कुदरत का करिश्मा दिल दहलाने वाली त्रासदी में बदला, एक दिन पहले जन्मे चारों नवजातों की मौत

कुदरत का करिश्मा दिल दहलाने वाली त्रासदी में बदला, एक दिन पहले जन्मे चारों नवजातों की मौत
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छिंदवाड़ा में एक महिला ने एक साथ चार नवजातों को जन्म देकर कुदरत करिश्मा देखने को मिला था लेकिन फिर दुखभरी खबर सामने आई। प्रीमेच्योर डिलीवरी के चलते चारों की मौत हो गई।

छिंदवाड़ाः मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव में सोमवार को कुदरत का दुर्लभ करिश्मा देखने को मिला था। जहां एक महिला ने एक साथ चार बच्चों को जन्म दिया था। लेकिन यह करिश्मा कुछ ही घंटों में दिल दहला देने वाली त्रासदी में बदल गया। दुर्भाग्यवश चारों नवजातों की मौत हो गई। हालांकि समय रहते इलाज मिलने से प्रसूता की जान बच गई। फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

रास्ते में ही दो नवजातों की मौत

डिलीवरी के बाद से ही चारों नवजातों की हालत बेहद नाजुक थी। प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उन्हें तत्काल 108 एंबुलेंस से छिंदवाड़ा जिला अस्पताल रेफर किया। हालांकि वह दो नवजातों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। जबकि मां और अन्य दो बच्चों को हॉस्पिटल पहुंचाया गया।

इलाज के दौरान दो की गई जान

शेष दो नवजातों को छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में भर्ती कराया गया। एसएनसीयू के नोजल अधिकारी डॉ अंशुल लाम्बा ने बताया कि एक बालिका का वजन करीब 600 ग्राम और एक बालक का वजन मात्र 350 ग्राम था। अत्यधिक कम वजन के कारण दोनों नवजातों के फेफड़े और अन्य जरूरी अंग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाए थे। सांस लेने में गंभीर दिक्कत के चलते देर रात बालिका की मौत हो गई, जबकि बालक ने मंगलवार तड़के अंतिम सांस ली।

उचित विकास नहीं हो पाना बनी वजह

डॉक्टरों के अनुसार सामान्य तौर पर नवजात का वजन कम से कम 2 किलोग्राम होना चाहिए, लेकिन इस मामले में महिला के गर्भ में एक साथ चार भ्रूण थे। इसके चलते किसी भी बच्चे का समुचित विकास नहीं हो पाया। फेफड़े और अन्य आंतरिक अंग पूरी तरह विकसित न होने से बच्चे वातावरण से समायोजन नहीं कर पाए। वहीं, उनको बचाना संभव नहीं हो सका। हालांकि महिला को बचा लिया गया है। उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

पूरी मेडिकल टीम रही अलर्ट

नवजातों को बचाने के लिए जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की पूरी टीम लगातार प्रयासरत रही। लेकिन बच्चों का वजन जीवित रहने के लिए जरूरी न्यूनतम मानक से काफी कम होने के कारण मेडिकल प्रयास सफल नहीं हो सके।

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