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मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं

मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं
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इन दिनों कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन को लेकर बैठकों का दौर जारी है।भोपाल से लेकर दिल्ली तक रणनितियां बनाई जा रही है। विधानसभा में जीत के बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी परचम लहराने को आतूर नजर आ रही है। इसी कड़ी में बुधवार को प्रदेश कांग्रेस के पार्टी पदाधिकारियों से संगठन की मजबूती लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 1 घंटे तक चर्चा की और लोकसभा चुनाव में हर हालत में जीत दर्ज कराने की बात कही। कमलनाथ ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा है किविधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 150 सीटें मिलने की पूरी उम्मीद थी। किंतु पार्टी से टिकट न मिलने से बागी होकर चुनाव लड़े प्रत्याशियों ने कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया जिससे चुनाव नतीजों में कांग्रेस 114 सीटों पर सिमट कर रह गई। पार्टीके सर्वे में यह बात सामने आई कि उसे बागियों की वजह से करीब 40 सीटों पर नुकसान हुआ और जिससे पार्टी के प्रत्याशी जीत नहीं पाए। लोकसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए विधानसभा चुनाव बागी होकर लड़े लोगों को मनाएं।बसपा, सपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी या अन्य कांग्रेस की विचारधारा से मेलजोल रखने वाले लोगों को पार्टी में शामिल कराएं। इस बार कोई लापरवाही नही होनी चाहिए। पार्टी का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करने का है।

ग्वालियर-चंबल अंचल की चारों सीटों पर कांग्रेस की नजर

कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में नकसान कम करने की जिम्मेदारी स्वयं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संभाली थी जिससे पार्टी को 34 में से 26 सीटों पर जीत मिली। विधानसभा चुनाव के ये परिणाम लोकसभाचुनाव के नतीजों में परिवर्तित होते हैं तो पार्टी को इस अंचल की चारों सीटें गुना-शिवपुरी, मुरैना, ग्वालियर और भिंड सीट पर जीत पक्की लग रही है। हालांकि इसके लिए पार्टी ने तैयारियां शुरु कर दी है। सिंधिया के साथ साथ उनकी पत्नी प्रियदर्शनी भी अंचल में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। इसके अलावा चंबल के नेताओं को भी जीत की जिम्मदारी सौंपी गई है जो कांग्रेस के फेवर में माहौल तैयार कर सके। वर्तमान में 29 सीटों में से कांग्रेस के पास केवल तीन सीटें है।

मालवा-निमाड़ पर फिर से लक्ष्य

इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को मालवा निमाड़ में बड़ा नुकसान उज्जैन लोकसभा में हुआ, जहां माया त्रिवेदी, राजेंद्र वशिष्ठ पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़े और दोनों सीटें भाजपा जीत गई। इसी तरह महिदपुर सीट पर भी कांग्रेस के बागी दिनेश जैन बोस को जनता का खासा समर्थन मिला। मंदसौर लोकसभा सीट पर भी पार्टी के बागियों ने पार्टी को खासा नुकसान पहुंचाया। इस लोकसभा सीट पर पार्टी नए सिरे से जीत के समीकरण बिठा रही है। इस लोकसभा में आने वाली 8 सीटों में से सिर्फ कांग्रेस सुवासरा सीट ही 350 वोटों से जीत पाई। बाकी सात सीटों पर उसे मुंह की खाना पड़ा। जावद से निर्दलीय चुनाव लड़े समंदर पटेल पार्टी प्रत्याशी पर भारी रहे, हालाकि वे चुनाव हार गए। इसलिए पार्टी बागियों को पहले से ही मनाने में जुट गई है ताकी फिर से कोई नुकसान ना उठाना पड़े।

खंडवा में नुकसान भरपाई में जुटी पार्टी

खंडवा लोकसभा से तहत आने वाली सिर्फ तीन सीटों पर ही पार्टी प्रत्याशी झूमा सोलंकी, सचिन बिड़ला और नारायण सिंह पटेल को जीत मिली। इनमें पार्टी की बागी रूपाली बारे के निर्दलीय मैदान में उतरने से पार्टी को नुकसान पहुंचा। इसी तरह बुरहानपुर से तो पार्टी के निर्दलीय सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने मंत्री अर्चना चिटनिस को हराकर चुनाव जीता। इस लोकसभा सीट पर नुकसान भरपाई की जिम्मेदारी पार्टी पदाधिकारियों को सौंपी गई है। पार्टी नही चाहती कि विधानसभा चुनाव की तरह इस सीट पर खेल बिगडे और हार हाथ लगे। इसलिए पहले से ही सभी को सचेत कर दिया गया है। हां की 8 विधानसभा सीटों में से 3 पर बीजेपी, 4 पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय का कब्जा है।नंदकुमार यहां से वर्तमान सांसद है।लेकिन जनताकी नारजगी के चलते इस सीट पर कांग्रेस को जीतने की उम्मीद है। सालों पहले इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा हुआ करता था।

