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आचार संहिता से पहले हबड़-तबड़ में दिखी सरकार

आचार संहिता से पहले हबड़-तबड़ में दिखी सरकार
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चुनावी वादे निभाने के चक्कर में भूले सीमा

भोपाल/राजनीतिक संवाददाता। 17वीं लोकसभा के चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार की ओर से दिखाई गई हबड़-तबड़ को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सरकार द्वारा आचार संहिता से पहले की गई घोषणओं, तबादलों तथा अन्य मामलों को लेकर निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाया है। आचार संहिता लगने से पहले कमलनाथ सरकार ने बीते 10 दिनों में ताबड़तोड़ काम किया।

इस दौरान तीन अध्यादेश और 20 संशोधित नियम अधिनियम व विधेयक प्रकाशित कर दिए। सरकार ने चुनावी बिसात पर खुद को वचन का पक्का साबित करने के लिए वचन-पत्र में से 86 वचनों को पूरा करने के आदेश भी जारी कर दिए। बजट लेखानुदान और अनुपूरक बजट में भी चुनावी एजेंडे को ध्यान में रखा गया। योजनाओं के बजाए वचनों पर बजट प्रावधान किया गया। अब कांग्रेस सत्ता व संगठन के तालमेल के साथ चुनाव में इन्हीं फैसलों और आदेशों के बल पर वोट मांगती दिखेगी।

तीन दिन में 350 से ज्यादा तबादले

कमलनाथ सरकार ने पिछले तीन दिन में 350 से ज्यादा तबादले किए। कमलनाथ ने खुद दो दिन पूर्व कहा था कि 15 साल से जमे लोगों को हटा रहे हैं। कमलनाथ के इस बयान के बाद तबादले बढ़ गए। हालांकि इनमें अधिकतर तबादले मनमर्जी वाले हुए। सरकार ने लगभग सारे जिलों के भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी जिलाधीश एवं पुलिस अधीक्षकों के अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों इन ढाई महीने में बदल दिए। पहला अवसर है जब किसी सरकार ने प्रदेश के 52 में से 39 जिलों के जिलाधीशों और लगभग इतने ही पुलिस अधीक्षकों के तबादले किए है। इनके अतिरिक्त छोटे स्तर के अधिकारी-कर्मचारियों के तबादलों का आंकड़ा तो शायद सरकार के मंत्री और नौकरशाहों को भी ज्ञात नही है।

भाजपा की आपत्ति से मुसीबत में सरकार

सरकार द्वारा लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले के अंतिम दिनों में काम-काज में जिस प्रकार की हबड़-तबड़ दिखाई उसके बाद सरकार खुद मुसीबत में फंसती नजर आ रही है। सरकार की कार्यप्रणाली पर विपक्षी दल भाजपा ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। भाजपा की आपत्ति के बाद कुछ मामलों में राज्य निर्वाचन आयोग ने संज्ञान लेकर कार्यवाही भी की है। इनमें भिण्ड और उमरिया के जिलाधीशों तथा पन्ना, जबलपुर और सिंगरौली के पुलिस अधीक्षकों को हटाए जाने के मामले उदाहरण के तौर पर देखे गए। इसी तरह के कुछ प्रकरण अभी आयोग की जांच प्रक्रिया में है। संभावना जताई जा रही है आयोग इन में भी जल्द निर्णय देगा।

आचार संहिता लगने से पहले हुए ये काम

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले तीन दिन ताबड़तोड़ काम किया। सागर में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की गई। इसे 48 घंटे में लागू कर दिया गया। सिंचाई प्रबंधन में कृषक भागीदारी और कृषि उपज मंडी पर भी ताबड़तोड़ अध्यादेश लागू कर दिए। कैबिनेट बैठक वाले दिन गेहूं और मक्का पर बोनस मंजूर करके शाम तक आदेश जारी कर दिए गए। कैबिनेट में ऐसे चार प्रस्ताव जल्द लाए गए जो आचार संहिता से अटक सकते थे। वचन पूरा करने एक के बाद एक आदेश दिए। आदिवासियों की एक लाख रुपए तक कर्जमाफी का आदेश दो दिन पूर्व दिया। किसान कर्जमाफी मैदान में 20 लाख तक पहुंच गई। राज्य नदी न्यास का अध्यक्ष कंप्यूटर बाबा, शुल्क विनियामक आयोग अध्यक्ष कमलाकर सिंह, माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी, सूचना आयुक्त राहुल सिंह को बनाने सहित अन्य पदस्थापना के ताबड़तोड़ आदेश निकाले गए।

Updated : 17 March 2019 2:25 PM GMT
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Naveen Savita

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