मप्र में 'डगमगाया’ प्रशासनिक ढांचा: 10 जिलों में अपर जिलाधीश नहीं, 15 दिन से दतिया में रुकी पड़ी है जिलाधीश की पदस्थापना…

भोपाल। प्रदेश में समय पर अधिकारियों की पदस्थापना नहीं होने की वजह से प्रशासनिक ढांचा बिगड़ रहा है। अधिकारियों की कमी का शासन स्तर पर असर दिखाई नहीं देता है, लेकिन जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। प्रशासनिक अधिकारियों की पदस्थापना में देरी की वजह 15 दिन से दतिया जिलाधीश की पदस्थापना रुकी पड़ी है।
इतना ही नहीं 10 जिलों में अपर जिलाधीश नहीं हैं। ऐसी स्थिति में अपर जिलाधीशों का अन्य अधिकारियों को प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। कुछ जिलों में जिला पंचायत सीईओ प्रभार में हैं, तो करीब आधी जनपद पंचायतों में सीईओ के दायित्व प्रभारी अधिकारी के पास सौंप रखे हैं। बड़े जिलों की अपेक्षा छोटे जिलों में प्रशासनिक ढांचे ज्यादा खराब हैं।
सामान्यत: जिलों के जिलाधीश की पदस्थापना तत्काल होती है, लेकिन दतिया जिलाधीश का दायित्व प्रभार में चल रहा है। 31 मई को दतिया के जिलाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसी तरह उमरिया के अपर जिलाधीश शिव गोविंद मरकाम भी पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन उनकी जगह अन्य किसी को नहीं भेजा गया। चंबल संभागायुक्त का दायित्व लंबे समय से प्रभारी अधिकारी के पास है। वर्तमान में ग्वालियर संभागायुक्त मनोज खत्री चंबल का भी दायित्व संभाल रहे हैं।
इन जिलों पर अपर जिलाधीश का प्रभार
प्रदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की लंबे समय से पदस्थापना नहीं हुई है। ऐसे में अपर जिलाधीश सेवानिवृत्ति होते गए लेकिन उनकी जगह नई पदस्थापना नहीं की गई। इस वजह से हरदा, सीधी, सिंगरौली, श्योपुर, मऊगंज, डिंडोरी, देवास, छिंदवाड़ा, झाबुआ और उमरिया जैसे जिलों में अपर जिलाधीश का दायित्व प्रभार में सौंप रखे हैं। यानी 10 जिलों में अपर जिलाधीश प्रभारी अधिकारी बने बैठे हैं।
आधे से ज्यादा जनपदों में प्रभारी सीईओ
पंचायत विभाग के पास अधिकारियों का भारी टोटा है। विभाग के अनुसार 313 विकासखंड हैं। इसके मुकाबले करीब 158 जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ही काम कर रहे हैं। ऐसे में शेष जनपद प्रभारियों के भरोसे हैं। ऐसे में काम चलाने के लिए जिलाधीशों ने एसडीएम, तहसीलदारों को जनपद के अतिरिक्त प्रभार सौंप दिए हैं।
शिवपुरी में 2023 बैच के एसडीएम अनुपम शर्मा को एसडीएम के साथ जनपद सीईओ, मंडी और खनिज का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जबकि अधिकारी को सेवा में आए ही सालभर पूरा नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति अन्य जिलों में भी है। डिंडौरी, मंडला, टीकमगढ़, शहडोल जैसे जिलों में एसडीएम के पास अतिरिक्त प्रभार भी हैं।
छोटे जिलों में अपडाउन वाले अधिकारी
प्रदेश के छोटे एवं नए जिलों में पूरा प्रशासनिक तंत्र अपडाउन वाले अधिकारियों के भरोसे है। पांढुर्ना में ज्यादातर अधिकारी छिंदवाड़ा एवं आसपास के जिलों से आते हैं। मैहर में सतना से आते हैं, मऊगंज में रीवा से आते हैं। इसी तरह निवाड़ी जिले में भी ज्यादातर विभागों के अधिकारी टीकमगढ़ से आते हैं। इसकी प्रमुख वजह अधिकारियों के पास जिला स्तर जैसी सुविधाएं नहीं हैं। निवाड़ी जिले में गठन के 4 साल तक कलेक्टर कार्यालय एक स्कूल भवन से संचालित हुआ था।
