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OBC आरक्षण की सभी याचिकाओं पर 22 जून को होगी सुनवाई, डेटा नहीं दे पाई सरकार
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जबलपुर। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण के समर्थन और विरोध में लगी सभी 61 याचिकाओं पर बुधवार को मप्र हाई कोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्य खंडपीठ में सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने इस मामले में बहस के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जून की तारीख तय की है। इस दिन सभी 61 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी।
राज्य सरकार ने प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण लागू किया था, जिसके विरोध में जबलपुर की आशिता दुबे समेत अन्य की ओर से 2019 में याचिका दायर की गई थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिये कुछ मामलों में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इसी बीच ओबीसी महासभा समेत कुछ लोगों ने 27 फीसदी आरक्षण के समर्थन में भी हाई कोर्ट में याचिकाएं लगाईं। इस तरह इस मामले में हाई कोर्ट में कुल 61 याचिकाएं दायर हुई हैं, जिन पर एक साथ सुनवाई होनी है।
डेटा दाखिल नहीं किया -
बुधवार को प्रशासनिक न्यायाधीश शील लागू व जस्टिस मनिन्दर सिंह भट्टी की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान प्रदेश शासन के विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक शाह ने बताया कि इस मामले में राज्य सरकार ने अभी तक हाई कोर्ट में क्वान्टिफिएबल डेटा, ग्यारह मापदंडों पर आधारित मात्रात्मक डेटा दाखिल नहीं किए गए हैं, जो कि आरक्षण को जस्टीफाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के परिपालन में अति आवश्यक हैं। वहीं, दूसरे पक्ष के अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी के प्रकरण में स्पष्ट दिशा निर्देश हैं। किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत मिलाकर कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो रहा है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने सरकार की ओर से स्वेच्छा से डाटा प्रस्तुत करने की व्यवस्था दे दी। कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर सभी 61 याचिकाओं की सुनवाई आगे बढ़ा दी है।