स्वास्थ्य सेवाओं में धड़ल्ले से चल रहा जुगाड़वाद: कनिष्ठ अधिकारी मार रहे वरिष्ठों का हक

भोपाल। मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में वरिष्ठ अधिकारी एक तरफ अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं वहीं जुगाड़ से आगे बढ़ने वाले कनिष्ठ अधिकारी वरिष्ठ पदों पर काबिज होते जा रहे हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य का ख्याल रखने वाले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संचालनालय में जूनियर डॉ. राजू निदारिया को वरिष्ठ संयुक्त संचालक और क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष शर्मा को भोपाल का मुख्य चिकित्सा अधिकारी बना दिया गया है।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि डॉ. निदारिया पर उज्जैन सीएमएचओ पद पर रहते हुए वर्ष 2020-21, 2021-22 में बिना निविदा और सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के 7 करोड़ 99 लाख 57 हजार 510 का भुगतान करने और एनएचएम की गतिविधियों के लिए मुद्रण कार्य पर 12 लाख 60 हजार 634 रुपए का फर्जी तरीके से भुगतान करने जैसे आरोप हैं। जब इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी हुआ तो लाल सिंह परमार नाम के छोटे कर्मचारी पर कार्रवाई कर मामला रफा दफा कर दिया गया। आरटीआई में बिलों की जानकारी मांगे जाने पर वर्ष 2021-22 के बिल-वाउचर नहीं दिए गए।
डॉ. मनीष शर्मा पर आर्थिक अपराध शाखा में नियम विरुद्ध भुगतान का प्रकरण दर्ज है। इनके अलावा प्रदेश के 43 जिलों में प्रभारी सिविल सर्जन हैं। सात जिलों में संयुक्त संचालक स्तर के पद प्रभारियों से भरे गए हैं। यहां तक कि भोपाल में डॉ. नीता चौधरी, सागर में डॉ. नीना गिडिय़ोन, रीवा में डॉ. एमएल गुप्ता, ग्वालियर में डॉ. नीलम सक्सेना, उज्जैन में दीपक पिप्पल, इंदौर में शाजी जोसफ भी वरिष्ठता सूची में निचले क्रम पर हैं, इसके बावजूद प्रभारी संयुक्त संचालक बने हैं।
प्रभार के पीछे ठेकेदार लॉबी
विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग को कुछ ठेकेदारों ने जकड़ लिया है। संभाग स्तर पर बंटे ये ठेकेदार ही जिलों में सीएमएचओ सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करवा रहे हैं। नियुक्ति करवाने के बदले में ये ठेकेदार मनमाफिक कार्य करवाते हैं। प्रभारियों द्वारा की गई आर्थिक अनियमितताओं के कई प्रकरण जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर खंडपीठ में प्रचलित हैं।
विधानसभा में भी उठ चुके सवाल
चिकित्सा शिक्षा में संचालक डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव, नर्सिंग सह चिकित्सा शिक्षा के संचालक डॉ. जितेन चंद्र शुक्ला, आयुष्मान भारत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. योगेश तुकाराम भरसट, एनएचम के संचालक केके रावत, परिवार कल्याण की अपर संचालक डॉ. वंदना खरे, अस्पताल प्रशासन के वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ. संजय खरे, वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ. राजू निदारिया, डॉ. नलिनी गौड़ को लेकर बीते वर्ष प्रदेश की विधानसभा में कुल 88 तारांकित एवं अतारांकित प्रश्र लगे हैं। इनमें से 84 सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं।
