गुजरात-महाराष्ट्र योद्धाओं और संतों की धरती, अनेक महापुरुष दिए हैं: मुख्यमंत्री

गुजरात-महाराष्ट्र योद्धाओं और संतों की धरती, अनेक महापुरुष दिए हैं: मुख्यमंत्री
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-राजभवन में गुजरात और महाराष्ट्र के स्थापना दिवस पर मना अखंडता का उत्सव

-मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल हुए शामिल

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत माता के सब लाल, भेदभाव का कहां सवाल, इसलिए जो मध्यप्रदेश आता है, मध्यप्रदेश का हो जाता है। जैसे दूध में शक्कर घुल जाती है, उसी तरह मध्यप्रदेश में आने वाले घुल-मिलकर प्रदेश में बस जाते हैं। गुजरात और महाराष्ट्र योद्धाओं और संतों की धरती है, जिसने देश को अनेक महापुरुष दिए हैं। महाराष्ट्र के शिवाजी महाराज, संत तुकाराम, लोकमान्य तिलक जैसी विभूतियां हुई हैं। संत नरसिंह मेहता, दुनिया को शांति का संदेश देने वाले अद्भुत महात्मा गांधी, राष्ट्र को एकीकृत करने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा व्यक्तित्व जो अपने आप में संस्था है, गुजरात राज्य की भारत को देन है। मुख्यमंत्री सोमवार को राजभवन में गुजरात एवं महाराष्ट्र राज्यों के स्थापना दिवस पर अखंडता के उत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। अध्यक्षता राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने की।

मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र और गुजरात राज्य के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव का जिक्र किया और बताया कि वे महाराष्ट्र राज्य के जमाई हैं। प्रारंभिक शिक्षा गुजराती स्कूल में प्राप्त की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत महान राष्ट्र है। यहां 5 हजार वर्ष की ज्ञान-विज्ञान की परंपराएँ हैं। दुनिया के विकसित देशों में जब सभ्यता का उदय नहीं हुआ था, तब भारत में ऋचाओं की रचना हो रही थी। भारत ने ही दुनिया को एक परिवार मानने, जियो और जीने दो, सत्यमेव जयते, प्राणियों में सद्भावना हो और सब सुखी हों, सब निरोगी हों आदि मानवता के मंगलकारी स्वरूप का दिग्दर्शन कराया है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि हिंद देश के निवासी, सब जन एक हैं। रंग, रूप, वेश, भाषा चाहे अनेक हैं। भारतीय संस्कृति का विकास विभिन्न स्थानीय संस्कृतियों से मिल कर हुआ है। हम सभी भारतीय है, यही भावना भारत को राष्ट्र का रूप देती है। अनेकता में एकता की भावना ही हमारे राष्ट्र का आधार है। भारत भूमि और भारत के निवासियों के प्रति प्रेम भाव रखना ही राष्ट्रीय एकता का स्वरूप हैं। राष्ट्रीय अखंडता का अर्थ राष्ट्र की भूमि के हर भाग की सुरक्षा और विघटनकारी ताकतों के प्रयासों को विफल कर आंतरिक एकजुटता को बनाए रखना है। भारतीय के रूप में हमारी पहचान विभिन्न परम्पराओं, आचार, भाषा और संस्कृतियों के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखना है। अनेकता में एकता और मिल-जुल कर खुशियाँ मनाने की भारतीय संस्कृति की विशिष्टता के भाव और भावनाओं का प्रति रूप राजभवन में आयोजित यह अखंडता का उत्सव है। मध्यप्रदेश के विकास में विभिन्न प्रदेश के लोगों के योगदान का अभिनंदन है। गुजरात और महाराष्ट्र राज्य के स्थापना दिवस के उत्साह और उमंग में मध्यप्रदेश के निवासियों की सहभागिता का प्रतीक है। संचालक संस्कृति अदिति कुमार त्रिपाठी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। सचिव राजभवन जनजाति प्रकोष्ठ बी.एस. जामोद ने आभार माना। संचालन विनय उपाध्याय ने किया। राजभवन जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दीपक खांडेकर, राज्यपाल के प्रमुख सचिव संजीव कुमार झा और मराठी साहित्य अकादमी के निदेशक उदय परांजपे मंचासीन थे।

मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहरों की हुई प्रस्तुति

उत्सव में गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहरों पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियाँ हुई। कार्यक्रम के दौरान गुजरात समाज की ओर से गुरुप्रीत राजपाल के निर्देशन में गरबा और डांडिया रास नृत्य का प्रदर्शन किया गया। महाराष्ट्र समाज की ओर से श्रीमती शोभा बिस के निर्देशन में गणेश वंदना, गोफ, कोई नृत्य और महाराष्ट्र जयघोष का गायन किया गया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के अलीराजपुर और झाबुआ जिलों के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने जनजातीय सांस्कृतिक वैभव और अनेकता में एकता के प्रतीक भगोरिया नृत्य प्रस्तुत किया। उत्सव में गुजरात समाज के अध्यक्ष संजय पटेल और मराठी समाज के डा. अभिजीत देशमुख ने अतिथियों का स्वागत कर स्मृति-चिन्ह भेंट किए।

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