अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी: राज्य सरकार की ऐतिहासिक पहल, मध्यप्रदेश स्पेस टेक पॉलिसी - 2025 का ड्राफ्ट जारी

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने गुरुवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए ‘मध्य प्रदेश स्पेस टैक पॉलिसी-2025’ का ड्राफ्ट सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है। इस नीति का उद्देश्य प्रदेश को भारत का अगला प्रमुख स्पेस टैक हब बनाना और वैश्विक स्पेस इकोनॉमी में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाना है। सरकार ने नागरिकों, उद्योग जगत, स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों से इस ड्राफ्ट नीति पर सुझाव आमंत्रित किए हैं, जिससे यह नीति प्रदेश की आकांक्षाओं और व्यावहारिक आवश्यकताओं के अनुरूप अंतिम रूप ले सके। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इस ड्राफ्ट नीति को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया है। सभी नागरिकों, स्टार्टअप्स, उद्योग जगत और शोध संस्थानों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत करें।
स्पेस टेक पॉलिसी में अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग -
- कृषि
- जल संसाधन प्रबंधन
- आपदा प्रबंधन
- शहरी नियोजन और सुशासन के क्षेत्रो के लिए किया जाएगा।
जनसम्पर्क अधिकारी जूही श्रीवास्तव ने आज बताया कि पॉलिसी ड्राफ्ट के लिए दो हाइलेबल कंसल्टेंसी मीटिंग्स की गईं। पहली बैठक आईआईटी इंदौर में हुई । इसमें इसरो, डीआरडीओ, बीईएल, शिक्षाविद और उद्योग जगतके 30 से अधिक विशेषज्ञ शामिल हुए। इस बैठक में ‘मध्य प्रदेश स्पेस टैकः एक्सप्लोरिंग अपॉर्चुनिटीज एंड चैलेंजेज’ विषय पर विचार-विमर्श हुआ। दूसरी बैठक बेंगलुरु स्थित बीईएल ऑफिसर्स क्लब में हुई। इसमें इसरो, डीआरडीओ, बीईएल, एसआईए-इंडिया और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के 40 से अधिक विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इनका नेतृत्व मप्र के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय दुबे ने किया। दोनों मीटिंग्स में आये परामर्शों, विचारों और सुझावों को पॉलिसी ड्राफ्ट में शामिल किया गया है।
शैक्षणिक एवं शोध संस्थान निभाएंगे भूमिका
- जबलपुर का डिफेंस कॉरिडोर,
- पीथमपुर का प्रिसिजन इंजीनियरिंग हब,
- आईआईटी इंदौर,
- आईआईएसईआर भोपाल
- आरआरसीएटी इंदौर
अंतरराष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक एवं शोध संस्थान प्रदेश को स्पेस टेक सेक्टर में अग्रणी भूमिका दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। गौरतलब है की विशेष रूप से आईआईटी इंदौर देश का एकमात्र संस्थान है, जो स्पेस साइंस और इंजीनियरिंग में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम संचालित करता है।
स्पेस टेक पॉलिसी को तीन स्तरों-अप स्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में विभाजित किया गया है -
अपस्ट्रीम में उपग्रह व लॉन्च वाहन निर्माण, प्रोपल्शन, एवियोनिक्स, स्पेस एसेट विकास के लिए विकसित रणनीतियों का समावेश है।
मिडस्ट्रीम में मिशन संचालन, लॉन्च सेवाएँ, ग्राउंड स्टेशन, स्पेस ट्रैफिक मैनेजमेंट और डेब्रिस मिटिगेशन,
डाउनस्ट्रीम में पृथ्वी अवलोकन, उपग्रह संचार, नेविगेशन एवं पोजिशनिंग और सिस्टम एंड डेटा एनालिटिक्स को शामिल किया गया है।
खगोल-विज्ञान परंपरा को मिलेगा आधुनिक स्वरूप
स्पेस टैक पॉलिसी में उद्योग व अकादमिक सहयोग से स्पेस टेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना, उज्जैन में एस्ट्रोफिजिक्स एवं स्पेस साइंस आरएंडडी सेंटर, जो शहर की ऐतिहासिक खगोल-विज्ञान परंपरा को आधुनिक स्वरूप प्रदान करेगा। पॉलिसी में स्टार्टअप्स व उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए 200 करोड़ रुपये का स्पेस टेक वेंचर फंड, प्रोटोटाइप ग्रांट, आईपी रिइम्बर्समेंट, इनक्यूबेशन सपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच बनाने के लिए नीतियां शामिल की गई हैं। पॉलिसी में स्पेस टैक के लिए स्किल डेवलपमेंट के लिए संबंधित पाठ्यक्रमों का समावेश, उन्नत प्रशिक्षण, उद्योग आधारित अप्रेंटिसशिप और फेलोशिप कार्यक्रम शामिल किये गये हैं।
स्पेस टेक इन्फ्रास्ट्रक्चर होंगे विकसित
प्रदेश में स्पेस टेक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किये जाने के लिए पॉलिसी में क्लीन रूम्स और टेस्टिंग सुविधाएँ, स्पेस मैन्युफैक्चरिंग पार्क, डुअल-यूज़ कंपोनेंट हब, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सेंटर, भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए ‘अंतरिक्ष विहार’ स्पेस एक्सप्लोरेशन पार्क, विद्यार्थियों के लिए ‘मिशन कल्पना’ कार्यक्रम और इसरो की युविका योजना में भागीदारी के लिए विस्तृत दिशानिर्देश निर्धारित किये गये हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय दुबे ने कहा है “स्पेस टैक अब केवल रॉकेट और सैटेलाइट तक सीमित नहीं है। यह कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और उद्योगों में भी क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। मध्यप्रदेश इस नीति के माध्यम से अपनी औद्योगिक, शैक्षणिक और रणनीतिक क्षमताओं को नए अवसरों में बदलते हुए भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं में सार्थक योगदान देगा।’’
