल सीट पर भाजपा का कब्जा बनाए रखा, फिर, 2004 और 2009 में भाजपा के दिग्गज नेता कैलाश जोशी ने कांग्रेस उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह ठाकुर को हराया था। पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से आलोक संजर सांसद बने। इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार आलोक संजर ने कांग्रेस के पीसी शर्मा को हराया। आलोक संजर को 7 लाख 14 हजार 178 यानी 63.19 फीसदी वोट मिले थे, जबकि पीसी शर्मा को 3 लाख 43 हजार 482 यानी 30.39 फीसदी वोट मिले। भाजपा को पिछले चुनाव में 3 लाख 70 हजार 696 वोटों से जीत मिली थी।

ये है मतदाताओं की संख्या

लोकसभा 2014 के आम चुनाव के दौरान भोपाल लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 1957241 थे। इनमें से 1039153 पुरुष मतदाता और 918021 महिला मतदाता थे। अन्य मतदाताओं की संख्या 67 थी। पोलिंग स्टेशन 1977 थे। वर्ष 2014 में 28 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। जबकि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 1461382 थी।

इनकी खुल सकती है लॉटरी

भाजपा से वर्तमान सांसद आलोक संजर भी टिकट के दावेदार हैं। उनके अलावा महापौर आलोक शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता भी टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। कांग्रेस से दिग्विजय सिंह का नाम चल रहा है। उनके अलावा गोविंद गोयल, जिलाध्यक्ष कैलाश मिश्रा का नाम भी दावेदारों में शामिल है। यदि कांग्रेस दिग्विजय सिंह को भोपाल से चुनाव मैदान में उतारती है तो भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या बाबूलाल गौर पर भाजपा दांव खेलेगी।

Updated : 20 March 2019 3:45 PM GMT
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Naveen Savita

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