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10 साल पुरानी बम्होरी में रही है भाजपा और कांग्रेस की बराबर की हिस्सेदारी

बम्होरी विधानसभा क्षेत्र एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस ने जीती बाजी, अबकी बार दावेदारों की बाढ़

अभिषेक शर्मा/गुना। जिले का सबसे चर्चित विधानसभा क्षेत्र है बम्होरी। महज 10 पुराने इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस की बराबर की हिस्सेदारी रहीं है। यानि एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस के हाथ बाजी लगी है। 2008 में गुना विधानसभा से टूटकर अलग हुए इस विधानसभा क्षेत्र ने अब तक दो चुनाव देखे है। जिसमें 2008 के चुनाव में यहां से भाजपा के कन्हैयालाल अग्रवाल ने जीत दर्ज कराई थी तो 2013 में कांग्रेस के महैन्द्र सिंह सिसौदिया विधायक चुने गए थे। दोनों ही बार दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस से प्रत्याशी भी समान थे। भाजपा से कन्हैयालाल अग्रवाल तो कांग्रेस से महैन्द्र सिंह सिसौदिया। इस बार देखना है कि क्या होता है? फिलहाल की स्थिति में तो यहां दावेदारों की बाढ़ आई हुई है और इस बाढ़ का सामना दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस कर रहे है। हाथी भी इस चुनाव में चिंघाडऩे के लिए सूड़ उठाता दिख रहा है।

कहने को तो चंबल-मालवा के इस प्रवेश द्वार गुना में चार विधानसभा क्षेत्र आते है। जिसमें गुना, चांचौड़ा, राघौगढ़ और बम्होरी शामिल है, किन्तु चुनाव में चर्चा सिर्फ और सिर्फ बम्होरी की सुनने को मिल रही है। एक बम्होरी इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में भारी पड़ रही है। इसे यह कहकर खारिज करने की कोशिश की जा सकती है कि बमौरी अनारक्षित है, किन्तु यह तर्क सिवाए कुतर्के के कुछ नहीं कहा जाएगा। कारण अनारक्षित में तो राघौगढ़ और चांचौड़़ा भी शामिल है। बम्होरी के सर्वाधिक चर्चित होने का कारण है, जिले की राजनीति के समीकरण। बात पहले गुना विधानसभा की करें तो यह अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण पहले ही चरण में चर्चाओं से बाहर हो जाती है, इसके बाद बात राघौगढ़ की आती है तो यह क्षेत्र पूर्ववर्ती राघौगढ़ राजघराने से प्रभावित है, अब तक हुए चुनावों में यहां से कांग्रेस की तरफ से राजघराने का कोई सदस्य या उनका सिपहसाल ही प्रत्याशी बनता आया है। इतना ही नहीं, राजघराने के प्रति जनआस्था के बाद उन्हे जीत भी मिलती रही है। इसलिए भाजपा नेताओं की तरफ से यहां दावेदारी भी कम ही रही है। इस बार भी कुछ ऐसा ही है, वहीं चांचौड़ा में वर्तमान भाजपा विधायक श्रीमती ममता मीना का जलवा बरकरार है। भाजपा की तो छोडि़ए कांग्रेस में भी उनके मुकाबले फिलहाल कोई चेहरा नजर नहीं आ रहा है। भाजपा से यहां ममता मीना की उम्मीद्वारी लगभग तय मानी जा रही है तो कांग्रेस में प्रत्याशी या किले का सदस्य होगा या फिर उनका कृपा पात्र। बचती सिर्फ बम्होरी है, जहां हर किसी के लिए मैदान है, हर कोई इस मैदान में खेल भी रहा है। एक तरह से बम्होरी पूरे जिले की राजनीति का कैन्द्र बिन्दू बनी हुई है।

