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पारसी साइरस मिस्त्री का हिंदू रीति-रिवाज से क्यों हुआ अंतिम संस्कार ? ये है कारण

पारसी साइरस मिस्त्री का हिंदू रीति-रिवाज से क्यों हुआ अंतिम संस्कार ? ये है कारण
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मुंबई। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की रविवार दोपहर महाराष्ट्र के पालघर जिले में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद आज मंगलवार को वर्ली क्रिमेटोरियम में हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया। साइरस मिस्त्री का पार्थिव शरीर आज सुबह सफेद फूलों से सजाकर जेजे अस्पताल से वर्ली क्रिमेटोरियम ले जाया गया। यहां उनके दोस्तों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों ने अंतिम दर्शन किये। दाह संस्कार में पारसी समुदाय के सदस्य, कारोबारी नेता और राजनेता शामिल हुए। साइरस मिस्त्री के अंतिम संस्कार में वरिष्ठ उद्योगपति रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा भी शामिल हुईं।


बता दें की साइरस मिस्त्री पारसी समुदाय से आते है। इसके बावजूद उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति रिवाजों की जगह हिन्दू परंपराओं के अनुसार किया गया। जिसे लेकर सवाल उठ रहे है की आखिर ऐसा क्यों किया गया तो आइए हम बताते है इसका कारण लेकिन इससे पहले जान लेते है की पारसी समुदाय में क्या है नियम।

पारसी रीति-रिवाज -

पारसियों के अंतिम संस्कार की परंपरा 3 हजार साल पुरानी है। पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार के नियमों की बात करें तो ये हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदाय से बेहद अलग है। इस समुदाय में शव को ना तो हिंदुओं की तरह शव को जलाते हैं और ना ही ईसाई और मुस्लिम समुदाय की तरह शव को दफनाते हैं।पाबल्कि मौत के बाद पारसियों के पारंपरिक कब्रिस्तान जिसे 'टावर ऑफ साइलेंस' या दखमा कहा जाता है। यहां शव को खुले में गिद्धों को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। पारसियों की अंत्येष्टि की इस प्रक्रिया को दोखमेनाशिनी कहा जाता है।

हिंदू रीति-रिवाज का ये है कारण -

अब आइए उस सवाल का जवाब देते है की आखिर साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार पारसी रीति रिवाजों के बजाय हिंदू रीति रिवाजों से क्यों किया गया। दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान शवों के अंतिम संस्कार के तरीकों में बदलाव किए थे। उसी समय एक SoP जारी करते हुए पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार के रीति रिवाजों पर रोक लगा दी थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी महामारी के प्रकोप को देखते हुए रोक को जारी रखा था। इसी के चलते साइरस मिस्त्री के शव को हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया।

Updated : 6 Sep 2022 11:46 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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