'वोटबैंक' में 'सेंधमारी'
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जातिगत आधार पर रणनीतियां बनाने में जुटे राजनीतिक दल
भोपाल/सुमित शर्मा। मध्यप्रदेश में भाजपा-कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल जातिगत आधार पर रणनीतियां बनाने में जुटे हुए हैं। इनकी नजर जहां प्रदेश के 52 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के समुदायों पर है तो वहीं अनुसूचित जाति की 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति का 17 प्रतिशत वोटबैंक भी अहम है। इसी तरह प्रदेश का करीब 11 प्रतिशत सामान्य वर्ग का मतदाता भी चुनाव में अहम भूमिका निभाता है। फिलहाल राजनीतिक दल इन जातिगत वोटबैंकों में सेंधमारी करने की कवायद में जुटे हुए हैं।
मध्यप्रदेश की करीब 52 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग जातियों पर भाजपा-कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों की नजर है। अब इस 52 प्रतिशत वोट बैंक को साधने की कवायद में सभी जुटे हुए हैं। एक तरफ चुनाव आचार संहिता से पहले कांग्रेस सरकार ने ओबीसी का आरक्षण 17 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया और अपने अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग को मैदान में उतार दिया है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा का ओबीसी मोर्चा भी मैदान में एक बार फिर से सक्रिय हो गया है। प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की लगभग 93 जातियां हैं और इन जातियों की करीब 275 उपजातियां हैं। इस तरह से अन्य पिछड़ा वर्ग का वोट प्रतिशत 52 है। प्रदेश में 20 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति एवं 17 प्रतिशत अनुसूचित जाति का वोट बैंक है। प्रदेश में अजा-जजा के वोटबैंक पर भाजपा, कांग्रेस और बसपा का कब्जा है। इनके वोट तीनों दलों के बीच में बंटते हैं। इसी तरह प्रदेश के 52 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं पर भाजपा की पकड़ ज्यादा मजबूत है। अब इस पकड़ को कांग्रेस ने अपने पक्ष में करने के लिए आरक्षण का दांव खेला है। कांग्रेस ने चुनाव आचार संहिता से पहले ओबीसी का आरक्षण 17 से बढ़ाकर 27 करने का आदेश जारी कर दिया है। कहीं न कहीं कांग्रेस का यह दांव भाजपा पर भारी पड़ सकता है, लेकिन अब भाजपा का पूरा दारोमदार अपने ओबीसी मोर्चे पर है। भाजपा का ओबीसी मोर्चा हर लोकसभा सीट पर सक्रिय है, लेकिन कांग्रेस ने भी अपने अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग के लोकसभा प्रभारियों की नियुक्ति करके उन्हें मैदान में उतार दिया है।
ये हैं सीटों की स्थिति-मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें अनुसूचित जाति और 45 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इसी तरह लोकसभा की 29 सीटों में से 4 अजा और 6 अजजा के लिए आरक्षित हैं। शेष सीटों पर सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस की नजर इन अजा-जजा की 10 सीटों पर गढ़ी हुई है तो वहीं अन्य सीटों को जीतने के लिए भी रणनीतियां तैयार की जा रही हैं। दरअसल पिछले दिनों मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने आदिवासी वर्ग के विधायकों की बैठक में उन्हें इन आदिवासी सीटों पर जीतने का लक्ष्य दिया है। इसके अलावा उन्होंने आदिवासी वर्ग के मंत्रियों को भी क्षेत्रों में सक्रिय रहने के निर्देश दिए हैं। अब मंत्री इन आदिवासी सीटों पर जीतने के लिए कवायद में जुटे हुए हैं। प्रदेश के नौ जिले जहां पर आदिवासी वोटबैंक की बहुतायत है। इनमें मंडला, अनूपपुर, डिंडौरी, बालाघाट, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, बैतूल, सिंगरौली, उमरिया प्रमुख हैं।
इनका कहना है
प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का वोट प्रतिशत 52 है। भाजपा के शासनकाल में सरकार ने ओबीसी वर्ग के लिए बहुत कुछ किया है। कांग्रेस सरकार ने आरक्षण बढ़ाकर 27 कर दिया है, लेकिन इनकी पिछली सरकारों में ओबीसी वर्ग की क्या दशा थी यह सबको पता है। आरक्षण बढ़ाने से उनकी समस्याएं समाप्त नहीं होंगी।
- भगतसिंह कुशवाह, प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी मोर्चा, भाजपा
हमारी सरकार का लक्ष्य प्रदेश के हर वर्ग को उसकी मूलभूत जरूरतें दिलाना है। हम हर वर्ग के लिए काम कर रहे हैं। जातिगत आधार पर चुनाव मैदान में उतरना कांग्रेस की फितरत में ही नहीं हैं। हमारा एक ही लक्ष्य है प्रदेश के हर वर्ग, हर नागरिक को उसका अधिकार मिले।
- शोभा ओझा, मुख्य प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस मीडिया विभाग
Naveen Savita
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