इन सीटों पर हार पर मंथन

रीवा लोकसभा सीट की आठों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को करारी हार मिली थी। इस सीट को लेकर कांग्रेस मे विशेष मंथन किया जा रहा है। वही सतना लोकसभा के अंतर्गत आने वाली दो सीटों पर ही कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाह और नीलांशु चतुर्वेदी जीते। बाकी सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। सीधी लोकसभा सीट से सिंहावल से पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल जीते। इस लोकसभा के तहत आने वाली बाकी सीटें भाजपा ने जीती। सतना से कांग्रेस वरिष्ठनेता अजय सिंह को उतारने की तैयारी कर रही है। हालांकि कई अन्य के नामों को लेकर भी चर्चा चल रही है।

एक नजर मंदसौर लोकसभा सीट पर

मंदसौर-नीमच लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों के क्षेत्र मिलाकर बना है। इसमें मंदसौर, नीमच के साथ रतलाम की जावरा सीट शामिल है भाजपा के दिग्गज नेता स्व. लक्ष्मीनारायण पांडेय यहां से सांसद रह चुके हैं। 2009 के चुनाव में कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन इस कद्दावर नेता को हराकर संसद पहुंची थीं। संसदीय क्षेत्र में 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 8 में से 7 और कांग्रेस एक सीट पर जीती थी। 2018 में भी 2013 ही रिपीट हुआ है। भाजपा सात पर अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब हुई और कांग्रेस अपनी एक सीट बचाने में सफल रही। जहां तक 2014 के लोकसभा चुनाव में हार जीत का अंतर है उसमें 2014 में भाजपा के वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता 3 लाख 33 हजार मतों से जीते थे। यदि मतदाताओं की बात करें तो मंदसौर संसदीय क्षेत्र में कुल 16 लाख 73 हजार 563 मतदाता हैं। इनमें से 8 लाख 64 हजार 76 पुरुष, 8 लाख 94 हजार 65 महिला और 14 थर्ड जेंडर के मतदाता हैं। इसमें मंदसौर जिले की 4 विधानसभा सीटों के कुलमिलाकर 9 लाख 17 हजार 784 मतदाता, नीमच जिले की 3 विधानसभा सीटों के कुल मिलाकर 5 लाख 45हजार 854 मतदाता और रतलाम जिले की जावरा विधानसभा सीट के 2 लाख 9 हजार 925 मतदाता शामिल हैं।

दिग्विजय की अग्नि परीक्षा

दिग्विजय सिंह के लोकसभा चुनाव लडऩे के प्रश्न पर कमलनाथ ने बड़ा बयान दिया है। कमलनाथ ने कहा कि हम चाहते है कि दिग्विजय सबसे कठिन सीट से चुनाव लड़े। प्रदेश में ऐसी चार-पांच सीटे हैं जिन्हें हम 30 से 35 साल से नहीं जीते हैं। मैंने उन्हें इन्हीं में से सबसे कठिन सीट से चुनाव लडऩे के लिए निवेदन किया है। जल्द ही हम इस पर अंतिम निर्णय लेंगें। वही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए देवेन्द्र चौरसिया की मौत पर कमलनाथ ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। दोषी चाहे कोई भी हो छोड़ा नहीं जाएगा। जल्द इस मामले में जांच की जाएगी। दिग्विजय को सबसे कठिन सीट से चुनाव लड़ाने के बयान पर सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है।

