राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने दमोह मामले में की सिफारिशें: मिशन अस्पताल में मरने वाले मरीजों के परिजनों को 10-10 लाख दे सरकार…

भोपाल/दमोह। दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर जॉन केम उर्फ नरेन्द्र यादव की वजह से 7 मरीजों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की सिफारिशें की हैं। साथ ही मरने वाले मरीजों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए देने की भी सिफारिश की है। इतना ही नहीं राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदेश में कैथ लैब में काम करने वाले डॉक्टर योग्य है या नहीं इसका सत्यापन किया जाए। आयोग ने मप्र सरकार और केंद्र को कई सिफारिशें की हैं और चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की जांच में दमोह मिशन अस्पताल में कई अनियमितताएं मिली हैं। आयोग ने डॉक्टर और अस्पताल के मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों और सीएमएचओ दमोह के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को देश भर की कैथ लैब की जांच को कहा है। आयोग ने मामले के अंतिम निपटारे तक मिशन अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की भी सिफारिश की है।
पुलिस महानिदेशक से कहा है कि एफआईआर में देरी और जांच में लापरवाही करने वाले पुलिस अधिकारियों की विभागीय जांच कराएं। मिशन अस्पताल के प्रबंधन पर गैर इरादतन हत्या, धोखाधड़ी, जालसाजी, चिकित्सा लापरवाही, कदाचार, धन की हेराफेरी के प्रकरण दर्ज करें।
सिफारिशें मानी तो कईयों पर गिरेगी गाज
आयोग ने दमोह की घटना पर कई सिफारिशें की हैं। यदि सरकार ने सिफारिशों पर अमल किया तो कई अधिकारियों पर गाज गिरेगी। आयोग ने सिफारिश में कहा है कि सरकार बताए कि अस्पताल ने बीमा कराया था या नहीं? यदि हां, तो क्या मृतकों के कानूनी उत्तराधिकारियों को बीमा राशि वितरित की गई है। क्या सर्जरी करने, मरीजों के मेडिकल इतिहास के बारे में विवरण, जोखिम और लाभ के बारे में कोई जानकारी सीएमएचओ दमोह ने साझा की थी। अनाधिकृत निर्माण से संबंधित अनियमितताओं की जांच करें और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। मुख्य आयकर आयुक्त (छूट) भोपाल के माध्यम से मिशन अस्पताल द्वारा आयुष्मान भारत योजना के दुरुपयोग और आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों के इलाज के लिए विदेशी दान की जांच की सिफारिश की है।
