भोपाल/राजनीतिक संवाददाता। प्रदेश में वित्तीय संकट गहरा गया है, लोकलुभावनी घोषणाओं को पूरा करने से खजाने पर बड़ा असर पड़ा है। जिसके चलते अब सरकार को कर्मचारियों का वेतन देने की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा है। प्रदेश के नगरीय निकाय कर्मचारियों का वेतन अटक गया है, प्रमुख त्योहारों में से एक होली पर इन कर्मचारियों की जेब खाली रहने वाली है। क्योंकि ज्यादातर नगरीय निकायों के कर्मचारियों को मार्च का वेतन ही नहीं मिला है। नगरीय निकायों के करीब एक लाख से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित हुए हैं।
नगरीय निकायों के कर्मचारियों के वेतन पर संकट आ गया है। यह वेतन कर्मचारियों को मार्च के पहले हफ्ते में मिलना था। राज्य सरकार द्वारा निकायों को हर महीने चुंगीकर क्षतिपूर्ति के रूप में पैसा दिया जाता है। चूंकि नगरीय निकायों के पास आय का बहुत बड़ा साधन नहीं है, इसलिए इसी पैसे से वे अपने कर्मचारियों को वेतन देते हैं। फरवरी में दिए जाने वाले चुंगीकर क्षतिपूर्ति के 320 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने अभी तक नहीं दिए हैं। इस वजह से निकाय कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन नगर निगम को छोडक़र अन्य निकायों के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। इसमें सफाई कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी सहित अन्य कर्मचारी शामिल हैं। इसके साथ ही निकायों में बिजली के बिल, डीजल के बिल सहित अन्य भुगतान भी रुक गए हैं। बताया जा रहा है कि नगरीय निकायों को चुंगीकर क्षतिपूर्ति के रूप में 320 करोड़ रुपए देने की स्वीकृति अभी वित्त विभाग से नहीं मिली है। जिसके चलते वेतन का मामला अटका हुआ है। यह पैसा वित्त विभाग की मंजूरी के बिना नहीं दिया जा सकता। 20 मार्च के बाद चुंगीकर क्षतिपूर्ति का पैसा जारी करने की बात कही जा रही है, ऐसी स्थिति में होली तक खाते में पैसा मिलना नामुमकिन है, जिसके चलते होली खली जेब ही मानेगी। पहले नगरीय निकाय चुंगीकर वसूलते थे।
चुंगीकर खत्म होने के बाद मप्र सरकार हर महीने निकायों को इसकी क्षतिपूर्ति राशि देती है। इन्हीं पैसों से निकाय अपने कर्मचारियों को वेतन देते हैं। वेतन का संकट नगरीय निकायों के अलावा उद्यानिकी विभाग, लोक निर्माण विभाग में भी सामने आया है। लोक निर्माण विभाग में इंजीनियरों को जनवरी, फरवरी का इकट्ठा वेतन मार्च में दिया गया है ।