ईश्वरीय सामर्थ्य का विज्ञान है गीता

ईश्वरीय सामर्थ्य का विज्ञान है गीता
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अनुराग उपाध्याय
कुल 109 गीताए हैं, 108 का हो रहा प्रकाशन

आपको जानकार हैरानी होगी कि श्रीमद्भागवत गीता के अलावा 108 अन्य गीताएं भी प्रचलित हैं। इन कुल 109 गीताओं में से 108 गीताओं को प्रकाशित करने का काम मध्यप्रदेश में आरम्भ हुआ है।

गीता को ईश्वरीय सामर्थ्य का विज्ञान माना जाता है। इसलिए सरकार की मंशा है ये गीताएं आम लोगों तक पहुंचें। मध्यप्रदेश में बड़े शोध और अनुसंधान के बाद 108 गीताओं के प्रकाशन का कार्य आरम्भ हुआ है। इन सभी 108 गीताओं की खूबी यह है कि यह सभी द्वापर के पहले सृष्टि में आ चुकी थीं। भगवान कृष्ण से पहले भी कोई गीता थी, यह सभी को चौंकाता जरूर है। इन गीताओं में शिवगीता, भगवतीगीता, रामगीता, हरिहरगीता, यमगीता, कपिलागीता, भृगुगीता, अवधूतगीता, दत्तात्रेयगीता जैसी कई गीताएं शामिल हैं। इन गीताओं को सहेजने और उसके प्रकाशन का काम महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ ने आरम्भ किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव न सिर्फ इस काम को करवा रहे हैं, वे खुद भी इन गीताओं का अध्ययन कर रहे हैं। उनका मानना है भारतीय ज्ञान मानव और सृष्टि के कल्याण के लिए है। इसलिए ये सब समाज के सामने आना ही चाहिए।

भगवती गीता में शिव और पार्वती के बीच वार्तालापः श्रीमद्भगवत गीता की तरह इनमें से भी कुछ गीताओं में 18 अध्याय हैं तो कुछ में पांच और कुछ में दस या बारह।

ये गीताएं भारतीय ज्ञान के आलोक से प्रकाशितः तिवारी

अब जल्दी ही ये सभी गीताएं ज्ञानार्जन और भारतीय ज्ञान को लेकर पाठकों के हाथों में होंगी। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी इस गीता श्रृंखला के संपादक हैं। श्रीराम तिवारी कहते हैं ये गीताएं भारतीय ज्ञान और दर्शन के आलोक से प्रकाशित हैं। भारतीय जनमानस इनका अध्ययन करे, इस पर शोध करे, यही हमारा प्रयास है।

हनुमान जी की चर्चा है। प्रभु राम, हनुमान जी को 108 उपनिषदों के बारे में बता रहे हैं। कपिला गीता में संख्या दर्शन के सिद्धांत का विस्तार से वर्णन है। इसमें जीवन और ब्रह्माण्ड के रहस्यों को तार्किक और वैज्ञानिक तरीके से समझाया गया है। अवधूतगीता एक गूढ़ ग्रन्थ है। विज्ञान अब मान रहा है कि प्रत्येक परमाणु तीन आधारभूत कणों से बना है।

दत्तात्रेय गीता इसी त्रिमूर्ति को समर्पित है। भृगुगीता का उल्लेख महाभारत के शांति पर्व में भी मिलता है। श्रीकृष्ण ने भी इस भृगु गीता का अध्ययन किया था। यमगीता मृत्यु के बाद के रहस्यों से पर्दा उठाती है। ये गीता आधुनिक विज्ञान के लिए भी चुनौती है। इन सभी गीताओं का सम्पादन अशोक कुमार शर्मा ने किया है।

भगवती गीता में भगवान शिव और माता पार्वती के बीच वार्तालाप को लिपिबद्ध किया गया है। पूरा विश्व अब ये मानता है कि वैदिक साहित्य में ज्ञान का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद है और ऋग्वेद के दसवें मंडल का नासदीय सूत्र सृष्टि में व्याप्त सर्वव्यापी सर्वज्ञ ईश्वरीय शक्ति के बारे में बताता है। ये गीताएं भी व्यक्ति की सोच और सामर्थ्य में असीमित और चमत्कारी रूपांतरण का जरिया हैं। शिवगीता में भगवान आशुतोष अपने अवतारी भक्त श्रीराम को अत्यंत रहस्य समझाते हैं। इसमें शैव और वैष्णव मत का समन्वय मिलता है।

संसार में अति प्राचीन है रामगीताः हरिहरगीता में उपदेशक भगवान् शिव हैं, लेकिन इसके साक्षी प्रश्नकर्ता स्वयं नारायण हैं। संसार में उपलब्ध गीताओं में 3 रामगीता अति प्राचीन है, इसमें भगवान राम और उनके भक्त हनुमान जी की चर्चा है। प्रभु राम, हनुमान जी को 108 उपनिषदों के बारे में बता रहे हैं। कपिला गीता में संख्या दर्शन के सिद्धांत का विस्तार से वर्णन है। इसमें जीवन और ब्रह्माण्ड के रहस्यों को तार्किक और वैज्ञानिक तरीके से समझाया गया है। अवधूतगीता एक गूढ़ ग्रन्थ है। विज्ञान अब मान रहा है कि प्रत्येक परमाणु तीन आधारभूत कणों से बना है।

दत्तात्रेय गीता इसी त्रिमूर्ति को समर्पित है। भृगुगीता का उल्लेख महाभारत के शांति पर्व में भी मिलता है। श्रीकृष्ण ने भी इस भृगु गीता का अध्ययन किया था। यमगीता मृत्यु के बाद के रहस्यों से पर्दा उठाती है। ये गीता आधुनिक विज्ञान के लिए भी चुनौती है। इन सभी गीताओं का सम्पादन अशोक कुमार शर्मा ने किया है।

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