क्या मप्र में चुनाव से पहले उपचुनाव की होगी तैयारी ? 3 विधायकों की सदस्यता पर लटकी तलवार

भोपाल। मध्यप्रदेश में अगले साल 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले मप्र के तीन विधायकों की विधानसभा की सदस्यता खतरे में पड़ गई है, जबकि एक विधायक दुष्कर्म के मामले में फरार है। सोमवार को उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने अशोकनगर से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के साथ विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने निर्देश दिए हैं। इसके अलावा भाजपा के राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाहा की सदस्यता पर भी खतरे की तलवार लटक रही है।
कांग्रेस विधायक पर लटकी तलवार -
मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह कानूनी मुश्किलों में घिरे हुए हैं। उन पर सरकारी जमीन बेचने के आरोप लगे इस मामले की ग्वालियर के महाराजपुरा थाने में शिकायत भी दर्ज हुई। शिकायत में ये दावा किया गया कि विधायक ने सरकारी जमीन को अपना बताते हुए लगभग 75 लाख में बेच दिया था। मामले में पुरुषोत्तम शाक्य नामक व्यक्ति ने ग्वालियर के महाराजपुरा में शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि विधायक अजब सिंह ने यह जमीन उन्हें बेची, मगर कब्जा नहीं मिला। इस पर पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया था। इस मामले पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर के न्यायालय ने विधायक अजब सिंह सहित अन्य लोगों को दो-दो साल की सजा सुनाई है और 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया है। इस फैसले के बाद कांग्रेस विधायक की सदस्यता पर संकट मंडराने लगा है। नियमानुसार अगर किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता तो जाएगी ही साथ में वह छह साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा।
राहुल लोधी संकट में -
उमा भारती के बडे़ भाई हरबल सिंह लोधी के छोटे बेटे राहुल सिंह लोधी टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा से 2018 में पहली बार विधायक बने। विधानसभा चुनाव के बाद राहुल लोधी से चुनाव हारने वाली कांग्रेस प्रत्याशी चंदा रानी गौर ने राहुल लोधी द्वारा निर्वाचन पत्रों में जानकारी छिपाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। याचिका पर सुनवाई के बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने राहुल लोधी का निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया। फिलहाल राहुल लोधी इस मामले की अपील करने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। हालांकि इसी मामले को लेकर चंदा रानी गौर ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है। यदि सुप्रीम कोर्ट से लोधी को स्टे नहीं मिला तो उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है।
जसपाल सिंह उर्फ जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त -
वहीं, ग्वालियर हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायक जजपाल सिंह उर्फ जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। साथ ही अशोकनगर एसपी को फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में विधायक पर प्रकरण दर्ज करने के निर्देश भी दिए हैं। हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में जजपाल जज्जी ने कहा कि फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। यह कानूनी प्रक्रिया है, इसलिए उसी तरीके से लड़ा जाएगा। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने विधायक की विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए भी स्पीकर गिरीश गौतम को पत्र लिखा है। अशोकनगर विधायक ने अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र का उपयोग कर आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा था और जीता भी था।
चुनाव शून्य की प्रक्रिया -
मप्र विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसराणी बताते हैं कि हाईकोर्ट से सजा के बाद विधायकों को अपर कोर्ट में अपील करने का अधिकार है। हाल में दो तरीके के मामले सामने आए हैं। कुछ निर्वाचन से जुड़े मामले हैं - जिसमें गलत जानकारी दी गई। कुछ सजा के मामले होते हैं। इनमें जो नियम है कि दो साल या दो से अधिक साल की सजा किसी को होती है। उसका चुनाव शून्य हो जाता है। ऐसे में विधानसभा को विधिवत सूचना आती है। विस उसका परीक्षण करती है, उसमें यदि कानूनी राय के हिसाब से उचित है, तो उस सीट के रिक्त होने की अधिसूचना निकाली जाती है। इसकी कॉपी निर्वाचन आयोग को जाएगी। आयोग अधिसूचना के आधार पर उस सीट को रिक्त घोषित करके चुनाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। विधायकों के खिलाफ हाईकोर्ट के फैसले की सूचना जैसे ही विधानसभा को मिलती है। ऐसे मामलों का परीक्षण किया जाता है कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे नहीं दिया है, तो उसके बाद भारत निर्वाचन आयोग को स्थान रिक्त घोषित करने की अधिसूचना भेजी जाती है। उसके बाद निर्वाचन आयोग उस स्थान को रिक्त घोषित करने की अधिसूचना जारी करेगा।