हाथी भी दिखा चुका है दम

जिले की अन्य विधानसभाओं में भलें ही हाथी वाली बहुजन समाज पार्टी की कद्र नहीं होती है, किन्तु बम्होरी विधानसभा में एक बार हाथी अपनी दम दिखा चुका है। हालांकि यह दम हाथी का कम हाथी के महावत तत्कालीन प्रत्याशी देवेन्द्र सिंह रघुवंशी का अधिक माना गया था। चुनाव बम्होरी का पहला 2008 का था, जिसमें भाजपा से कन्हैयालाल अग्रवाल, कांग्रेस से महैन्द्र सिंह सिसौदिया प्रत्याशी थे, वहीं बहुजन समाज पार्टी ने हाथी की सवारी देवेन्द्र सिंह रघुवंशी को कराई थी। चुनाव में श्री रघुवंशी ने जमकर ताकत दिखाई थी। हालांति जीत से उनका वास्ता नहीं रहा था, किन्तु रायता जरुर फैला दिया था। माना यह तक गया था कि अधिक उस चुनाव में देवेन्द्र सिंह मैदान में नहीं होते तो आज बम्होरी का राजनीतिक भविष्य कुछ और होता।

हर दिन नया प्रत्याशी

बम्होरी की स्थिति क्या है? इसका अंदाजा महज इससे ही लग जाता है कि यहां प्रत्याशी की बाढ़ आई हुई है। आलम यह है कि हर दिन एक नया प्रत्याशी सामने आ रहा है और यह स्थिति दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस में है। कांग्रेस में चूंकि महैन्द्र सिंह सिसौदिया वर्तमान मेंं विधायक है, इसलिए दावेदारी चुपके-चुपके हो रही है, किन्तु भाजपा में तो जैसे दावेदारी का युद्ध चल रहा है। यहां इतने दावेदार है कि एक पूरी सूची तैयार की जा सकती है। इसमें आधा दर्जन तो दिग्गज नेता ही शामिल है, वहीं छुटभैया माने जाने वालों की भी लंबी कतार है।

बम्होरी में नहीं चलती जाति की राजनीति

बम्होरी में जाती की राजनीतिक नहीं चलती है। यह इससे भी प्रमाणित होता है कि यहां आदिवासी, सहरिया समाज और किरार-धाकड़ समाज का बाहुल्य है। बावजूद इसके दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने यहां से इन समाजों के व्यक्ति को प्रत्याशी नहीं बनाया है। अन्य राजनीतिक दलों ने भी जाति के आधार पर प्रत्याशी चयन करने में गंभीरता नहीं दिखाई है। इतना ही नहीं, जो दो विधायक अब तक यहां से रहे है भाजपा से कन्हैयालाल अग्रवाल और कांग्रेस से महैन्द्र सिंह सिसौदिया तो उनके समाज के मतदाता यहां नाम मात्र के है। बमौरी में लोधा, लोधी समाज, ब्राह्मण समाज, खटीक समाज भी थोड़ा, बहुत है।

नेताओं की राय

बम्होरी विधायक के कार्यकाल में लोग अपने को ठगा महसूस कर रहे है। लोग यह मानने में भी संकोच नहीं कर रहे है कि उनसे गलती हो गई है। विकास की चिंती ही नहीं की गई, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में भरपूर विकास हो रहा है। जहां तक मेरे कार्यकाल की बात है तो पहले गुना विधानसभा जिसमें बम्होरी भी शामिल थी, को भी लोगों ने देखा है, उसके बाद बम्होरी का कार्यकाल भी देखा है। इन 10 सालों में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा सभी क्षेत्रों में भरपूर विकास हुआ है। 1100 से अधिक छोटे तालाब बनाए गए है। आगे अगर मौका मिलता है तो विकास कार्यों को और गति दी जाएगी।

