Home > राज्य > मध्यप्रदेश > भोपाल > मुख्यमंत्री का ऐलान, मप्र में रामचरित मानस,गीता और महाभारत के प्रसंग स्कूली पाठ्यक्रम होंगे शामिल

मुख्यमंत्री का ऐलान, मप्र में रामचरित मानस,गीता और महाभारत के प्रसंग स्कूली पाठ्यक्रम होंगे शामिल

मुख्यमंत्री चौहान ने सुघोष दर्शन कार्यक्रम को किया संबोधित

मुख्यमंत्री का ऐलान, मप्र में रामचरित मानस,गीता और महाभारत के प्रसंग स्कूली पाठ्यक्रम होंगे शामिल
X

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि रामचरितमानस जैसे ग्रंथ हमारे पाथेय और मार्गदर्शक हैं। रामचरित मानस सहित गीता और महाभारत के प्रसंगों को शालेय पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। यह प्रसंग नैतिक शिक्षा और आध्यात्म की शिक्षा में सहायक होंगे। ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ प्रकटीकरण अपनी मातृभाषा में होता है। अंग्रेजी के आधिपत्य को समाप्त कर मातृभाषा में शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। यह बात मुख्यमंत्री चौहान ने सोमवार को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर आयोजित विद्या भारती मध्यभारत प्रांत, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश के सुघोष दर्शन कार्यक्रम में कही।

भोपाल के ओल्ड कैम्पियन क्रिकेट ग्राउण्ड में आयोजित कार्यक्रम में अखिल भारतीय संगठन मंत्री गोविंद चंद्र महंत, सेवानिवृत्त मेजर जनरल टी.पी.एस. रावत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विद्या भारती मध्यभारत के अध्यक्ष बनवारी लाल सक्सेना भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में 16 जिलों के 75 विद्यालयों के 1500 से अधिक विद्यार्थी, आचार्य, शिक्षकगण सम्मिलित हुए। आजादी के अमृत महोत्सव पर मध्यभारत प्रांत की 75 घोष इकाइयों के विद्यार्थियों द्वारा बंशी वादन, शंख वादन, साइड ड्रम, बॉस ड्रम सहित अन्य वाद्य यंत्रों का वादन करते हुए ऊँ, स्वास्तिक चिन्ह, सुघोष 2023 तथा 75 के अंक की आकृति का निर्माण किया गया।

नेताजी का अंग्रेजों से मुक्ति में रहा महत्वपूर्ण योगदान

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि हजारों क्रांतिकारियों के कड़े संघर्ष और बलिदान के परिणामस्वरूप हमें स्तवंत्रता प्राप्त हुई। आजादी के बाद लम्बे समय तक कई क्रांतिकारियों का उल्लेख तक नहीं किया गया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का अंग्रेजों से मुक्ति में महत्वपूर्ण योगदान रहा। "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" के उनके वाक्य ने पूरे देश में ऊर्जा का संचार किया। उनके नेतृत्व में ही आजाद हिन्द फौज ने सबसे पहले देश का ध्वज फहराया। प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा स्थापित कर उनके योगदान का ऋण उतारने का प्रयास किया है।

देशभक्ति, अनुशासन, उत्साह, प्रतिभा और शौर्य का संगम

विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री गोविंद चंद्र महंत ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नेताजी सतत् रूप से देशभक्ति की भावना के संचार के सूत्र रहे हैं। उनकी कार्यशैली में अनुशासन, उत्साह, प्रतिभा और शौर्य का संगम दिखाई देता है। देश में आजादी के अमृतमहोत्सव को अवसर मान कर श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए गतिविधियां जारी हैं। विद्या भारती द्वारा भी विद्यालयों में संस्कारित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अनेक प्रयोग किए जा रहे हैं।

सीखने की इच्छा जीवन में लगातार बनाए रखना आवश्यक

सेवानिवृत्त मेजर जनरल टी.पी.एस. रावत ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के योगदान के बिना भारत की स्वतंत्रता संभव नहीं थी। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने नाम अर्थात् अपनी पहचान, नमक अर्थात् अपनी मातृभूमि और निशान अर्थात् अपने समुदाय, संगठन, देश को सर्वाधिक महत्व देते हुए सर्वोच्च बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि सीखने की इच्छा और कोशिश को जीवन में लगातार बना कर रखना आवश्यक है।

Updated : 23 Jan 2023 12:56 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top