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आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़ी है भारतीय व्यंजन शैली
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नई दिल्ली। भारतीय भोजन आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा आधारित खाने-पीने का आदतों के साथ नजदीक से जुड़ा हुआ है जो किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है। यही कारण है कि पर्यटन मंत्रालय भारतीय पाक कला शैली सहित विभिन्न पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए 'अतुल्य भारत' के अंतर्गत देश से बाहर और भीतर संभावित बाजारों में इसका प्रचार-प्रसार करता है।
इसके कुछ उदाहरणों में मौसम के अनुसार भोजन का सेवन जैसे गर्मी के दौरान छाछ, लस्सी, शिकंजी, कोकुम शरबत, बेल शरबत आदि और सर्दियों के दौरान राब, शोरबा, केसर दूध, कहवा आदि शामिल है।
सोमवार को लोकसभा में पूछे गए एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए संस्कृति राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने सदन को उक्त जानकारी देते हुए कहा कि सरकार इस बात से अवगत है कि भारत की एक समृद्ध पाक कला विरासत है। हमारे अधिकांश पारंपरिक व्यंजन सदियों से विकसित हुए हैं। भारतीय पाक शैली में व्यापक रूप से विभिन्न क्षेत्रीय पाक शैलियां समाहित हैं जो मूलतः भारत से ही संबंधित हैं।
उन्होंने बताया कि मिट्टी के प्रकार, जलवायु, संस्कृति, जातीय समूह और आजीविकाओं के विभिन्न प्रकारों को ध्यान में रखते हुए ये पाक शैलियां एक दूसरे से काफी भिन्न होती हैं और इनमें स्थानीय रूप से उपलब्ध मसालों, जड़ी बूटियों, सब्जियों और फलों का प्रयोग होता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय भोजन प्रायः स्थानीय लोगों द्वारा यथा अपेक्षित पोषण के समग्र दृष्टिकोण पर आधारित होते हैं जिनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का सम्मिश्रण होता है। ऐसे भोजन स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री से तैयार किए जाते हैं और इनमें उपचारात्मक और पोषक लाभ पाए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय खानपान को बढ़ावा देने के साथ-साथ आधुनिक जीवन शैली से संबंधित रोगों को दूर रखने के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए प्रतिबद्ध है।