शेरों की तरह नंबरों से मिलेगी हाथियों को पहचान: हाथी परियोजना के तहत बांधवगढ़ नेशनल पार्क की पहल…

हाथी परियोजना के तहत बांधवगढ़ नेशनल पार्क की पहल…
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भोपाल। बाघ की तरह जंगल में अब हाथियों की अलग पहचान होगी। यह नवाचार मप्र में बांधवगढ़ नेशनल पार्क की हाथी परियोजना के तहत किया जा रहा है। इससे हाथियों की न केवल प्रोफाइल तैयार हो सकेगी बल्कि, विशालकाय हाथियों की आवाजाही पर जहां नजर रहेगी। वहीं उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर अनुपम सहाय ने कहा कि हाथी 2018 से राष्ट्रीय उद्यान में घूम रहे हैं और उनकी प्रोफाइल तैयार करने के पीछे का उद्देश्य उनके व्यवहार के बारे में जानकारी हासिल करना है। इस कड़ी में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में घूमने वाले कम से कम 60 हाथियों की पहचान करने और उनकी प्रोफाइल तैयार करने का काम कर रहा है।

अभी तक, हमने लगभग 12 हाथियों की पूरी तरह से पहचान कर ली है। यह प्रक्रिया जारी है और बांधवगढ़ में घूम रहे सभी 60 से 80 हाथियों की पूरी पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे उनके व्यवहार का अध्ययन करने में बहुत मदद मिलेगी।

फोटो के साथ तैयार हो रहे दस्तावेज

डब्ल्यूआरसीएस (वन्यजीव अनुसंधान एवं संरक्षण सोसायटी ) नामक एक गैर सरकारी संगठन इस प्रक्रिया में सहायता से श्ह काम शुरू किया गया है। तीन से पांच सदस्यों वाली विशेषज्ञों की टीम समय-समय पर पार्क में प्रवेश करती है और हाथियों की तस्वीरें लेती है और फोटोग्राफिक विश्लेषण के माध्यम से पहचान करती है कि इस क्षेत्र में कौन से हाथी घूम रहे हैं।

इससे निर्धारित होगी पहचान

जब हाथियों की आईडी हाथियों के सिर, कान, पूंछ और पीठ की तस्वीरों के आधार पर बनाई जा रही है। इसके अंगों की तस्वीरों के आधार पर कम्प्यूटर के माध्यम से एक खास नंबर वाली आईडी तैयार की जाती है। जिसके बाद हर हाथी का एक कोड नंबर तय हो जाता है।

यह होगा फायदा

मध्य प्रदेश में हाथियों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनका अलग-अलग क्षेत्रों में मूवमेंट बढ़ रहा है। हाथियों की आइडी बनाए जाने के बाद वन विभाग को यह पहचान करना आसान होगा कि कौन हाथी किस झुंड में है और वह किस लोकेशन में है। इससे हाथियो की निगरानी भी संभव हो सकेगी।

इसलिये बांधवगढ़ में परियोजना

प्रदेश के जंगलों में हाथियों की संख्या बढ़ रही है। प्रदेश के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हाथियों का झुंड लंबे समय से घूम रहा है। वन्य जीव विशेषज्ञ हाथियों के इस मूवमेंट का कारण कॉरिडोर बताते हैं। यह ओडिशा से छत्तीसगढ़ तक जाता है।

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