मंत्रालय में मुख्यमंत्री के ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ पर ताला

मंत्रालय में मुख्यमंत्री के ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ पर ताला
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4 साल पहले लाई गई केंद्रीयकृत डाक व्यवस्था

भोपाल मंत्रालय में चार साल पहले मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर लागू की गई केंद्रीयकृत डाक व्यवस्था (सीआरयू) को अब पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। सीआरयू बंद होने के बाद मंत्रालय में आने वाली डाक अब पुरानी व्यवस्था के तहत विभागवार ली जाएगी।

सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों रुपये की खरीदी की थी, लेकिन खरीदी के बाद अधिकारियों ने सीआरयू पर ध्यान ही नहीं दिया। आखिरकार इसे पूरी तरह बंद करने की नौबत आ गई।

मंत्रालय में ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने के साथ ही यह तय किया गया था कि बाहर से आने वाली डाक के लिए एक अलग इकाई बनाई जाए। इसके बाद मई 2021 में वल्लभ भवन के आधारतल में सीआरयू इकाई गठित की गई। शुरुआत में 22 विभागों की डाक एक ही स्थान पर ली गई। बाद में सभी 56 विभागों की डाक लेने के लिए इकाई का विस्तार किया जाना था।

इसके लिए अत्याधुनिक कंप्यूटर, फर्नीचर एवं अन्य उपकरणों की खरीदी पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन खरीदी के बाद अधिकारियों ने सीआरयू को प्रभावी बनाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया।

बताया गया कि कंप्यूटर भी निम्न गुणवत्ता के खरीदे गए थे, जो बेहद धीमी गति से चलते थे। डाक पंजीयन का काम तेज होने की बजाय और धीमा होता गया। नतीजतन, 22 विभागों के लिए शुरू की गई सीआरयू व्यवस्था सिमटकर मात्र 7 विभागों तक रह गई।

सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मनीष रस्तोगी ने सीआरयू की समीक्षा की थी। इसके बाद इसमें बदलाव या इसे बंद करने पर विचार किया गया। अंततः सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ल ने सीआरयू व्यवस्था को बंद करने का निर्णय लिया।

खरीदी में घोटाला, जीएडी ने दबाए दस्तावेज

मंत्रालय में जिस इकाई को मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर शुरू किया गया था, उसकी स्थापना में भ्रष्टाचार के आरोप भी सामने आए। सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार के कार्यकाल में सीआरयू के लिए सामान की खरीदी की गई, जिसमें विभाग की पूर्व उपसचिव की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।

उपकरणों की खरीदी से संबंधित दस्तावेजों को सामान्य प्रशासन विभाग ने गोपनीय बताकर सार्वजनिक नहीं किया। न ही सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई गई।

पहले 31 दिसंबर और बाद में 19 दिसंबर के बाद सीआरयू में कोई भी डाक नहीं लेने के आदेश जारी कर दिए गए। इसके साथ ही मंत्रालय में केंद्रीयकृत डाक व्यवस्था का औपचारिक रूप से अंत हो गया।

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