पंचायत विभाग के 110 इंजीनियरों ने तबादला आदेश को दिखाया ठेंगा: एक महीने बाद भी कार्यमुक्त नहीं, ज्यादातर ने लिया न्यायालय से स्टे...

भोपाल। प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पिछले महीने विभागीय मंत्री प्रहलाद पटेल के अनुमोदन से जारी किए गए तबादला आदेशों को इंजीनियर मानने को तैयार नहीं हैं। एक महीना बीतने के बाद भी 166 इंजीनियरों में से 110 तबादला आदेश के तहत कार्यमुक्त ही नहीं हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा में लगे उपयंत्री हैं। इन इंजीनियरों को न तो पंचायत विभाग और न ही प्रमुख अभियंता कार्यालय ने कार्यमुक्त करने में कोई रुचि दिखाई। बल्कि उन्हें तबादला आदेश के खिलाफ न्यायालय से स्टे लाने का भरपूर समय दिया है। जबकि तबादला आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि दो सप्ताह के भीतर कार्यमुक्त होना अनिवार्य है। अन्यता वेतन बंद किया जाएगा।
तबादला नीति 2025 के तहत पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जिलों में सालों से एक ही स्थान पर जमे कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री एवं उप यंत्रियों के पिछले महीने 10 जून को तबादला आदेश जारी कर दिए थे। 128 उपयंत्रियों की तबादला सूची में 110 इंजीनियरों के तबादले प्रशासनिक आधार पर किए गए, जबकि 18 की पदस्थापना स्वैच्छिक की गई थी। बताया गया कि इनमें से स्वैच्छिक तबादले वाले सभी कार्यमुक्त हो गए हैं। जबकि प्रशासनिक तबादले वाले ज्यादातर कार्यमुक्त नहीं हुए हैं। इनमें से अधिकांश न्यायालय से स्टे आदेश ले आए हैं।
इसी तरह 38 कार्यपालन एवं सहायक यंत्रियों की तबादला सूची में 36 इंजीनियरों को प्रशासनिक आधार पर हटाया था। इनमें से एक इंजीनियर डीके कैथवास को स्थानीय व्यवस्था के तहत सहायक मंत्री खंडवा से हटाकर जगह प्रभारी कार्यपालन यंत्री खंडवा पदस्थ किया। जबकि दुबालिया राणा कार्यपालन यंत्री बैतूल को स्वयं के व्यय पर कार्यपालन यंत्री इंदौर पदस्थ किया गया। बताया गया कि ये दोनों कार्यपालन यंत्री कार्यमुक्त हो गए हैं। जबकि अन्य में से ज्यादातर कार्यमुक्त नहीं हुए हैं। दोनों तबादला आदेश 10 जून को जारी किए थे। आदेश में उल्लेख है कि दो सप्ताह के भीतर कार्यमुक्त हों, अन्यथा वेतन बंद किया जाएगा।
तबादले के बाद से विभाग में मचा है हड़कंप
विभागीय सूत्र बताते हैं कि 5, 10, 15 साल से एक ही स्थान पर पदस्थ इंजीनियरों के बड़ी संख्या में प्रशासनिक तबादलों से विभाग में हड़कंप मचा है। लंबे समय से एक ही जगह पदस्थ इंजीनियरों के पहली बार प्रशासनिक आधार पर हटाया गया है। तबादला सूची मंत्री के अनुमोदन से तबादली नीति के तहत ही जारी की गई थी, लेकिन तबादले के बाद से इंजीनियर आदेश निरस्त कराने से लेकर मनचाही पदस्थापना के लिए राजधानी में चक्कर काट रहे हैं। ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा के इंजीनियरों पर प्रमुख अभियंता कार्यालय मेहरबान बना है। पंचायत विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी सख्त एवं तेजतर्रार अधिकारी हैं। लंबे समय से जमे इंजीनियरों का तबादला कराने में वे सफल रहीं, लेकिन कार्यमुक्त नहीं करा पा रही हैं।
इनका कहना है
धीरे-धीरे कार्यमुक्त हो रहे हैं। जल्द से सभी हो जाएंगे। कोई विशेष नाम हो तो बता दीजिए।
- केसी धु्रवकर
प्रमुख अभियंता, ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा
