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जंगलों में है औषधियों का अमूल्य खजाना, को-ऑपरेटिव फार्मिंग को दें बढ़ावा - मुख्यमंत्री शिवराज

‘देवारण्य’ संबंधी कार्यशाला को मुख्यमंत्री ने किया संबोधित

जंगलों में है औषधियों का अमूल्य खजाना, को-ऑपरेटिव फार्मिंग को दें बढ़ावा - मुख्यमंत्री शिवराज
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भोपाल, विशेष संवाददाता। अधिक से अधिक लोगों को आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ मिल सके तथा प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को रोजगार एवं आजीविका मिल सके, इसके उद्देश्य से 'देवारण्य' योजना बनाई गई है। इस योजना का तीव्र गति से क्रियान्वयन किया जाएगा।

हमारे जंगलों में जहाँ औषधियों का अमूल्य खजाना है, वही जनजातीय भाई-बहन इनका महत्व एवं उपयोग समझते हैं। हमें एक ओर हमारे औषधियों के इस खजाने को संरक्षित एवं संवर्धित करना है, वहीं जनजातीय वर्ग के इस पारंपरिक ज्ञान को आगे बढ़ाकर लोगों को स्वास्थ्य लाभ देना है। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मंत्रालय में अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों के निवासियों के लिए रोजगार सृजन और आजीविका के साधनों की मजबूती के लिए आयुष आधारित आर्थिक उन्नयन योजना 'देवारण्य' संबंधी कार्यशाला को संबोधित करते हुये कही। राज्य नीति एवं योजना आयोग द्वारा आयोजित कार्यशाला में मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न आयुष दवा कंपनियों के प्रतिनिधि और अन्य विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

आयुष औषधियों के उत्पादन की पूरी वैल्यू चेन

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम प्रदेश में देवारण्य योजना के माध्यम से आयुष औषधियों के उत्पादन की एक पूरी वैल्यू चेन का विकास करेंगे। इस कार्य में स्व-सहायता समूहों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसमें कृषि उत्पादक संगठन, आयुष विभाग, वन, ग्रामीण विकास, उद्यानिकी, पर्यटन, कृषि, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन एवं जनजातीय कार्य विभाग मिलकर मिशन मोड में कार्य करेंगे।

मुख्यमंत्री ने किया गाँव के वैद्य का उल्लेख

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने गाँव के वैद्य रघुवीर प्रसाद का उल्लेख करते हुए कहा कि वे नाड़ी देखकर रोग जान लेते थे और दवा देते थे। हमें अपने पारम्परिक ज्ञान को आगे बढ़ाना होगा।

वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए गाँवों की सुंदर वादियों में औषधीय पौधों की खेती की जाए। आयुष एवं पर्यटन को साथ-साथ लाया जाएगा।

भोपाल में बने ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडीशनल मेडिसिन्स

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडीशनल मेडिसिन्स बनाने जा रहा है। ऐसे प्रयास किए जाएंगे कि यह मध्यप्रदेश में बने। भोपाल में खुशीलाल आयुर्वेद अस्पताल अद्भुत कार्य कर रहा है।

प्रदेश में 360 नये आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में 360 से अधिक नये आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स की स्थापना की जा रही है। इंदौर और भोपाल में आयुष सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों का निर्माण हो रहा है। प्रदेश के आयुर्वेदिक और यूनानी औषधालयों का उन्नयन किया जा रहा है। आयुष दवाओं के अनुसंधान और‍विकास पर अधिक से अधिक जोर दिया जा रहा है।

डिमांड एवं सप्लाई चेन को मजबूत बनाएंगे

राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों के निवासियों के रोजगार सृजन एवं आजीविका के संसाधनों को मजबूती प्रदान करने के लिए आयुष आधारित योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत औषधीय एवं सुगंधित पौधों तथा उनसे बनाई जाने वाली दवाओं की डिमांड एवं सप्लाई चेन को मजबूत बनाया जाएगा।

भारत चीन के बाद सबसे बड़ा निर्माता

केन्द्रीय आयुष सचिव राजेश कुटेचा ने कहा कि विश्व में आयुष दवाओं का बहुत बड़ा बाजार है। इस क्षेत्र में भारत चीन के बाद सबसे बड़ा निर्माता है। वर्तमान में इसके लिए कच्चे माल अर्थात औषधीय और सुगंधित पौधों की बहुत मांग है। उद्योगों ने इसका एडवांस ऑर्डर दिया हुआ है। जनजातियाँ यह जानती हैं कि इन पौधों का संरक्षण और उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए।

आंवले की अत्यधिक मांग

डाबर इंडिया के सी.ई.ओ. मोहित मल्होत्रा ने कहा कि आयुर्वेदिक औषधियों के लिए आंवले की अत्यधिक मांग है। मध्यप्रदेश से बड़ी मात्रा में इसकी आपूर्ति होती है। औषधीय फसलों को बढ़ावा दिए जाने के साथ यदि इन फसलों का जैविक प्रमाणीकरण करा लिया जाए तो यह अत्यंत लाभकारी होगा।

को-ऑपरेटिव फार्मिंग को बढ़ावा दें

इमामी हेल्थ केयर के गुलराज भाटिया ने कहा कि आगामी 15-20 वर्ष में आयुष के क्षेत्र में अत्यधिक संभावनाएँ बढ़ेंगी। इसके लिए प्रदेश में औषधीय एवं सुगंधित पौधों की को-ऑपरेटिव फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

आयुर्वेद से सभी बीमारियों का इलाज हो सकता है

आयुर्वेद ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, बैंगलुरू के सी.ई.ओ. राजीव वासुदेवन ने कहा कि आयुर्वेद से सभी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से जिला स्तर पर आयुर्वेद उपचार की सुदृढ़ पद्धति विकसित की जानी चाहिए।

वनस्पतियों का ज्ञान जनजातियों के पास है

वनवासी कल्याण आश्रम के हितरक्षा प्रमुख गिरीश कुबेर ने कहा कि प्राचीन वनस्पतियों का ज्ञान जनजातियों को है। ग्रामों में ग्राम सभाओं को मजबूत कर अधिक से अधिक जनजातीय लोगों को इससे जोड़ें। सामुदायिक वन विकास पर जोर दिया जाना चाहिए।

म.प्र. भारत का 'ग्रीन लंग'

धूतपापेश्वर लिमिटेड, मुंबई के रंजीत पुराणिक ने कहा कि मध्यप्रदेश न केवल भारत का दिल बल्कि 'ग्रीन लंग' है। यहाँ औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों का अपार भंडार है। नीमच अश्वगंधा की ग्लोबल मंडी है। पन्ना का आंवला देश में सर्वोत्तम है। मध्यप्रदेश में औषधीय वनस्पतियों की मंडियाँ बनाई जानी चाहिएं।

वैयक्तिक पट्टे प्रदान किए जाएं

सेण्टर फॉर रिसर्च एंड स्ट्रेटेजिक प्लानिंग फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पुणे के अध्यक्ष गजानन डांगे ने कहा कि सामुदायिक विकास के साथ ही वनवासियों को वैयक्तिक पट्टे प्रदान किए जाएं। जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए मास्टर प्लान बने। जल प्रबंधन के साथ ही मिट्टी का कटाव रोकने के लिए भी कार्रवाई हो।

प्रोत्साहित एवं जागरूक करें

आरोग्य भारती के अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि औषधीय पौधों के संरक्षण एवं उत्पादन के लिए जनजातीय लोगों को प्रोत्साहित एवं जागरूक किया जाना चाहिए।

कार्यशाला के अंत में आभार प्रदर्शन नीति एवं योजना आयोग के प्रमुख सलाहकार अभिषेक सिंह ने किया।

औषधीय वनस्पति रोग निवारण

चंदन, नीम, केशन, घृतकुमारी (एलोवेरा)-त्वचा रोग

तुलसी, अदरक, दालचीनी-दमा

घृतकुमारी एवं मुनगा-महिला स्वास्थ्य

मैथी-मधुमेह

सदाबहार/बन ककड़ी-कैंसर

गूलर-मुख रोग

बेल-पेट के छाले

हल्दी-मधुमेह

धनिया-विषनाशक

एरंड-दर्द कब्ज

पोदीना-उल्टी, लू

गिलोय-बुखार

बबूल-घाव, फोड़ा-फुंसी

सौंफ-पेट दर्द, उल्टी

अदरक-खाँसी, जुकाम

हींग-फेफड़े के रोग

अश्वगंधा-बलवर्धक

Updated : 27 July 2021 5:46 AM GMT
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