प्रदेश की वीआईपी सीट गुना


गुना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की वीआईपी सीट है। यहां सालों से सिंधिया परिवार का ही कब्ज़ा रहा है। गुना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक ऐसा लोक सभा क्षेत्र है जहां अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों मेंविजयाराजे सिंधिया 7 बार, माधवराव सिंधिया 3 बार और ज्योतिरादित्य सिंधिया 4 बार चुने गए हैं। कुल 16 चुनावों में 14 चुनाव तो सिंधिया परिवार ने ही जीते हैं। इस सीट पर सिंधिया राजघराने के सदस्य का ही राज रहा है। ग्वालियर चंबलअंचल की दो ही सीट ऐसी हैं जहां सिंधिया चुनाव लडऩा पसंद करते हैं, इनमें एक गुना और दूसरी ग्वालियर है। फिलहाल पिछले 4 चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत मिली है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंनेभाजपा के जयभान सिंह को भारी मतों से हराया था। 2011 की जनगणना के मुताबिक गुना की जनसंख्या 24 लाख 93 हजार 6 सौ 75 हैं। यहां की 76.66 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 23.34 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र में रहती हैं। गुना में18.11 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति और 13.94 प्रतिशत लोग अनुसूचित जनजाति के हैं। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 में गुना में कुल 16 लाख 5 हजार 6 सौ 19 मतदाता थे। जिसमें से 7 लाख 48 हजार 2 सौ 91 महिला मतदाताऔर 8 लाख 57 हजार 3 सौ 28 पुरुष मतदाता थे।

राजा-महाराजा पर फंसा पेंच

ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार अपने पिता की ग्वालियर सीट वापस हासिल करना चाहते हैं परंतु वो भाजपा की सूची का इंतजार कर रहे हैं। यदि भाजपा ने यहां से कोई वजनदार नाम घोषित किया तो ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी गुना सीट से ही लड़ेंगे। दिग्विजय सिंह के लिए राजगढ़ सीट सबसे आसान है, लेकिन उन पर दवाब बनाया जा रहा है कि वो इंदौर या भोपाल से चुनाव लड़ें। भाजपा ने यदि भोपाल से बाबूलाल गौर को टिकट दे दिया तो दिग्विजय सिंह के लिए मुश्किल होगी। इसलिए वो भी भाजपा की सूचि का इंतजार कर रहे हैं। यह मसला अब तक तय नहीं हो पाया और उम्मीद है कि इंदौर, भोपाल व राजगढ़ का फैसला सबसे अन्त में होगा। दो नेताओं के फेर में कुल 5 सीटें अटकी हुईं हैं।

इन सीटों पर नाम तय माने जा रहे हैं

कांग्रेस ने अब तक किए मंथन में गुना ज्योतिरादित्य सिंधिया, छिंदवाड़ा नकुलनाथ, रतलाम-झाबुआ कांतिलाल भूरिया, खंडवा अरुण यादव, सीधी अजय सिंह, सतना राजेंद्र सिंह के नाम लगभग फाइनल हैं। जबकि मुरैना रामनिवास रावत, भिंड रामनारायण हिंडोलिया, महेंद्र बौद्ध, बैतूल अजय शाह, सागर प्रभुसिंह ठाकुर, टीकमगढ़ संजय कसगर, दमोह रामकृष्ण कुसमरिया, देवास प्रहलाद टिपानिया, रीवा सिद्धार्थराज तिवारी, खरगौन प्रवीणा बच्चन तथा बालाघाट से विश्वेश्वर भगत के नाम पर लगभग सहमति बन चुकी है।

यहां एक अनार सौ बीमार

भोपाल अनिल शास्त्री, गोविंद गोयल, कैलाश मिश्रा, गुना प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया, बालाघाट मधु भगत, पवन कावरे, मंडला गुलाब सिंह, एनपी वरकड़े शहडोल हिमाद्री सिंह, प्रमिला सिंह उज्जैन नीतिश सिलावट, सीमा परमार, सागर प्रभु सिंह ठाकुर, भूपेंद्र गुप्ता, राजगढ़ (सर्वे के आधार पर), होशंगाबाद रामेश्वर नीखरा, सुरेश पचौरी, सविता दीवान शर्मा, धार गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, खंडवा अरुण यादव, मंदसौर मीनाक्षी नटराजन, राजेंद्र सिंह गौतम, इंदौर रेणुका पटवारी, अर्चना जायसवाल, पंकज संघवी, जबलपुर विश्व मोहन दास, अन्नू जगत सिंह, टीकमगढ़ संजय कसगर, आनंद अहिरवार, विदिशा शैलेंद्र पटेल, राजकुमार पटेल।

Updated : 20 March 2019 3:40 PM GMT
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Naveen Savita

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