कन्हैयालाल अग्रवाल

निकटम प्रत्याशी भाजपा

भ्रष्टाचार पर अकुंश लगाने की कोशिश की गई है। कानून व्यवस्था बेहतर रहे, इसकी भी चिंता की गई है। विपक्ष का विधायक होने के बावजूद विकास को लेकर गंभीरता दिखाई गई है, इस कार्यकाल में पूर्व मंत्री के कार्यकाल से ज्यादा विकास कार्य क्षेत्र में कराए गए है। जनता के कार्यों को लेकर लगातार सक्रियता दिखाई गई है। दिन रात मेहनत कर विकास का एक पूरा खाका क्षेत्र मेंं खींचा गया है। प्रदेश सरकार की इतनी विफलता है की गिनाना मुश्किल है, पूरे प्रदेश के साथ वह बम्होरी में भी शामिल है। बमौरी में यूं तो कई काम होना है, किन्तु बिजली पानी महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

महैन्द्र सिंह सिसौदिया

विधायक कांग्रेस

मतदान केंद्र 264

कुल मतदाता १,0१,१२५

पुरुष मतदाता 1,९१8७६

महिला मतदाता 9०,७५१

संभावित प्रत्याशी

भाजपा:- कन्हैयालाल अग्रवाल, ओएन शर्मा, राजेन्द्र सलूजा, महेन्द्र सिंह किरार, हेमराज किरार, जयकिशन गर्ग, धर्मस्वरुप भार्गव, आदि।

कांग्रेस:- महैन्द्र सिंह सिसौदिया, योगेन्द्र लुम्बा, सुमेर सिंह गढ़ा, देवेन्द्र सिंह किरार, देवेन्द्र गुप्ता, श्रवण धाकड़ आदि।

2013 विस चुनाव परिणाम

कन्हैयालाल अग्रवाल भाजपा 53243

महैन्द्र सिंह सिसौदिया कांग्रेस 71804

जीत का अंतर 18561

अब तक के विधायक

वर्ष जीते दल

2008 कन्हैयालाल अग्रवाल भाजपा

2013 महैन्द्र सिंह सिसौदिया कांग्रेस

पानी की तरह बहेगा पैसा

बम्होरी विधानसभा चुनाव में पानी की तरह पैसा बहेगा। जानकार मानते है कि यह चुनाव करोड़ों का होगा। ऐसी संभावना वर्तमान स्थिति को देखते हुए लग रही है। फिलहाल चुनाव में तीन-चार माह का समय शेष है, किन्तु इससे पहले ही प्रत्याशी यहां जमकर आर्थिक ताकत दिखा रहे है और यह ताकत साल, डेढ़ साल पहले से सामने आ रही है।

क्षेत्र की बड़ी समस्याएं

बम्होरी में यूं तो समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। क्षेत्र से दर्जन भर दिग्गज नेता अपनी दावेदारी जता रहे है। बावजूद इसके बम्होरी की चिंता सभी मानो में किसी ने नहीं की है। यहीं कारण है कि क्षेत्र समस्याओं से बुरी तरह जूझ रहा है। सर्वाधिक समस्या पानी को लेकर है। यहां तालाबों को लेकर मंाग लंबे समय से चली आ रही है, ग्वालटोरिया, पनेठी और छतरपुरा तालाब इनमें प्रमुख है। किन्तु इस पर राजनीति के सिवाए कुछ नहीं हो रहा है। पूर्व मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल के विधायकी कार्यकाल में यहां बिजली के क्षेत्र में काफी काम हुआ है, जिससे यह समस्या बहुत हद तक दूर हुई है। सड़कों और पुलों की भी जरुरत है। डिग्री कॉलेज की मांग लंबे समय से उठ रही है। जिसे पूरा करने की घोषणा हाल ही में जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान गुना पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की है। स्कूलों की भी आवश्यकता है तो सड़कों की हालत भी खराब है। इसके साथ ही अन्य समस्याएं भी है। एक लाइन में कहा जाए तो क्षेत्र विकास के लिहाज से काफी पिछड़ा हुआ है।

Updated : 28 Aug 2018 12:15 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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