भोपाल गैस त्रासदी की 41 वीं बरसी: आईसीएमआर की रिपोर्ट में चौकने वाला खुलासा

भोपाल गैस त्रासदी की 41 वीं बरसी: आईसीएमआर की रिपोर्ट में चौकने वाला खुलासा
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भोपाल गैस त्रासदी के गैस पीडि़तों में थायरॉइड, मोटापा और डायबिटीज का बढ़ा खतरा

भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी को 41 साल हो गए, लेकिन इसका ज़हर अब भी पीडि़तों के शरीर में बैठा है। भारतीय मेडिकल अनुसंधान परिषद आईसीएमआर की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मिथाइल आइसोसाइनेट गैस ने पीडि़तों के एंडोक्राइन सिस्टम को ऐसे नुकसान पहुंचाए हैं, जिनका असर आज भी खत्म नहीं हुआ।

रिपोर्ट में कहा गया कि पीडि़तों में थायरॉइड की बीमारियां, मोटापा और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स लगातार बढ़ते जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि गैस पीडि़़तों में डायबिटीज पांच गुना और हाइपरटेंशन तीन गुना ज्यादा मिला। गैस ने फेफड़ों, आंखों, दिल, दिमाग और प्रजनन प्रणाली पर असर छोड़ा है। उक्त संस्था के विशेषज्ञ कहते हैं कि दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक इसके प्रभाव दिख रहे हैं। यहां बता दें कि आईसीएमआर भोपाल हर साल गैस पीडि़तों के स्वास्थ्य को लेकर हर तरह का अनुसंधान कर रहा है। इसकी रिपोर्ट समय- समय पर जारी करता है, ताकि मध्यप्रदेश सरकार इन पीडि़तों के स्वास्थ्य की ओर ध्यान दे सकें।

पीडि़तों के मल्टी-सिस्टम फेल : डॉ आर्या

उधर गैस पीडि़तों तो लेकर संभावना क्लिनिक की रिपोर्ट भी सामने आई है। चार दशक बाद भी ज़हर का असर जारी है। पीडि़़तों में आज भी मल्टी-सिस्टम फेल होने के लक्षण दिखाई देते हैं। क्लिनिक की चिकित्सक उषा आर्या के अनुसार गैस ने शरीर के अलग-अलग सिस्टम को नुकसान पहुंचाया है। इसलिए ट्रीटमेंट भी एक ही लाइन से नहीं हो सकता। हम आधुनिक मेडिसिन, आयुर्वेद और योग तीनों को मिलाकर इलाज करते हैं। वही क्लिनिक के डॉ. बी. रघुराम बताते हैं कि वे क्लिनिक में ही 65 तरह की आयुर्वेदिक दवाएँ तैयार करते हैं। पंचकर्म, योग के जरिए सांस, मांसपेशियों और मानसिक तनाव पर काबू पाने की ट्रेनिंग दी जाती है।

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