जिलाध्यक्षों की घोषणा से पहले खींचतान शुरू: कांग्रेस के प्रादेशिक अधिवेशन से पहले पार्टी में उभर सकती है गुटबाजी…

कांग्रेस के प्रादेशिक अधिवेशन से पहले पार्टी में उभर सकती है गुटबाजी…
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भोपाल। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद मप्र कांग्रेस कमेटी प्रादेशिक अधिवेशन को लेकर प्रदेश भर में सक्रिय दिखाई दे रही है, लेकिन पार्टी के दूसरे खेमों के नेताओं ने पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाई हुई है। इसकी वजह पार्टी के भीतर चल रही आपसी खींचतान है।

खबर है कि पार्टी नेतृत्व प्रादेशिक अधिवेशन से पहले मई के शुरुआत में जिलाध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारियों की घोषणा कर सकता है। ऐसे में कांग्रेस नेताओं के बीच अपने-अपने खेमों से जिलाध्यक्ष बनवाने की होड़ मची है।

जैसे ही नामों की घोषणा होगी, पार्टी में फिर विरोध के स्वर उठना तय है। क्योंकि इस बार कांग्रेस के कई खेमों को निराशा हाथ लग सकती है।

इसी महीने 8 एवं 9 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में अगले लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की नई राजनीतिक दिशा तय की गई। इस बैठक में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह समेत अन्य नेताओं को अहम जिम्मेदारी मिलने के संकेत भी मिले थे।

अधिवेशन के तत्काल बाद कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं की प्रदेश में सक्रियता बढ़ी थी, लेकिन उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी। मौजूदा स्थिति में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ही अलग-अलग जिलों का दौरा करके कार्यकर्ता सम्मेलनों में शामिल हो रहे हैं।

इन कार्यक्रमों में कांग्रेस के दूसरे नेताओं का शामिल नहीं होना पार्टी के भीतर चल रही अंतरकलह से जोड़कर देखा जा रहा है। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी शीर्ष नेतृत्व के निर्देशानुसार मप्र में नई तरह की कांग्रेस गढ़ना चाहते हैं।

इसी क्रम में अब जिलाध्यक्षों की घोषणा भी नए तरीके से होगी। इसके लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक भोपाल आएंगे। खास बात यह है कि किसी नेता विशेष की सिफारिश पर किसी अपरिचित चेहरो को संगठन में जगह नहीं मिलेगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पूर्व में इसके संकेत भी दे चुके हैं कि वे 2028 में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए समर्पित कार्यकर्ता और नेताओं का संगठन तैयार कर रहे हैं। हालांकि यह देखना दिलचस्व होगा कि पटवारी अपनी रणनीति में कामयाब हो पाते हैं या फिर हमेशा की तरह जिलाध्यक्षों की घोषणा में खेमेबाजी पर हावी रहती है।

इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा के खिलाफ पूरी पार्टी एकजुट है। कांग्रेस को लेकर इस तरह की अफवाहें विरोधी दल फैलाते हैं, यह स्पष्ट है। अधिवेशन की तिथि जल्द तय होगी। सभी नेताओं की सक्रिय भागीदारी होगी।

अधिवेशन से पहले विरोध तय!

यूं तो कांग्रेस में हर फैसले पर सवाल उठना या विरोध सामने आना कोई नई बात नहीं है। चूंकि इस बार कांग्रेस में संगठन पदाधिकारियों के चयन का तरीका पहले से अलग है। इसलिए कांग्रेस खेमों के नेता अपने-अपने समर्थकों के लिए दिल्ली तक सक्रिय हैं।

यदि नेता समर्थकों को जगह नहीं मिलती है तो फिर प्रादेशिक अधिवेशन से पहले विरोध होना तय है। इधर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में भी दायित्वों को लेकर नेताओं के बीच खींचतान चल रही है यह मामला प्रदेश नेतृत्व के संज्ञान में है, लेकिन पार्टी सीधे दखल देने से बच रही है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में अभी नेताओं के बैठक व्यवस्था भी नहीं सुधरी है।

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