War Trauma Syndrome: युद्ध के बाद इंसान को अंदर से तोड़ देता है यह सिंड्रोम, जानिए कैसे करें बचाव

युद्ध के बाद इंसान को अंदर से तोड़ देता है यह सिंड्रोम, जानिए कैसे करें बचाव
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युद्ध देशों के बीच हो या फिर मन के बीच असर तो शरीर पर होता ही है। इंसानी मानसिकता पर भी गहरी चोट करती है,कई लोग डर, तनाव और अनजानी आशंकाओं में घिर जाते हैं।

War Trauma Syndrome: भारत और पाकिस्तान के बीच इन दिनों तनाव का माहौल बना हुआ है वहीं पर हर कोई युद्ध होने का आभास कर रहा है। युद्ध देशों के बीच हो या फिर मन के बीच असर तो शरीर पर होता ही है। इंसानी मानसिकता पर भी गहरी चोट करती है,कई लोग डर, तनाव और अनजानी आशंकाओं में घिर जाते हैं। चलिए जानते इस सिंड्रोम के बारे में और कैसे करें बचाव...

जानिए क्या होता है वॉर ट्रॉमा सिंड्रोम

यहां पर इस सिंड्रोम की बात की जाए तो, यह दिमाग से जुड़ा विकार है जो किसी भी बड़े ट्रॉमा या हादसे के बाद पनपता है। जहां पर युद्ध जैसी स्थितियों में जब इंसान जान का खतरा महसूस करता है या अत्यधिक हिंसा का गवाह बनता है। जहां पर दिमाग पर इसका तनाव झेलना पड़ जाता है। इस सिंड्रोम की स्थिति में कई लक्षण बने रहते है।

जानिए क्या होते है इस वॉर ट्रॉमा सिंड्रोम के लक्षण

आपको बताते चलें कि, वॉर सिड्रोम के कई लक्षण नजर आते है जो इस प्रकार है...

  • बार-बार डरावने सपने आना
  • छोटी-छोटी बातों पर घबराहट
  • ऐसे लोग किसी भी आवाज या घटना पर अचानक चौंक जाते हैं.
  • अकेलापन और अवसाद महसूस होना
  • हिंसक या आत्मघाती विचार

जानिए किसे प्रभावित करता है ये सिंड्रोम

दरअसल इस सिंड्रोम की स्थिति में सबसे ज्यादा सीमा पर तैनात सैनिकों को खतरा होता है। सीधे युद्ध का हिस्सा रहे हों इसके अलावा सीधे युद्ध का हिस्सा रहे हों। कई बार यह असर युद्ध खत्म होने के बाद भी सालों तक बना रहता है।

इस स्थिति में कैसे करें बचाव

आपको बताते चलें कि, यहां पर सिंड्रोम से प्रभावित होने वाले लोगों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए...

  • परिवार और दोस्तों का साथ इस मुश्किल वक्त में मदद करता है।
  • दिमाग को शांत करने के लिए ध्यान और योग असरदार होते हैं।
  • थेरेपी से मानसिक घावों को ठीक किया जा सकता है।
  • वॉर सिंड्रोम एक साइलेंट किलर है, जो इंसान को अंदर से खत्म कर सकता है।

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