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सरकार ने रोका, 65 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय

सरकार ने रोका, 65 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय
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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है इनकी नाराजगी

राजनीतिक संवाददाता भोपाल

एक तरफ जहां सरकार किसानों का कर्ज माफ करने और बेरोजगारों को भत्ता देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर वाहवाही लूट रही है, तो वहीं दूसरी तरफ वित्त विभाग ने बजट की कमी बताकर प्रदेश की 65 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का मानदेय रोक दिया गया है।

इसे लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की नाराजगी बढ़ती जा रही है। सरकार ने केंद्र की ओर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को मिलने वाले अतिरिक्त डेढ़ हजार रुपए भी रोक लिए हैं।लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार के वित्त मंत्री का यह फैसला सरकार और कांग्रेस संगठन को भारी पड़ सकता है।

भाजपा ने बढ़ाया था मानदेय

गौरतलब है कि भाजपा सरकार ने जून 2018 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय पांच हजार से बढ़ाकर दस हजार एवं सहायिकाओं का मानदेय ढाई हजार से बढ़ाकर पांच हजार रुपए किया था। जुलाई 2018 से इन सभी को बढ़ा हुआ मानदेय मिलने भी लगा था, लेकिन दिसंबर में कांग्रेस सरकार आने के बाद से इन्हें मानदेय नहीं दिया जा रहा है। विभाग के अधिकारी इसके पीछे की वजह वित्त विभाग द्वारा दिसंबर में जारी उस आदेश को बता रहे हैं, जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग को दिसंबर का बजट पिछले साल जितना ही रखने को कहा गया है। अधिकारियों का तर्क है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के बढ़े हुए मानदेय के चलते यह बजट पिछले साल जितना रखा जाना संभव नहीं है। इसके चलते पिछले तीन माह से इन कार्यकर्ताओं को बढ़ा हुआ मानदेय नहीं दिया जा सका है। केंद्र से मिलने वाले अतिरिक्त डेढ़ हजार रुपए भी नहीं दे रही सरकार प्रधानमंत्री ने अगस्त 2018 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का मानदेय डेढ़ से दो हजार रुपए बढ़ाने की बात कही थी। केंद्र सरकार कार्यकर्ताओं को तीन हजार की जगह साढ़े चार हजार और सहायिकाओं को डेढ़ की जगह ढाई हजार रुपए दे रही थी, लेकिन प्रदेश सरकार बढ़ा हुआ पैसा नहीं दे रही है।

वित्त विभाग का तर्क है कि सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का मानदेय पहले ही बढ़ा चुकी है, इसलिए इसमें अब और वृद्धि नहीं की जा सकती है। कलेक्टर की ओर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को वोटर आईडी से संबंधित काम के लिए पांच सौ रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने पिछले एक साल से इसका भुगतान भी नहीं किया है। यही नहीं, कुछ लोगों को तो दो साल से पैसा नहीं मिला है।

Updated : 13 March 2019 3:08 PM GMT
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Naveen Savita

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